अलग है मेरा तरीका - रणवीर सिंह

एक परिचित कलाकार बनने को जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य मानते हैं रणवीर सिंह। संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए उन्होंने की है कड़ी मेहनत। फिल्म को लेकर उन्होंने खुलकर बात की

By Monika SharmaEdited By: Publish:Sun, 06 Dec 2015 10:01 AM (IST) Updated:Sun, 06 Dec 2015 10:23 AM (IST)
अलग है मेरा तरीका - रणवीर सिंह

एक परिचित कलाकार बनने को जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य मानते हैं रणवीर सिंह। संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए उन्होंने की है कड़ी मेहनत...

क्या बाजीराव ने मस्तानी से मुहब्बत की है?
जी हां, बाजीराव ने मस्तानी से मुहब्बत की है, अय्याशी नहीं। वह बार-बार ऐसा कहता रहता है, क्योंकि कई लोग ऐसे हैं, जो उनकी मुहब्बत के खिलाफ हैं। लिहाजा वह चाहता है कि लोग उनके रिश्ते को समझें व उसका सम्मान करें।

संजय लीला भंसाली के और इतिहास के बाजीराव में कितना अंतर है? या फिर दोनों को एक जैसा ही रखा गया है?
एक किताब है ‘पेशवा घराण्याचां इतिहास’। उसमें दर्ज कहानी को संजय सर ने खूबसूरती से दर्शाया है। फिल्म उस किताब पर आधारित है। बाजीराव और मस्तानी के बारे में जो व्याख्या वहां की गई है, उसे ही फिक्शन की शक्ल दी गई है। पर वे यह नहीं कह रहे हैैं कि दोनों के रिश्तों की कशमकश असल में भी वैसी ही रही होगी, जैसा फिल्म में है।

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बाजीराव आपके लिए क्या हैैं?
मैंने स्कूल में केवल शिवाजी महाराज के इतिहास के बारे में पढ़ा था। पेशवा बाजीराव के बारे में पूर्ण विवरण नहीं दिया गया था। उनके बारे में ज्यादा पढ़ाया नहीं गया था। वैसे भी मैं तो हिंदी फिल्मों का कीड़ा हूं। संजय सर का मैं बचपन से प्रशंसक रहा हूं। सुनने में आया था कि वे ‘बाजीराव मस्तानी’ फिल्म बडे़ पैमाने पर बनाना चाह रहे हैं। उन्होंने ‘गुंडे’ के समय मुझे इस फिल्म का प्रस्ताव दिया था। उस वक्त भी मुझे बाजीराव के बारे में ज्यादा नहीं पता था। मैंने केवल विकिपीडिया पर मिली जानकारी ही पढ़ी थी। जब नरेशन सुना, तब पता चला कि वह सच में एक महान व्यक्ति थे। उसके साथ-साथ वे एक समर्पित पति, एक बेटा, एक पिता, एक योद्धा और एक लीडर थे। उन्होंने अपने जीवन में कई सारे किरदार निभाए। वक्त से पहले उनका देहांत भी हो गया था। उस समय उन्होंने चालीस से अधिक लड़ाइयां लड़ी थी। उन सभी में उनकी जीत हुई। उन्होंने काफी कुछ पा लिया था। निर्देशन टीम ने बाजीराव के लिए एक रिसर्च मैटेरियल तैयार किया था। वह मुझे दिया गया था। मैं उसका अभ्यास करता था। तीन हफ्तों के लिए मैं एक होटल के कमरे में बंद था। मैंने उस दौरान ढेर सारी मराठी फिल्में देखीं। एक मराठी कोच आते थे। हम एक साथ काफी घंटे बिताते थे। ट्रेनर आते थे। मेरे शरीर को योद्धा की तरह बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी। मैंने सुबह से लेकर देर रात तक सिर्फ इस किरदार की तैयारी की। नरेशन सुनने पर मुझे लगा कि यह अलग किरदार निभाने का अनोखा मौका है। हर स्तर पर नई आवाज, चाल-ढाल का नया रंग। बाजीराव की सारी आदतों, उनकी आवाज पर बारीकी से काम किया। भंसाली सर का काम करने का यही तरीका है। वे बतौर क्रिएटिव होने के नाते एक्टर को अपनी टीम में ले आते हैैं। वे अपने एक्टर के साथ सारी टीम को चुनौती भी देते हैं। वे मुझे उड़ने के लिए पंख दे देते हैैं। वे मुझे दिल से काम करने की सलाह देते हैैं।

भंसाली पारदर्शक हैैं या कुछ और?
हां वे पारदर्शक हैं। अच्छा करने पर एक्टर को दुनिया का किंग बना देंगे। नतीजतन एक्टर अधिक प्रेरित हो जाता है। वहीं काम पसंद न आने पर भी बोल देंगे। हमें तब पता चल जाता है कि उन्हें काम नहीं भा रहा है यानि कुछ गलती हो रही है। उन्हें एक गिफ्ट मिला है। वे बारीकी से काम करते भी हैं और करवाते भी हैं।

आपने कहा कि बाजीराव पति भी है पिता भी, योद्धा भी है, लीडर भी। फिल्म के अंदर कौन सा रूप ज्यादा है?
यह फिल्म बाजीराव की प्रेम कहानी दर्शाती है। इसके बावजूद फिल्म में हर पहलू दिखेगा। हर रूप देखने को मिलेगा। जैसा कि मैैंने पहले कहा, बहुत ही खूबसूरती से हर रंग दिखेगा।

आप बाजीराव से किस स्तर पर जुड़ाव महसूस करते हैं?
वे निडर थे। उन्हें जो सही लगता था वे वही करते थे। वे किसी की परवाह नहीं करते थे। वे किसी चीज में विश्वास करते तो उसके लिए आखरी सांस तक लड़ते थे। वे हमेशा सही का साथ देते थे। उनकी जिंदगी का मकसद मराठा साम्राज्य को बढ़ाना था। मैं इसी खूबी से जुड़ाव महसूस करता हूं। मुझे भी एक परिचित कलाकार बनना है। यही मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य है। इस वजह से मैं काम को पूरे जज्बे के साथ करता हूं।

दो बेहतरीन अभिनेत्रियों के साथ काम करके कोई जटिलता महसूस होती है?
मेरे ख्याल से एक्टिंग में कोई स्पर्धा नहीं है। मैं तो यह चाहता हूं कि इस फिल्म से जुडे़ हर व्यक्ति का काम मिलाकर ‘बाजीराव मस्तानी’ यादगार फिल्म बने। मेरा किरदार अलग है। मेरा काम करने का तरीका अलग है। हां, कई बार अपने सह कलाकारों के एक्ट से अचरज में पड़ जाता हूं। एक बार शॉट में दीपिका ने एक संवाद ऐसे बोला कि मैं अपनी लाइन भूल गया। मैंने उनसे उम्मीद नहीं की थी। मैं तो खो गया। मैं तो मानता हूं कि दमदार एक्टरों के साथ काम करके मेरा काम भी दमदार हो जाता है।

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