मुंबई का दशहरा देखने को उत्साहित हैं रश्मिका, गुड बाय करना चाहती हैं यह आदत

दक्षिण भारतीय फिल्मों की अभिनेत्री रश्मिका मंदाना की पहली विशुद्ध हिंदी फिल्म ‘गुड बाय’ होगी पर वह इसे डेब्यू नहीं मानतीं क्योंकि उनका अभिनय व फिल्में सीमाओं में बंधी नहीं हैं ‘पुष्पा द राइज’ की सफलता के बाद पूरे देश के दर्शकों से जुड़ चुका है अपनत्व का गहरा रिश्ता।

By Aarti TiwariEdited By: Publish:Sat, 01 Oct 2022 04:45 PM (IST) Updated:Sat, 01 Oct 2022 04:45 PM (IST)
मुंबई का दशहरा देखने को उत्साहित हैं रश्मिका, गुड बाय करना चाहती हैं यह आदत
हिंदी सिनेमा में मिल रही पहचान से खुश हैं रश्मिका

 स्मिता श्रीवास्तव।

हिंदी पट्टी में ‘पुष्पा: द राइज’ की सफलता ने आपकी राहें कितनी आसान बना दीं?

(गंभीर भाव के साथ) जब मैंने ‘डियर कामरेड’ की थी, उसी समय लोगों ने मुझे पहचानना शुरू कर दिया था। उसके बाद जब मुंबई आई तो फोटो जर्नलिस्ट मेरी फोटो निकाल रहे थे। तो मैंने पूछा कि आप कैसे जानते हो क्योंकि उस समय मेरी कोई हिंदी फिल्म रिलीज नहीं हुई थी, पर वे मेरी ‘गीता गोविंदम’, ‘डियर कामरेड’ फिल्में देख चुके थे। तो लोग मेरा काम देख रहे थे और पसंद कर रहे थे। मैं ‘गुड बाय’ और ‘पुष्पा: द राइज’ की शूटिंग एक साथ कर रही थी। जब ‘पुष्पा: द राइज’ रिलीज हुई तो इतना प्यार मिला कि लगा हिंदी फिल्म ही है। मेरे लिए डेब्यू का कांसेप्ट काफी पहले ही धूमिल हो गया था। मैं पहले से ही खुद को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा मानती हूं। ‘गुड बाय’ पहली विशुद्ध हिंदी फिल्म है। इसमें मुझमें डबिंग भी खुद करनी थी। मैं इस प्रोग्रेस से खुश हूं।

आपने पहली फिल्म साइन की थी ‘मिशन मजनू’। पहली फिल्म के साथ कुछ खास सोच होगा?

‘गुड बाय’ के समय ही ‘मिशन मजनू’ की शूटिंग आरंभ हो गई थी। मैंने प्लान नहीं किया कि यह मेरी पहली फिल्म होगी, पर मैं उत्साहित थी कि इनमें से कोई एक मेरी पहली हिंदी फिल्म होगी। सो, मैं दोनों के लिए तैयार थी। हां, हिंदी फिल्म होने के कारण मैं थोड़ा सजग थी कि मैं क्या कर रही हूं। (हंसते हुए) उसके साथ ही मैं अपने काम को एंज्वाय भी करना चाहती थी। मैंने बहुत एंज्वाय किया भी।

पहली कन्नड़ फिल्म और अब हिंदी में पहली फिल्म में क्या फर्क महसूस कर रही हैं?

तब मैं कालेज में थी। उस समय यह था कि ओके एक फिल्म के बाद मैं अपनी पढ़ाई पर फोकस करूंगी। अभी तो यह समझना है कि लोग क्या कह रहे हैं। अब लोगों की मुझसे अपेक्षाएं हैं तो मुझे जितना संभव हो बेस्ट काम ही करना है।

फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद परिवार में सबकी क्या प्रतिक्रिया रही?

