फाल्के पुरस्कार पाकर भावुक हुए गुलजार

हिंदी सिनेमा को पांच दशकों से भी ज्यादा समय से अपने लफ्जों से सरसब्ज करते रहे प्रख्यात कवि और फिल्मकार गुलजार को फिल्मों के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के से सम्मानित किया गया। राजधानी में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में हिंदी सिनेमा व कला की मूर्धन्य हस्तियों के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से यह सम्मान हासिल करने के बाद गुलजार भावुक हो गए। इस मौके पर वह हिंदी सिनेमा के बहाने धर्मनिरपेक्षता का संदेश देने से नहीं चूके।

By Edited By: Publish:Sat, 03 May 2014 09:41 PM (IST) Updated:Sat, 03 May 2014 09:41 PM (IST)
फाल्के पुरस्कार पाकर भावुक हुए गुलजार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हिंदी सिनेमा को पांच दशकों से भी ज्यादा समय से अपने लफ्जों से सरसब्ज करते रहे प्रख्यात कवि और फिल्मकार गुलजार को फिल्मों के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के से सम्मानित किया गया। राजधानी में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में हिंदी सिनेमा व कला की मूर्धन्य हस्तियों के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से यह सम्मान हासिल करने के बाद गुलजार भावुक हो गए। इस मौके पर वह हिंदी सिनेमा के बहाने धर्मनिरपेक्षता का संदेश देने से नहीं चूके।

सरकार भारतीय सिनेमा के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान करती है। इसके तहत विजेता को स्वर्ण कमल और दस लाख रुपये पुरस्कार राशि दी जाती है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले गुलजार 45वें व्यक्ति हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुलजार गीतकार, कवि, पटकथा लेखक, निर्देशक और निर्माता हैं। 1934 में पंजाब में जन्मे गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1956 में विमल रॉय की फिल्म 'बंदिनी' से एक गीतकार के तौर पर की।

राष्ट्रपति ने उन्हें इस सम्मान के लिए बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होने के अलावा युवाओं को समझाने और प्रभावित करने का जरिया भी है।

विज्ञान भवन में आयोजित एक रंगारंग कार्यक्रम में दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए मंच से गुलजार का नाम पुकारा गया तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़़ाहट से गूंज गया। गुलजार भावविह्वल हो गए। उन्होंने हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन किया। गुलजार के साथ उनकी बेटी मेघना भी थीं।

पुरस्कार प्राप्त करने के बाद गुलजार ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि जिन्दगी में कम मुकाम आते हैं जब एक लेखक के पास शब्दों की कमी पड़ जाए। उन्होंने कहा कि वह उन लोगों का आभार प्रकट करते हैं जिनकी बदौलत आज यहां पहुंचे हैं। गुलजार ने अपनी सफलता का श्रेय भारतीय सिनेमा के दिग्गज विमल रॉय, सलीम चौधरी, सचिन देव बर्मन, हेमंत कुमार और अपने समकालीन साथियों और आज की पीढ़ी को दिया।

उन्होंने कहा कि समाज में सेना और फिल्म जगत दो ही ऐसे स्थान हैं जहां मजहब के नाम पर बैर नहीं है। उन्होंने कहा कि वह फिल्म जगत के धर्मनिरपेक्ष होने की कसम खा सकते हैं। समारोह में मौजूद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भी उन्हें बधाई दी।

भारतीय फिल्मों के 'दादा साहेब'

chat bot
आपका साथी