स्टांप ड्यूटी वसूलने में निगम फिसड्डी

By Edited By: Publish:Thu, 21 Nov 2013 04:06 PM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2013 04:07 PM (IST)
स्टांप ड्यूटी वसूलने में निगम फिसड्डी

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : आज भले ही प्रदेश के सबसे धनाढ्य नगर निगम में गुड़गांव की गिनती होती है लेकिन यदि निगम अपनी आय बढ़ाने एवं वसूली को लेकर इसी प्रकार निष्क्रिय रहा तो यह तय है कि आने वाले समय में उसका खजाना खाली हो जाएगा। वसूली का आलम यह है कि स्टांप ड्यूटी से होने वाली आय के रूप में निगम खजाने में करोड़ों रुपये बैठे-बैठे आते हैं लेकिन निगम अधिकारी उसे भी लेने में लापरवाही बरत रहे हैं। यही कारण है कि निगम को स्टांप ड्यूटी का करीब 335 करोड़ रुपये तहसील से लेना है लेकिन वह हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इसके अलावा ट्रेड लाइसेंस, प्रॉपर्टी टैक्स सहित दूसरी राजस्व वसूली में भी वह पहले ही फिसड्डी साबित हो रहा है।

तहसील में विक्रय होने वाले स्टांप ड्यूटी का दो प्रतिशत पैसा निगम खजाने में आता है। यह राशि करोड़ों में होती है। औसतन माने तो स्टाप ड्यूटी से निगम को औसतन हर माह 20 से 25 करोड़ रुपये की आय होती है। इस भारी-भरकम राशि को वसूलने के लिए निगम को मात्र तहसील, ट्रेजरी व जिला प्रशासन से पत्र व्यवहार करना होता है। बावजूद इस कार्य में निगम की एकाउंट शाखा घोर लापरवाही बरतती है। यही कारण है कि पिछले सालों के साथ ही चालू वित्तीय वर्ष का स्टांप ड्यूटी का करीब 335 करोड़ रुपये निगम को नहीं मिला है। अधिकारियों की लापरवाही का ही नमूना है कि निगम को वर्ष 2011-12 का करीब 99 करोड़, 2012-13 का 135 तो चालू वित्तीय वर्ष का करीब सौ करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी के एवज में तहसील से लेना है। बावजूद अधिकारी इसके लिए अधिक प्रयास नहीं कर रहे हैं। यही कारण हैं कि स्टांप ड्यूटी का पैसा निगम को काफी देरी से मिलता है। दूसरी ओर निगम अधिकारी इसलिए चिंता नहीं करते कि सरकारी मद से पैसा आना है और वह आज नहीं तो कल आ ही जाएगा। जबकि उनका ध्यान ब्याज की ओर नहीं जाता।

मोटे ब्याज का नुकसान

यदि स्टांप ड्यूटी का पैसा हर माह निगम खजाने में आए तो उसे ब्याज का फायदा मिल सकता है। निगम को हर माह औसतन 20 से 25 करोड़ के बीच स्टांप ड्यूटी का पैसा मिलता है। यदि यह पैसा समय पर निगम को मिले तो उसे इस पैसे के एवज में बैंक से मोटा ब्याज मिल सकता है। इस तरफ निगम अधिकारियों का ध्यान ही नहीं है।

आउटसोर्सिग कर्मी पर वसूली की जिम्मेदारी

निगम में बड़ी तादात में आउटसोर्सिग कर्मी हैं। अधिकतर महत्वपूर्ण कार्य का जिम्मा इन्हें ही दिया गया है। जबकि इनकी न तो कोई जिम्मेदारी होती है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आदि होने पर निगम उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकता है। इसी के चलते वह अपने हिसाब से काम करते हैं। निगम में वसूली जैसे कार्य का जिम्मा आउटसोर्सिग कर्मियों को सौंप रखा है। यही कारण हैं कि प्रॉपर्टी, ट्रेड लाइसेंस सहित अन्य प्रकार की वसूली में निगम रसातल में जा रहा है। जबकि वसूली जैसे अहम काम की जिम्मेदारी स्थायी कर्मियों को दी जाना चाहिए।

जल्द मोटा पैसा आने की उम्मीद

''स्टांप ड्यूटी से निगम को मोटी आय होती है लेकिन यह पैसा मिलने में समय लगता है। सरकारी कार्यप्रणाली कहें या फिर प्रोसेस अधिक होने के कारण पेमेंट मिलने में देरी हो जाती है। इसके लिए निगम लगातार पत्र व्यवहार करता है। उम्मीद है कि पिछले सालों का बकाया करोड़ों रुपये जल्द ही निगम खजाने में पहुंच जाएगा।''

-बीएस सांगवान, एकाउंट ऑफिसर नगर निगम

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