बदलते वक्‍त के साथ हाइटेक हो गया चुनाव प्रचार, मगर निगरानी करती पैनी नजर

प्रचार माध्यमों की जगह अब सोशल मीडिया ने ले ली है। यूट्यूब फेसबुक व व्हाट्सएप प्रमुख सोशल मीडिया एप हैं जिनका इस्तेमाल कर नेता जनता के बीच अपनी छवि चमकाकर वोट लेने की जुगत में है

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 05:22 PM (IST) Updated:Sat, 12 Oct 2019 09:34 AM (IST)
बदलते वक्‍त के साथ हाइटेक हो गया चुनाव प्रचार, मगर निगरानी करती पैनी नजर
बदलते वक्‍त के साथ हाइटेक हो गया चुनाव प्रचार, मगर निगरानी करती पैनी नजर

हांसी/हिसार [मनप्रीत सिंह] बदलते दौर के साथ जमाना हाइटेक हो गया है व चुनाव प्रचार के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। एक जमाने में जहां पर्चें, बिल्ले, स्टिकर व झंडों से उम्मीदवार प्रचार करते थे, वहीं इन परंपरागत प्रचार माध्यमों की जगह अब सोशल मीडिया ने ले ली है। यूट्यूब, फेसबुक व व्हाट्सएप प्रमुख सोशल मीडिया एप हैं, जिनका इस्तेमाल कर नेता जनता के बीच अपनी छवि चमकाकर वोट लेने की जुगत में लगे हुए हैं।

चुनाव आयोग के लिए भी सोशल मीडिया पर नेताओं द्वारा प्रमोशनल कंटेंट पर नजर रख पाना आसान नहीं है।

वर्तमान दौर में चुनाव प्रचार पूरी तरह से बदल चुका है। सोशल मीडिया प्रचार करने का इतना त्वरित व सुगम माध्यम है, जिसके द्वारा कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक संदेश पहुंचाया जा सकता है। यही वजह है कि बदलते दौर में परंपरागत प्रचार माध्यमों से किनारा करके नेता सोशल मीडिया की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।

हालांकि चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखने के लिए मीडिया एक्सपर्ट की टीम का गठन किया है, लेकिन सोशल मीडिया का रूप इतना विस्तृत है कि नेताओं के प्रमोशनल कंटेंट पर नजर रख पाना टीम के आसान नहीं है। नेताओं ने सोशल मीडिया वार रूम बना रखे हैं, जहां से व्हाट्सएप, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल एप का चुनाव प्रचार के लिए जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। नेता इतने शातिर ढंग से सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे चुनाव आयोग द्वारा पकडऩा आसान बिल्कुल नहीं है।

नेताओं ने बनाए खुद के यूट्यूब चैनल

चुनाव में यूट्यूब चैनलों का महत्व काफी बढ़ गया है। इसे देखते हुए नेताओं ने भी दूसरे नामों से यूट््यूब चैनल बना लिए हैं, जहां से अपने समर्थन में कंटेट को प्रचारित कर रहे हैं। अब ऐसे कंटेट पर चुनाव आयोग की एमसीएमसी टीम भी कार्रवाई नहीं कर सकती है। इसके अलावा व्हाट्सएप का भी नेता जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं व ग्रुप बनाकर अपने प्रचार से जुडे कंटेंट को सर्कुलेट कर रहे हैं।

एमसीएमसी के पास सीमित अधिकार

चुनाव मैदान में उतरे नेताओं के लिए नामांकन फार्म में अपने सोशल मीडिया अकाउंट््स की जानकारी देना अनिवार्य है। प्रत्याशियों के सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए आयोग ने एमसीएमसी कमेटी का गठन किया है जो हिसार लोकसभा के अंतर्गत आने वाले सभी हलकों के उम्मीदवारों के सोशल मीडिया अकाउंट््स पर नजर रख रही है। लेकिन कमेटी के पास सीमित अधिकार हैं व केवल उम्मीदवारों द्वारा चुनावी हलफनामे में बताए गए सोशल मीडिया खातों पर ही नजर रख सकती है। इसके अलावा किसी कंटेंट पर वह कार्रवाई नहीं कर सकती। आपत्तिजनक कंटेंट पर या तो आरओ स्वयं संज्ञान ले सकता है या फिर कोई आम आदमी इसकी शिकायत कर सकता है। 

उम्मीदवारों के सोशल मीडिया पर पैनी नजर

चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों के सोशल मीडिया खातों पर नजर रखने के लिए जो दिशानिर्देश जारी कर रखे हैं। उनके अनुसार एमसीएमसी कार्रवाई कर रही है। कमेटी के पास केवल प्रत्याशियों द्वारा दर्शाए गए सोशल मीडिया अकाउंट्स के कंटेंट को मॉनिटर करने का अधिकार है। उम्मीदवारों के प्रमोशनल कंटेंट के बारे में भी रिपोर्ट कर रहे हैं।

- डा. उमेश आर्य, इंचार्ज, एमसीएमसी कमेटी।

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