Exclusive: बॉलीवुड में बनने वाली बायोपिक फेक और फिल्मी होती हैं, हकीकत से नहीं होता वास्ता - असीम अहलूवालिया

अर्जुन रामपाल स्टारर फिल्म डैडी 8 सितंबर को सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है।

By Rahul soniEdited By: Publish:Thu, 07 Sep 2017 01:12 PM (IST) Updated:Thu, 07 Sep 2017 01:12 PM (IST)
Exclusive: बॉलीवुड में बनने वाली बायोपिक फेक और फिल्मी होती हैं, हकीकत से नहीं होता वास्ता - असीम अहलूवालिया
Exclusive: बॉलीवुड में बनने वाली बायोपिक फेक और फिल्मी होती हैं, हकीकत से नहीं होता वास्ता - असीम अहलूवालिया

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अर्जुन रामपाल स्टारर फिल्म डैडी इस हफ्ते रिलीज़ हो रही है। फिल्म को लेकर काफी चर्चा है। चूंकि फिल्म रियल लाइफ गैंगस्टर अरुण गावली पर आधारित है। इस फिल्म के निर्देशक असीम अहलूवालिया है। असीम बताते हैं कि उन्होंने इस फिल्म को करने के लिए यूं ही रजामंदी नहीं दे डाली थी।

वह बताते हैं कि अर्जुन पहले यह फिल्म किसी और के साथ कर रहे थे। अर्जुन ने ही मुझे यह बात बतायी कि वह जिनके साथ फिल्म कर रहे हैं, वह इस पूरी कहानी फेक तरीके से बनाना चाह रहे हैं। उसे ग्लोरीफाई करना चाह रहे हैं। उसे फुल फिल्मी ड्रामा दिखाना चाह रहे हैं। जबकि अर्जुन ऐसा नहीं चाहते थे। दूसरे निर्देशक जो गावली का रियल रूप है, उसके एस्थेटिक और सबकुछ को फिल्मी करना चाह रहे थे। फिर मैंने और अर्जुन ने एक विज्ञापन फिल्म साथ में शूट किया था। वहां उन्होंने मुझे कहा कि उन्होंने मेरी पिछली फिल्म देखी है और उन्हें मेरी फिल्म अच्छी लगी थी। मेरा रियलिस्टिक अप्रोच पसंद आया था। तो मैंने भी एकदम से हां नहीं कहा था। मैंने उन्हें कहा कि अगर वह मुझे पूरी छूट देंगे, किसी स्टूडियो का दबाव नहीं बनायेंगे, आइटम सॉन्ग डालने की जिद नहीं करेंगे तो मैं फिल्म करूंगा। अर्जुन तैयार हो गये और फिर कहानी आगे बढ़ी।

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असीम बताते हैं कि राइट्स हमेशा से अर्जुन के पास ही थे और फिर गवली के परिवार वालों की भी पूरी तरह से अनुमति मिल चुकी थी। सो, हम आगे बढ़े। हमने एक साथ कहानी पर लिखना शुरू किया। इस वक्त भी मेरे मन में एक बात आयी कि मैं जानना चाहता था कि अर्जुन को फिल्म में हीरो बनने का कितना शौक है। ताकि उस आधार पर वह फिल्म लिखेंगे। लेकिन अर्जुन ने उनसे कहा कि फिल्म में उन्हें हीरो नहीं बल्कि एक्टर के रूप में देखें। गवली का रियल लुक ही दें। फिर असीम को पूरी तरह से तसल्ली हो गयी और फिर वह आगे बढ़े। असीम कहते हैं कि सच तो यही है कि बॉलीवुड में जो बायोपिक फिल्में बनती हैं। उन्हें मैं बायोपिक मानता ही नहीं हूं। मुझे समझ नहीं आता कि जब हम बायोपिक बना रहे होते हैं तो उसमें ड्रामा जरूरी है क्या। यह फिल्ममेकर की गलत सोच है कि वह ऐसा मानते हैं कि अगर रियल रखेंगे तो मजा नहीं आयेगा। जबकि रियलिस्टिक फिल्में ज्यादा मजेदार होती है। आपके पास उन्हें गढ़ने के लिए पूरा कैनवास होता है। लेकिन बॉलीवुड फिल्ममेकर जब तक बायोपिक में ग्लोरीफाई नहीं करेंगे उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती है। जैसे एक उदाहरण के रूप में कह रहा हूं। अन्यथा न लें। मैंने फिल्म मैरीकॉम देखी, मुझे तो उसमें मैरीकॉम नज़र ही नहीं आयी। मुझे तो उसमें प्रियंका ही दिखी।

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असीम कहते हैं, जब तक बायोपिक में आपको भरोसा न हो जाये कि हम उसी व्यक्ति की साक्षात कहानी देख रहे, तब तक उसे अधूरा ही मानता हूं मैं। असीम कहते हैं कि यही वजह है कि मैं खुद को बॉलीवुड का हिस्सा नहीं मानता हूं। मैं यहां के लिए स्ट्रेंजर हूं। यहां की आवोहवा से मैं मैच नहीं करता हूं। मैं खुद को इसलिए मार्जिनल मानता हूं, इसलिए मुझे यहां भी मार्जिनल लोगों की कहानी ही प्रेरित करती है। वह मुझे अपने से लगते हैं। इसलिए ऐसी कहानियां ही लेकर आगे आ सकता हूं। डैडी 8 सितंबर को रिलीज़ हो रही है।

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