खेलने-कूदने की उम्र में ही जिले की 17 फीसद लड़कियां बन रहीं बालिका वधू

मनप्रीत ¨सह, हांसी : बेशक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिसार जिला शिक्षा, उद्योग, मनोरंजन, खेल आदि अ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Aug 2018 09:42 PM (IST) Updated:Wed, 08 Aug 2018 09:42 PM (IST)
खेलने-कूदने की उम्र में ही जिले की 17 फीसद लड़कियां बन रहीं बालिका वधू
खेलने-कूदने की उम्र में ही जिले की 17 फीसद लड़कियां बन रहीं बालिका वधू

मनप्रीत ¨सह, हांसी : बेशक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिसार जिला शिक्षा, उद्योग, मनोरंजन, खेल आदि अनेक क्षेत्रों में अपना नाम चमका रहा हो लेकिन सामाजिक धरातल पर बाल विवाह जैसी कुरीति से जूझ रहा है। राष्ट्रीय फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 20 से 24 वर्ष की विवाहित लड़कियों में 17.7 फीसद 18 साल की उम्र से पहले ही बालिका वधू बन गई। वहीं 25 से 29 वर्ष की आयु के विवाहित व्यक्तियों में 34.6 फीसद 21 साल की बालिग अवस्था को छूने से पहले ही शादी के बंधन में बंध गये।

समाज में सदियों से व्याप्त बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को खत्म करने के लिये सरकार लंबे समय से प्रयासरत है। लेकिन समाज के फैली इस कुरीति को लेकर लोगों की सोच में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हो पा रहा है। बाल विवाह को लेकर हालात केवल ग्रामीण पृष्ठभूमि के इलाकों में ही नहीं बल्कि शहरी इलाकों में भी ¨चताजनक हैं। फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट में 24 वर्ष तक की बाल विवाहित लड़कियों में से 20.7 फीसद ग्रामीण हैं, जबकि 10.3 फीसद शहरी लड़कियां है। इस सर्वे में कई चौंकाने वाले आंकड़ों सामने निकलकर सामने आये हैं। सर्वे बताता है कि जिले में उन विवाहिता लड़कियों में से 4.6 फीसद लड़कियां 19 साल की उम्र से पहले ही मां बन चुकी हैं। इतनी छोटी उम्र में मां बनने से युवती को शारीरिक व मानसिक दोनों तरह से नुकसान होता है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि बाल विवाह को लेकर लोगों की सोच बदलने के लिये चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों पर लोगों की रूढि़वादी सोच हावी है। ---300 से अधिक गांवों व 11 शहरों में जागरूकता की जिम्मेदारी मात्र 3 कर्मचारियों के कंधों पर वहीं, जिले में बाल विवाह को रोकने के लिये एक जिला संरक्षण कम बाल विवाह निषेध अधिकारी के नेतृत्व में कुल पांच कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है। लेकिन इनमें से दो पुलिस कर्मी हैं, जो अस्थाई नियुक्ति पर हैं व अधिकतर वीआईपी व अन्य ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं। इनके अलावा एक डाटा इंट्री आपरेटर तथा एमपीडब्यू है। ऐसे में मात्र तीन कर्मचारियों के कंधों पर जिले के 300 से अधिक गांवों व करीब 11 शहरों में जागरूकता अभियान चलाने व बाल विवाह पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है। जिले के आकार और सामाजिक पहलुओं को देखते हुए ये कर्मचारी बाल विवाह को लेकर जागरूक करने वे शिकायतों पर करवाई करने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। --साल दर साल बढ़ती बाल विवाह की शिकायतें

वर्ष शिकायतें

2017-18 - 41

2016-17 - 34

2015-2016 - 22

2014-2015- 2

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