एक वैज्ञानकि को मरणोपरांत तो दूसरे को 90 साल की उम्र में दिया लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड

मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कृषि योजनाओं में नीति बनाने से लेकर बड़े-बड़े कृषि शिक्षण संस्थानों को किया स्थापित। एक वैज्ञानिक को मरणोपरांत तो दूसरे को 90 वर्ष की आयु में दिया

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 12:55 PM (IST) Updated:Sun, 22 Sep 2019 12:55 PM (IST)
एक वैज्ञानकि को मरणोपरांत तो दूसरे को 90 साल की उम्र में दिया लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड
एक वैज्ञानकि को मरणोपरांत तो दूसरे को 90 साल की उम्र में दिया लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड

हिसार, हिसार। देश में कृषि विकास और कई बड़े शिक्षण संस्थानों को स्थापित कराने वाले दो वैज्ञानिकों को एचएयू ने लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से नवाजा है।  इसमें वर्ष 2015-16 के लिए स्वर्गीय डा. पृथ्वी सिंह लांबा व वर्ष 2017-18 के लिए डा. देव राज भूंबला को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।

यह अवार्ड विश्वविद्यालय में आयोजित 13वें आइएयूए की राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान  गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा प्रदान किया गया। स्वर्गीय डा. पृथ्वी सिंह लांबा की ओर से उनके बड़े बेटे परमजीत सिंह व डा. देव राज भूंबला की ओर से पंजाब एग्रिकल्चर विवि में डीन पीजीएस डा. गुरिंदर कौर सांघा ने प्राप्त किया। इस अवार्ड में सम्मान पट्टिका, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल है।

स्वर्गीय डा. पीएस लांबा

- हिसार के दौलतपुर गांव में 10 अक्टूबर 1920 को डा. पीएस लांबा का जन्म हुआ।

- एग्रीकल्चर कालेज, लायलपुर (पाकिस्तान) से 1940  में कृषि विषय में स्नातक डिग्री, 1942 में पंजाब यूनिवर्सिटी से पौध प्रजनन विषय में स्नातकोत्तर डिग्री तथा अमेरिका की विसकोंसिन यूनिवर्सिटी से 1949 में पी-एच.डी. डिग्री हासिल की।

- भोपाल के कृषि विभाग में मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा कृषि निदेशक के पदों पर कार्य, इंदौर और सिहोर में कृषि कालेज तथा जबलपुर में कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

- एचएयू में 1969 में कृषि महाविद्यालय के डीन का पदभार संभालने के बाद वह 1971 से 1973 तक अनुसंधान निदेशक रहे।

- 1977 में इस विवि का कुलपति बनने से पूर्व वह महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नोलॉजी, उदयपुर के कुलपति रहे।

-  हकृवि में कुलपति के रूप में उनके चार वर्ष के कार्यकाल दौरान काफी सुधार किए।

- वह 1978-79 तक ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।

डा. देव राज भूंबला

- डा. देव राज भूंबला का जन्म 12 जून 1921 को हुआ था।

- एमएससी (एग्री.) लुधियाना से मृदा विज्ञान में और पीएचडी अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से मृदा रसायन विज्ञान में की।

- 1 अक्टूबर 1981 को एचएयू हिसार के कुलपति के रूप में पद संभाला।

- कुलपति के रूप में उन्होंने विश्वविद्यालय में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के विकास के लिए नए आयाम स्थापित किए।

- एचएयू में कृषि महाविद्यालय के डीन व अनुसंधान निदेशक व मृदा विज्ञान के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

- विवि के अलावा कृषि आयुक्त, भारत सरकार, उप महानिदेशक, आइसीएआर, संस्थापक निदेशक, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल (आइसीएआर) तथा परियोजना निदेशक, लैब टू लैंड प्रोग्राम (आइसीएआर)इत्यादि पदों पर रहे।

- उनके पास पत्रिकाओं और पत्रिकाओं की ख्याति के 200 से अधिक शोध लेख और कुछ पुस्तकें हैं।

- उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक समितियों का सदस्य होने का सम्मान भी प्राप्त है।

------हिसार से निकलकर देशभर में अपने ज्ञान की ज्योति से कृषि के क्षेत्र को दोनों ही विभूतियों ने बढ़ाने का काम किया। इन दोनों वैज्ञानिकों ने एचएयू में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों को तैयार किया।  लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड उस अधिकारी को दिया जाता है, जिन्होंने आजीवन उच्च मानकों का पालन करते हुए अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की हो।

- प्रो केपी सिंह, कुलपति, एचएयू, हिसार।

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