सुप्रीम कोर्ट से स्टे होने के बाद मेट्रो ने शुरू किया यार्ड लाइन का काम, बनाए जाएंगे 13 पिलर

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: सेक्टर-9 बाईपास के पास बने मेट्रो यार्ड की लाइन का निर्माण्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Jun 2018 11:58 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jun 2018 11:58 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट से स्टे होने के बाद मेट्रो ने शुरू किया यार्ड लाइन का काम, बनाए जाएंगे 13 पिलर
सुप्रीम कोर्ट से स्टे होने के बाद मेट्रो ने शुरू किया यार्ड लाइन का काम, बनाए जाएंगे 13 पिलर

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

सेक्टर-9 बाईपास के पास बने मेट्रो यार्ड की लाइन का निर्माण कार्य आखिरकार लंबे अरसे बाद डीएमआरसी ने शुरू कर दिया है। यार्ड लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे किए जाने के बाद डीएमआरसी ने जमीन पर कब्जा लेते हुए निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। मेट्रो की ओर से फिलहाल दो जगह बेरीकेडिग करके पिलर की खुदाई करने की दिशा में काम शुरू किया गया है। यार्ड लाइन के लिए मेट्रो की ओर से 13 पिलर बनाए जाएंगे, जिसके लिए पाइलिंग व कास्टिग बहुत जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। अब यार्ड के पास ही अधूरी पड़ी यार्ड लाइन का काम शुरू होने की उम्मीद जग गई है।

गौरतलब है कि मेट्रो यार्ड लाइन की जमीन के अधिग्रहण का मामला काफी लंबे समय से अटका हुआ था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बैंच में शामिल जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस गुरविंद्र सिंह गिल ने सितंबर 2017 में इस जमीन के अधिग्रहण को रद कर दिया था। हाईकोर्ट ने उस समय एचएसवीपी को दुकानदारों को सीधे तौर पर मनाने के लिए छह माह का समय दिया था लेकिन इस दौरान जमीन के रेट को लेकर सरकार सौदा तय नहीं कर पाई थी। इसी के चलते मई माह में सरकार व एचएसवीपी ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में अधिग्रहण रद किए जाने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को स्टे नोटिस जारी किया था। अब ये नोटिस सर्व होने के बाद ही इस मामले में आगामी सुनवाई होगी, फिलहाल मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से 31 अगस्त 2018 संभावित तिथि रखी गई है। इसी जमीन की वजह से मुंडका-बहादुरगढ़ मेट्रो के परिचालन में देरी हो रही थी लेकिन पिछले दिनों सीएमआरएस ने मेट्रो परिचालन के लिए हरी झडी दे दी थी। अब बिना यार्ड लाइन के लिए ही मेट्रो की सिटी कभी भी बहादुरगढ़ में बज सकती है, इसके लिए मेट्रो की ओर से हर रोज बड़े जोर-शोर से ट्रायल किया जा रहा है। यह है मामला

दरअसल, सेक्टर-9 बाईपास के पास बन रहे मेट्रो यार्ड की लाइन के लिए बाईपास के साथ दिल्ली रोड पर राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगती जमीन का अधिग्रहण किया गया था। 50 से अधिक लोगों की करीब 4 हजार वर्ग गज जमीन के अधिग्रहण का अवार्ड 1 अप्रैल 2016 को सुनाया गया था। अवार्ड का दुकानदारों ने विरोध किया था और डीआरओ को मौके से भगा दिया था। दुकानदारों का आरोप था कि राजमार्ग के साथ लगती इस वाणिज्यिक जमीन का अधिग्रहण हुडा की ओर से खेतों के आधार पर 5847 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से किया गया, जबकि इस जमीन का तत्कालीन सर्कल रेट ही उस समय 55 हजार 500 रुपये था। ऐसे में दुकानदार सर्कल रेट की माग कर रहे थे, जबकि हुडा की ओर से दुकानदारों का विरोध किए जाने के बाद भी इसी रेट मुआवजा दिया जा रहा था। बाद में इसका कड़ा विरोध होता रहा और प्रशासन ने जमीन पर कब्जा भी ले लिया था। कई दुकानों को तुड़वाकर मेट्रो को जमीन का कब्जा भी सौंप दिया था लेकिन मेट्रो की ओर से यहा पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया था। इस अधिग्रहण के खिलाफ दुकानदार और भू मालिकों ने एक याचिका 28 मई 2016 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बुधवार को इस मामले का निपटारा करते हुए वादी पक्ष को जायज ठहराते हुए अधिग्रहण प्रक्रिया को ही रद कर दिया। हालाकि कोर्ट ने भू मालिकों को मनाने के लिए एचएसवीपी को छह माह का समय दिया था, जिसमें अधिकारियों की ओर से पूरी कोशिश की गई और प्रोजेक्ट की जमीन को भी करीब 5 हजार वर्ग गज से ढाई हजार वर्ग गज तक ले आए थे। मगर रेट जायज न होने की वजह से बात सिरे नहीं चढ़ सकी और छह माह का समय बीत गया। अब एचएसवीपी व सरकार ने मेट्रो के काम का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से किए गए अधिग्रहण को लागू करने की माग की थी, जिसको लेकर गत 17 मई कोई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस स्टे किया था।

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जमीन पर कब्जा तो पहले से ही मेट्रो को दे दिया गया था। कोर्ट में मामला जाने की वजह से मेट्रो निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट में स्टे होने के बाद मेट्रो ने दोबारा से यार्ड लाइन बनाने का काम शुरू कर दिया है। बहुत जल्द ही इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। मेट्रो की ओर से विवादित जमीन पर करीब 13 पिलर बनाए जाने है।

-विकास ढाडा, संपदा अधिकारी, एचएसवीपी।

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