The Gone Game: संजय कपूर ने बताया, किसी कलाकार नहीं दीवार के सामने खड़े होकर शूट किए सीन
फिल्मों का विकल्प मौजूद होने के बावजूद संजय कपूर ने डिजिटल की राह चुनी। यहां उन्हें अपनी पसंद के अनुरूप मुख्य किरदार मिल रहे हैं। Photo-Sanjay Kapoor Instagram
प्रियंका सिंह, जेएनएन। फिल्मों का विकल्प मौजूद होने के बावजूद संजय कपूर ने डिजिटल की राह चुनी। यहां उन्हें अपनी पसंद के अनुरूप मुख्य किरदार मिल रहे हैं। वह वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज 'द गॉन गेम’ में नजर आए। यह कोरोना काल के बैकग्राउंड पर आधारित थ्रिलर शो है। उनसे बातचीत के अंश:
सवाल : आजकल डिजिटल एंटरटेनमेंट की मांग बढ़ गई है। क्या लगता है कि वेब पर आने का निर्णय सही साबित हुआ?
जवाब : मैं पिछले तीन सालों से डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम कर रहा हूं। जब मैंने यहां काम शुरू किया था तो कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म ही लोकप्रिय थे। अब इतने प्लेटफॉर्म आ गए हैं कि यहां के लिए खास कंटेंट बनने लगे हैं। यहां पर प्रयोग शुरू हो गए हैं। 'द गॉन गेम’ शो को हमने पूरी तरह से घर पर रहकर शूट किया था। यह कार्य चुनौतीपूर्ण था। मैं अब तक इस शो से जुड़े किसी इंसान से नहीं मिला हूं। अभिनय एक तरह से दो कलाकारों के बीच बातचीत होती है, लेकिन इस शो के दौरान मेरे सामने कलाकार नहीं, बल्कि दीवार थी। दूसरे कलाकार की प्रतिक्रिया पर सामने वाले का अभिनय निर्भर करता है, लेकिन वक्त के साथ जो बदलाव थे, हमने उसे बहुत अच्छे से अपनाया।
सवाल : यह थ्रिलर वेब सीरीज है। थ्रिलर में आपकी कितनी दिलचस्पी रही है?
जवाब : मेरी दिलचस्पी सिर्फ अच्छी स्क्रिप्ट में होती है। फिर जॉनर चाहें कुछ भी हो। यह मेरे करियर का पहला थ्रिलर शो है। कोरोना का विषय सिर्फ बैकग्राउंड में है। यह मर्डर मिस्ट्री पर आधारित शो है।
सवाल : आपके 30 साल के कॅरियर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। खुद को वक्त के साथ अपग्रेड करते रहना कितना आसान रहा?
जवाब : इस लाइन में बने रहना आसान नहीं है। दर्शकों की वजह से मैं इस इंडस्ट्री में हूं। उनकी पसंद को महत्व देना और उम्मीदों पर खरे उतरना जरूरी है। मैंने खुद को वक्त के साथ बदला है। मैं ओटीटी पर तब आया जब इसकी शुरुआत हो रही थी। मैंने हमेशा अच्छा काम करने में विश्वास रखा। एक ऐसा वक्त भी आया, जब मुझे वैसा काम ऑफर नहीं हो रहा था, जिसे करने में मुझे खुशी मिले। उस वक्त मैं निर्माण के क्षेत्र में उतर गया। 'लक बाय चांस’, 'शानदार’, 'मिशन मंगल’ जैसी फिल्में कीं, जिसमें मुख्य रोल नहीं था, लेकिन मेरा किरदार अहम था। मैंने हमेशा धैर्य बनाए रखा। खुद के लिए सही प्रोजेक्ट का चयन करियर में स्थायित्व का एकमात्र रास्ता है। सफलता हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हम जो काम कर रहे हैं, वह चुनना हमारे हाथ में है। मैं वही काम करना चाहता हूं, जिसमें कई कलाकार होने के बावजूद मेरे काम को सराहा जाए। ओटीटी की वजह से आज मुझे मुख्य रोल करने का मौका मिल रहा है। इसलिए मैं कॅरियर से बहुत संतुष्ट हूं।
सवाल : क्या लगता है कि फिल्मों में भी केंद्रीय हीरो, हीरोइन और सह कलाकारों के दायरे खत्म हो गए हैं?
जवाब : यह दौर ऐसा है, जहां मौलिकता की कद्र है। किसी परिपाटी के अनुपालन के बजाय रचनात्मकता को महत्व दिया जा रहा है। ओटीटी के साथ फिल्मों में भी ऐसा हो गया है। हर किरदार मायने रखता है। पहले की फिल्मों में वही छह-सात हीरो, हीरोइन, विलेन और कॉमेडियन हुआ करते थे। आज फिल्म से लेकर ओटीटी तक बड़ी संख्या में कलाकार देखने को मिलते हैं। सभी कलाकार बेहतरीन हैं। अब प्रतिभा, विकल्प और ताजगी है। जो किरदार में फिट है, उसे ही वह काम मिल रहा है।
सवाल : पिछले कुछ समय में थिएटर के लिए बनी कई फिल्में ओटीटी पर रिलीज हुई हैं। क्या यह ट्रेंड कभी उल्टा हो सकता है कि वेब का कंटेंट थिएटर में रिलीज हो?
जवाब : बिल्कुल ऐसा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा होता है। जिस तरह के ओरिजनल कंटेंट डिजिटल लेकर आ रहा है, उनकी लोकप्रियता देखते हुए हो सकता है कि भविष्य में ऐसा हो। A post shared by Sanjay Kapoor (@sanjaykapoor2500) on Aug 23, 2020 at 7:00am PDT