(हंसते हुए) अब फाइनली मां मुझे एक्टर के तौर पर देखने लगी हैं क्योंकि फिल्म में बच्चन सर (अमिताभ बच्चन) हैं। पैरेंट्स फिल्म को लेकर बहुत एक्साइटेड हैं।

अमिताभ की कौन सी फिल्म आपकी पसंद रही है?

हाल में मैंने उनकी ‘पीकू’ देखी। वह बहुत रियल थी।

इस फिल्म में आप ही हीरो हैं...

(त्वरित जवाब देते हुए) नहीं, नहीं। हमारे साथ बच्चन सर हैं। मुझे लगता है कि बाकी कहानियों से इतर ‘गुड बाय’ की कहानी में फैमिली हीरो है। फिल्म देखने के बाद आप कहेंगे कि यह बहुत अच्छी फैमिली थी।

‘पुष्पा: द रूल-पार्ट 2’ को लेकर कैसी तैयारियां चल रही हैं?

‘गुड बाय’ की रिलीज के बाद ‘पुष्पा 2’ की शूटिंग आरंभ होगी। उसे लेकर मैं बहुत एक्साइटेड हूं। पहले पार्ट में हम बस देख रहे थे कि कैसे किरदार काम कर रहे हैं। अब किरदार स्थापित हो चुके हैं। अब मैं जानती हूं कि श्रीवल्ली कैसी है। पुष्पा कैसा है। ‘पुष्पा 1’ में मुझे अपने किरदार के बारे में स्पष्टता नहीं थी। अब मैं पहले से बेहतर करूंगी।

अल्लू अर्जुन और रणबीर कपूर दोनों के साथ काम कर रही हैं। उनकी किन बातों ने प्रभावित किया?

एक बात जो मैंने आब्जर्व की कि दोनों निर्देशक से सवाल बहुत पूछते हैं। वो किरदार को लेकर पूरी तरह स्पष्ट होना चाहते हैं। उसके बाद वह सिर्फ परफार्म करते हैं। अब मैंने अपने निर्देशकों से ढेर सारे सवाल पूछना आरंभ कर दिया है। उससे चीजें काफी आसान हो गई हैं।

आपके लिए त्योहारों का अर्थ क्या है?

मैं कर्नाटक के कोडावा परिवार से आती हूं। हमारे यहां दो त्योहार कैलपोध और हुथारी मुख्य रूप से मनाए जाते हैं। कैलपोध में किताबों और वाहनों की पूजा करते हैं। उस दिन बढ़िया खाना बनता है। हम पूजा करते हैं। मुझे लगता है कि हमारे पूर्वज चाहते थे कि हम एक दिन उन चीजों को नमन करते हुए सेलिब्रेट करें जिनसे हमारे व्यक्तित्व को आकार व सुरक्षा मिलती है। हुथारी में हम पटाखे फोड़ते हैं। परिवार के साथ भोजन करते हैं यह एक तरह से दीवाली की तरह होता है।

दशहरे पर किन बुरी चीजों को गुडबाय कहना चाहती हैं?

अभी के लिए (हंसते हुए) मैं चाहती हूं कि कोविड पूरी तरह से खत्म हो जाए। यूके्रन और रूस के बीच चल रहा युद्ध खत्म हो। मैं इन्हें गुड बाय कहना चाहूंगी। अपनी बात करूं तो (थोड़ा सोचते हुए) मेरे लिए बस एक चीज है जिसे मैं गुड बाय कहना चाहूंगी वो है किसी को मना न कर पाने की आदत। (हंसते हुए) इस आदत को छोड़ना चाहती हूं और न कहना सीखना चाहती हूं।

आपने मुंबई में रावण दहन देखा है?

मैंने इसके बारे में सुन रखा है। यहां दशहरा बेहद शानदार तरीके से मनाया जाता है। इस बार मेरी योजना उसे देखने की है। यह पहला मौका होगा जब मुंबई में रावण दहन देखूंगी। इसे लेकर मैं काफी एक्साइटेड हूं।

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