दो साल में चीन से 400 मिलियन डॉलर के आयात को शून्य पर लाएगा जेएसडब्ल्यू

बड़ी कंपनियां अब चीन से आयात बंद करने की तैयारी पूरी कर रही हैं। जिंदल साउथ-वेस्ट ग्रुप चीन से अपना 400 मिलियन डाॅलर का आयात दो साल में पूरी तरह बंद कर देगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 08:56 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 08:56 AM (IST)
दो साल में चीन से 400 मिलियन डॉलर के आयात को शून्य पर लाएगा जेएसडब्ल्यू
दो साल में चीन से 400 मिलियन डॉलर के आयात को शून्य पर लाएगा जेएसडब्ल्यू

हिसार, [वैभव शर्मा]। स्टील के क्षेत्र में देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवा चुकी जेएसडब्ल्यू ग्रुप(जिंदल साउथ-वेस्ट ग्रुप) की कंपनियां अब चीन को सबक सिखाने की तैयारी में हैं। जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने चीन के सामान पर भारत की निर्भरता को कम करने का फैसला लिया है। वह चाहते हैं कि भारतीय बाजार आयातित सामान की भरपाई के लिए खुद को सशक्त करे।

जिंदल स्टील स्थानीय मैन्युफेक्चरर की मदद कर चीन से आने वाले प्रोडक्ट भारत में ही कराएगा तैयार

इसकी जानकारी जेएसडब्ल्यू सीमेंट के प्रबंध निदेशक पार्थ ङ्क्षजदल ने ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि हमारे बहादुर जवानों पर चीन द्वारा अकारण किया गया हमला हमारे लिए सबक है। इस कार्रवाई पर यह स्पष्ट आह्वान है कि जेएसडब्ल्यू ग्रुप अब तक चीन से सालाना 400 मिलियन डॉलर का शुद्ध आयात करता रहा है।

जेएसडब्ल्यू के प्रबंध निदेशक पार्थ जिंदल ने ट्वीट कर दी जानकारी

पार्थ जिंदल ने लिखा है, हम संकल्प लेते हैं कि अगले 24 महीनों में 400 मिलियन डॉलर के आयात को शून्य पर लाएंगे। साथ ही उन्होंने बॉयकाट चाइना का आह्वान भी किया। जेएसडब्ल्यू सीमेंट के प्रबंध निदेशक पार्थ के पिता सज्जन ङ्क्षजदल के स्वामित्व में जेएसडब्ल्यू समूह संचालित होता है। यह ग्रुप इस्पात, ऊर्जा, सीमेंट और बुनियादी ढांचे में प्रमुख रूप से बिजनेस करता है।

जेएसडब्ल्यू ग्रुप देश को ऐसे करेगा सशक्त

कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि स्टील इंडस्ट्री में अभी तक चीन से रॉ मैटीरियल और मशीनों के पुर्जे आयात किए जाते हैं। इसको देखते हुए जिंदल इंडस्ट्री अपनी खरीदारी में प्राथमिकता के तौर पर स्थानीय निर्माताओं के साथ काम करेगी। चीन से आयात कम हो इसके लिए स्थानीय निर्माताओं को तकनीकि से लेकर कई दूसरी प्रकार की सहायता भी देगी ताकि यह इंडस्ट्री क्षमता बढ़ा सकें। अगर कोई सामान स्वदेशी नहीं मिलता है तो विकल्प के रूप में किसी दूसरे देश की तरफ रुख किया जाएगा। इसकी तैयारी कंपनी ने शुरू कर दी है। इस काम को करने के पीछे कंपनी का उद्देश्य है कि चीन पर निर्भरता कम हो।

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गलवन घाटी में तनाव के बाद बना बॉयकाट चीन का माहौल

कंपनी के अधिकारी ने अनुमान लगाया कि कंपनी इस्पात और ऊर्जा व्यवसाय के लिए 70-80 फीसद आयात करती है। जिसमें मशीनरी और रखरखाव उपकरण शामिल हैं। भारतीय और चीनी सेना पिछले कुछ समय से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर आमने-सामने हैं। 15 जून को गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के बलिदान होने के बाद तनाव कई गुना बढ़ गया है।

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