फ़िल्म समीक्षा: 'अ जेंटलमैन' में कोई ख़ास दम नहीं (ढाई स्टार)

गिने-चुने दृश्यों के अलावा फ़िल्म,दर्शकों पर पकड़ बरकरार नहीं रख पाती।

By Hirendra JEdited By: Publish:Fri, 25 Aug 2017 04:14 PM (IST) Updated:Fri, 25 Aug 2017 04:20 PM (IST)
फ़िल्म समीक्षा: 'अ जेंटलमैन' में कोई ख़ास दम नहीं (ढाई स्टार)
फ़िल्म समीक्षा: 'अ जेंटलमैन' में कोई ख़ास दम नहीं (ढाई स्टार)

-पराग छापेकर

मुख्य कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, जैकलिन फर्नांडिस, सुनील शेट्टी आदि

निर्देशक: कृष्णा डीके और राज

निर्माता: फॉक्स स्टार स्टुडियोज़

निर्देशक कृष्णा डीके और राज की फ़िल्म 'अ जेंटलमैन' एक औसत कमर्शियल फ़िल्म है। फ़िल्म शुरू होते ही हम देखते हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा यानी गौरव एक सीधे साधे टेक्नोक्रेट है जो मीयामी मैं जॉब करते हैं। उनका सपना है अपना घर-परिवार और बच्चे, इसके अलावा वह कुछ नहीं सोचते।

उनका दिल आया हुआ है उन्हीं के साथ काम करने वाली जैकलीन पर। जैकलीन लाइफ में मौज मस्ती करने लेकिन एक रिस्क उठाने वाली लड़की है। उसे लगता है गौरव उसके लिए सही नहीं है। क्योंकि, वह बहुत ही सेफ है। उसकी ज़िंदगी में कोई एडवेंचर नहीं है और वह सिर्फ उसे एक अच्छा दोस्त मानती है।

वहीं, दूसरी और ऋषि यानी सिद्धार्थ मल्होत्रा बैंकॉक में कोई इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट चुराने के मिशन पर लगे हुए हैं। धीरे-धीरे मालूम होता है कि ऋषि एनआईए के लिए काम करता है और जो अपने काम के खून-खराबे को लेकर परेशान है और अब वो ये काम छोड़ना चाहता है।

ऐसे में कर्नल (सुनील शेट्टी) जो उसका बॉस है उसे एक आख़िरी काम करने के लिए कहता है जिसके लिए उसे मुंबई जाना होता है। इस बीच गौरव का भी मुंबई आना होता है। क्या दोनों मिलते हैं? फ़िल्मी कहानियों की तरह दोनों का आमना सामना होगा? दोनों के बीच कोई रिश्ता है या नहीं? इसी ताने-बाने पर बुनी गई है 'अ जेंटलमैन'।

'अ जेंटलमैन' एक साधारण सी कमर्शियल फ़िल्म है। जिसमें ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं होती। निर्देशक द्वय ने फ़िल्म पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए काफी मशक्कत भी की है किंतु, वे सफलता हासिल नहीं कर सकें!

अभिनय की बात करें तो सिद्धार्थ मल्होत्रा हर फ़िल्म में अपने अभिनय में काफी मेहनत करते नजर आते हैं, इस फ़िल्म में भी वह दोनों ही किरदार में सफल हुए हैं। जैकलिन को जिस काम के लिए रखा गया था वह उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश की है।

फ़िल्म का संगीत कर्णप्रिय है। कुछ गाने आपके पांव को थिरका भी देते हैं। मगर कहानी में कोई ख़ास दम नहीं है। इस तरह की ढेरों कहानियां हम ना सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि रीज़नल सिनेमा में भी देख चुके हैं। गिने-चुने दृश्यों के अलावा फ़िल्म,दर्शकों पर पकड़ बरकरार नहीं रख पाती।

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: 5 में से 2.5 (ढाई) स्टार

अवधि: 2 घंटे 12 मिनट

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