फिल्म रिव्यू: ही नेम्ड मी मलाला (2.5 स्टार)

दुनिया की सबसे युवा प्रतिभागी मलाला युसुफजई, जिसे नोबल प्राइज प्राप्त हुआ। उन पर डेविस गगनहेम ने एक डाक्यूमेंट्री बनाई है। पाकिस्तान की यंग एक्टिविस्ट को कई तरह के हमलों का शिकार होना पड़ा है। बावजूद इसके मलाला ने लड़कियों के समान अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Sat, 07 Nov 2015 07:45 AM (IST) Updated:Fri, 13 Nov 2015 12:29 PM (IST)
फिल्म रिव्यू: ही नेम्ड मी मलाला (2.5 स्टार)

प्रमुख कलाकारः मलाला युसुफजई
निर्देशकः डेविस गगनहेम
स्टारः 2.5

दुनिया की सबसे युवा प्रतिभागी मलाला युसुफजई, जिसे नोबल प्राइज प्राप्त हुआ। उन पर डेविस गगनहेम ने एक डाक्यूमेंट्री बनाई है। पाकिस्तान की यंग एक्टिविस्ट को कई तरह के हमलों का शिकार होना पड़ा है। बावजूद इसके मलाला ने लड़कियों के समान अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी है। वो एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व है। इस बात में कोई दो राय नहीं है।

ही नेम्ड मी मलाला

बावजूद इसके गगनहेम ने नोबल पर फोकस न करते हुए मलाला के आम जीवन पर फोकस किया है।

इसका उद्देश्य निश्चित रूप से यह रहा होगा कि मलाला के ऊपर पहले भी बहुत कुछ लिखा जा चुका है। समाचार पत्रों की हेडलाइन्स हो या फिर विशेष कवरेज। इन सभी में मलाला रही है। ऐसे में उनका फोकस था कि कुछ अलग बताया जाए। यह बात भी स्पष्ट है कि युसुफजई की कहानी निश्चित रूप से प्रेरणादायी है। आप इसे किसी भी लिहाज से देखें।

मलाला को पंद्रह साल की उम्र में गोली मार दी गई थी। वो न सिर्फ जिंदा बची बल्कि एक बार फिर दुनिया के सामने निर्भिक होकर लौटीं। मलाला ने हर चुनौती का डटकर सामना किया। वो अपने आप में हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। डाक्यूमेंट्री में मलाला का परिवार, जीवन, उनकी सोच आदि की बात करने की कोशिश की गई है। बावजूद इसके कुछ कमी सी खलती है।

मसलन मलाला अपने इस विचार को दुनिया तक कैसे पहुंचाएगी। वो समान अधिकार की बात को कैसे लागू कर पाएंगी। इन विचारों के पीछे का समीकरण क्या है। ऐसे कई सवाल हैं जो डाक्यूमेंट्री में अनकहे रह जाते हैं। कई बातें है जो बाहर नहीं आ पाती है।

-जॉनसन थॉमस

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