आएगा मजा डराने में : जिम्मी शेरगिल

जिम्मी शेरगिल इन दिनों अलग-अलग भूमिकाएं कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रयोगधर्मी भूमिका उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म 'डर ऐट मॉल' में की है। उनसे इस संदर्भ में बातचीत के अंश: 'डर ऐट मॉल' ये कैसा शीर्षक है और इसका हिस्सा कैसे बनें? इस शीर्षक से स्पष्ट है कि कह

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jan 2014 11:27 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jan 2014 11:39 AM (IST)
आएगा मजा डराने में : जिम्मी शेरगिल

मुंबई। जिम्मी शेरगिल इन दिनों अलग-अलग भूमिकाएं कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रयोगधर्मी भूमिका उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म 'डर ऐट मॉल' में की है। उनसे इस संदर्भ में बातचीत के अंश:

'डर ऐट मॉल' ये कैसा शीर्षक है और इसका हिस्सा कैसे बनें?

इस शीर्षक से स्पष्ट है कि कहानी एक मॉल के अंदर सेट की गई है। जहां पर कुछ लोग आकर फंस जाते हैं और एक के बाद एक मौत होती है। फिल्म की कहानी जिस तरह से लेखकों ने लिखी थी तो मुझे लगा कि इसे शूट करना बहुत मुश्किल है, पर निर्माता अभिमन्यु सिंह को पूरा भरोसा था कि यह काम हो सकेगा। अभिमन्यु मेरे पुराने दोस्त और चंद्रचूड सिंह के भाई हैं। मैं और चंद्रचूड एक दूसरे को 'माचिस' के समय से जानते हैं। अभिमन्यु टीवी का जाना पहचाना नाम हैं। उनका फिल्मों में आना मेरे लिए बड़ी खुशी की बात थी तो मैंने फिल्म के लिए हां कर दी।

क्या किरदार है इस फिल्म में?

मैं एक वॉचमैन के किरदार में हूं। एक ऐसा वॉचमैन जो डिफेंस सर्विस से सेवानिवृत्त होकर आया है। हम अपनी जिंदगी में अक्सर सुरक्षाकर्मियों को कम आंकते हैं लेकिन मॉल का सुरक्षाकर्मी पूरी इमारत को सबसे अच्छे से जानता है। उसको कहीं से भी होने वाले खतरे का अंदाजा रहता है। मैं इस फिल्म में एक ऐसा ही वॉचमैन बना हूं जो खतरे को भांप लेता है। फिल्म के निर्देशक पवन कृपलानी ने बड़ी मेहनत और शिद्दत के साथ इसे शूट किया है। उनकी पिछली फिल्म 'रागिनी एमएमएस' भी काफी डरावनी थी। इस बार भी उन्होंने इस बात को साबित किया है। फिल्म शूट हो चुकी है और अब पोस्ट प्रोडक्शन स्टेज में चल रही है।

हॉरर फिल्मों के जॉनर में कितना कंफर्टेबल पाते हैं खुद को?

मैं बहुत हॉरर फिल्में देखता हूं। जब भी कोई अच्छी हॉरर फिल्म आती है तो मिस नहींकरता। घर की सारी बत्तियां बुझाकर पूरा माहौल बनाकर मैं इस तरह की फिल्में देखना पसंद करता हूं। मैंने स्ट्रेंजर्स नाम की एक हॉरर फिल्म की थी लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। अब मैं उसे हॉरर फिल्म भी नहीं कहूंगा क्योंकि ऑडियंस उससे डरी नहीं थी। सही मायनों में 'डर ऐट मॉल' मेरे कॅरियर की पहली हॉरर फिल्म है।

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'बुलेट राजा' के न चल पाने का कोई मलाल?

फिल्में चलती हैं और फिल्में नहीं भी चलती हैं। एक अभिनेता के तौर पर हम अपना सौ फीसदी देते हैं, लेकिन 'बुलेट राजा' थोड़ी पर्सनल फिल्म थी। तिग्मांशु दोस्त हैं और उत्तर प्रदेश में पैदा होने के नाते मुझे वहां की कहानियां अपील करती हैं। ये कहानी क्यों नहीं चली, समझ नहीं आया।

कुछ लोग कह रहे हैं आपके किरदार का बीच में मर जाना दर्शकों को हजम नहीं हुआ?

मेरे किरदार रुद्र प्रताप का बीच में मर जाना मूल फिल्म का हिस्सा नहीं था। यह शूटिंग के दौरान तय हुआ कि रूद्र बीच में मर जाएगा। बाद में मुझे कुछ प्रतिक्रियाएं मिली इस किरदार को लेकर। जिनमें अधिकतर नकारात्मक थी। नकारात्मक इस संदर्भ में कि आपने काम अच्छा किया है, लेकिन आपके किरदार को बीच में नहीं मरना चाहिए था। अभी तक फिल्म रिलीज के बाद से मैं तिग्मांशु से नहीं मिला हूं। आगे मिलूं तो शायद इस बारे में बात हो सके। (दुर्गेश सिंह)

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