Exclusive: विवेक ओबराय ने अपनी टीचर्स के साथ की ऐसी हरकतें, और फिर...

विवेक- "मैं जब मुम्बई कॉलेज की पॉलिटिक्स के चुनाव में खड़ा हुआ तो किसी पार्टी विशेष से नहीं बल्कि निर्दलीय खड़ा हुआ और चुनाव जीत गया। जीत के बाद मुझे बहुत से धमकी भरे फोन आये।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 02 Nov 2016 05:02 PM (IST) Updated:Wed, 02 Nov 2016 06:28 PM (IST)
Exclusive: विवेक ओबराय ने अपनी टीचर्स के साथ की ऐसी हरकतें, और फिर...

संजय मिश्रा, मुंबई। विवेक ओबराय ने माना है कि स्कूल के दिनों में वो इतने शरारती और गरम-दिमाग के हुआ करते थे कि कई बार बदला लेने के लिए अपने स्कूल की टीचरों के साथ शरारत की हदें पार कर जाते थे।

एक बातचीत के दौरान अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए विवेक ओबेरॉय बताते हैं- "मैं स्कूल में बहुत शरारती था, लेकिन स्कूल के टीचर्स को ये बात पता नही थी। उनको लगता था विवेक जैसा सीधा बच्चा तो कोई और है ही नहीं। शरारतें छुपती भी कब तक आखिर एक दिन मैं पकड़ा गया और सबको पता चल गया कि क्लास में जो शरारती बच्चें हैं उनमें मैं भी शामिल हूँ। विवेक कहते हैं- "मैं स्टॉफ रूम में जाकर अपनी टीचर्स के टिफिन चुरा कर खा लेता था और बाद में उनके टिफिन बॉक्स में चुपचाप मरा हुआ कॉकरोच या कुछ और डाल कर रख देता था। जब मेरी टीचर लंच के वक्त अपना डिब्बा खोलती थी तो डिब्बे में खाने की जगह कॉकरोच देखकर चीख उठती थी।"

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अपने स्कूल की गैंग के बारे में जिक्र करते हुए विवेक कहते हैं- "कई बार तो ऐसा होता कि मुझे स्कूल की प्रिंसपल डिसिप्लीन सिखाने के लिए अपने केबिन में बुला लेती थीं। मुझसे बार-बार कहतीं थी क्यों करते हो इतनी बदमाशियां? स्कूल में हमारा एक गैंग होता था, जहां हम मस्ती कैसे करें यही प्लान किया करतें थे।" स्कूल के बाद मुम्बई यूनिवर्सिटी में एडमिशन के बाद के दिनों की याद करते हुए विवेक बताते हैं- "हालांकि कॉलेज को खत्म हुए अब बीस साल हो गए लेकिन जब वहां गया था तो कॉलेज की पॉलिटिक्स में इन्वाल्व हो गया। कॉलेज के दिनों में थोड़ा गर्म मिज़ाज का भी था तो थोड़ी मार-पीट भी की बाद में पापा को लगा इसे इंडिया से बाहर भेज देना चाहिए और मुझे आगे की पढ़ाई के लिए न्यूयॉर्क भेज दिया गया।"

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विवेक के मुताबिक- "मैं जब मुम्बई कॉलेज की पॉलिटिक्स के चुनाव में खड़ा हुआ तो किसी पार्टी विशेष से नहीं बल्कि निर्दलीय खड़ा हुआ और चुनाव जीत गया। जीत के बाद मुझे बहुत से धमकी भरे फोन आये। मुझे उठा कर ले जाने की भी कोशिश की गयी। मैंने अपने कॉलेज के दिनों में खूब काम किया। आज भी मुम्बई यूनिवर्सिटी में मुझे मेरे काम के लिए याद किया जाता है।"

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