Diwali 2020 : कोई मिलकर जलाता है दिये, तो कोई खरीदता है सोने की गिन्नी, कुछ इस तरह सेलेब्स मनाते हैं दिवाली का फेस्टिव
अदा शर्मा इस बार की दीवाली काम करते हुए ही मनेगी। फिलहाल मैं मसूरी में शूटिंग कर रही हूं। मेरी फिल्म मैन टू मैन का पैच वर्क बचा है साथ ही तेलुगु फिल्म क्वेश्चन मार्क का प्रमोशन भी शुरू होना है।
प्रियंका सिंह/ दीपेश पांडेय, जेएनएन। रोशनी का पर्व दीवाली हम सभी के लिए खास है। ग्लैमर जगत के सितारे भी इसे लेकर बेहद उत्साह में नजर आते है। वे साझा कर रहे हैं दीवाली से जुड़ी अपनी अनमोल यादों के साथ ही इस बार उत्सव की अपनी तैयारियों की बातें...
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मिलकर जलाते हैं दीये : बॉबी देओल
सामान्य परिस्थितियों में दीवाली पर लोग परिचितों से मेल-मुलाकात करते थे, बाहर घूमने जाते थे। इस बार कोरोना संकट के चलते सभी के लिए यह कठिन समय है। ऐसे में दीवाली खुशियां बांटने और जश्न मनाने का मौका दे रही है। दीवाली की शॉपिंग हमेशा से ही खास रही है। इस बार मैंने और बच्चों ने सारी शॉपिंग ऑनलाइन की है। मैंने हमेशा से अपने घर में परिवार के साथ ही दीवाली मनाई है। हम सब दीवाली पर नए कपड़े पहन कर लक्ष्मी पूजा करते हैं और मिट्टी के दीये और लाइट्स से घर को रोशन करते हैं। फिर सब मिलकर मिठाइयां, हलवा और अलग-अलग किस्म के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। बचपन में हर बच्चे की तरह मुझे भी पटाखे फोडऩे का बहुत शौक था, लेकिन बड़े होने पर एहसास हुआ कि पटाखे पर्यावरण के लिए कितना नुकसानदायक हैं। मेरे बच्चे भी पटाखे जलाने से परहेज करते हैं। वे सिर्फ दीये जलाते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते हुए खुशियां साझा करते हैं।
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लखनऊ में मनाई नवाबी दीवाली : आहाना कुमरा
मैं खुश हूं कि इस दीवाली पर छुट्टी मिली है। पिछली दीवाली पर मैं उज्बेकिस्तान में 'खुदा हाफिज' की शूटिंग कर रही थी। परिवार और दोस्तों से दूरी की वजह से मैं उदास हो गई थी। अगले दिन विद्युत जामवाल ने दीवाली पार्टी दी थी। हम खीवा शहर में रुके थे। वहां होटल में हमने हिंदी गानों पर खूब डांस और धमाल किया था। मेरी जो पहली दीवाली घर से बाहर मनी थी, वह भी एक फिल्म के सेट पर थी। नवदीप सिंह की फिल्म थी, जो अटक गई थी। हम दिल्ली और जयपुर के बीच सरिस्का अभयारण्य में शूट कर रहे थे। घर पर रंगोली व लाइटिंग की जिम्मेदारी हमेशा से मेरी रही है। उस आउटडोर शूट पर भी मुझे यह जिम्मेदारी दी गई थी। मैंने फूलों से रंगोली बनाई थी। लाइट दादा से कहकर लाइटिंग करवाई थी। वहां पटाखे जलाने की मनाही थी, इसलिए फुलझड़ी जलाकर त्योहार मनाया था। मुंबई में हम बहुत सादगी से दीवाली मनाते हैं। लखनऊ में जब हम रहते थे, तब वहां की दीवाली अलग ही होती थी। मम्मी पुलिस में थीं। हमारी कोठी थी। उसमें बड़ा सा गार्डन था। पूरे घर में दीये और मोमबत्ती लगाने में आधा-एक घंटा लगता था। पूरा गार्डन सजाते थे, कहीं गजल चल रही है तो कहीं शाकाहारी कबाब बन रहे हैं, कहीं लोग ढोल और हारमोनियम बज रहा है। पापा को पटाखे जलाने का शौक था, लेकिन मैं डरती थी, इसलिए कोई पटाखे नहीं जलाता था।
दान से खुशियों का उजाला : पुलकित सम्राट
इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से परिवार के साथ घर पर रहकर ही दीवाली मनाएंगे। वीडियो कॉल तथा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपनों को शुभकामनाएं देंगे। मैं बचपन से दीवाली पर पटाखों से दूर रहा हूं। पटाखे पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होने के साथ ही अपव्यय की वजह बनते हैं। हमारे घर में शुरू से त्योहारों पर कुछ न कुछ दान करने की परंपरा रही है, खासकर दीवाली पर। मेरी दादी मां की कुछ संस्थाएं हैं, कुछ अनाथालय और वृद्धाश्रम हैं। हर दीवाली को हम सब वहां जाकर यथासंभव मदद करते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण हर जगह पहुंचना मुश्किल है, इसलिए इस बार सभी को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए मदद मुहैया कराई जाएगी। आखिरकार दीवाली तो सब की होती है।
व्यंजनों का जमकर मजा लेता हूं : दिव्येंदु शर्मा
दीवाली एक-दूसरे मिलने, मिठाइयां खिलाने और खुशियां बांटने का त्योहार है, लेकिन इस बार हमें थोड़ा एहतियात बरतना होगा। दीवाली हर साल आती है, अगले साल फिर आएगी, तब हम धूमधाम से मनाएंगे। महामारी का खतरा टला नहीं है, कई जगह कोरोना संक्रमण के आंकड़े बढ़ रहे हैं। लिहाजा इस बार हमें परिवार के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए दीवाली मनानी होगी। मैं अक्सर दीवाली मुंबई में ही मनाता हूं, लेकिन कभी मूड बना तो उसे सेलिब्रेट करने गोवा भी चला जाता हूं। वहां दीवाली मनाने का एक अलग ही मजा होता है। मुंबई में दीवाली के दिन हम छोटी सी पार्टी रखते हैं। पटाखों से मुझे कुछ खास प्रेम नहीं है, लिहाजा पटाखों से दूर ही रहता हूं। घर को लाइट्स और दीयों से सजाना मुझे पसंद है। दीवाली के आगे पीछे दो-तीन दिन तक मैं डायट के बारे में नहीं सोचता। जमकर खाता हूं और त्योहार का आनंद लेता हूं। मैं इस बार दीवाली मुंबई परिवार के साथ मनाऊंगा, लेकिन पार्टी नहीं होगी। विदेशी लाइट्स की जगह देसी झालरों और मिट्टी के दीयों से घर रोशन करूंगा।
नानी के कलेक्शन से साड़ी चाहिए : अदा शर्मा
इस बार की दीवाली काम करते हुए ही मनेगी। फिलहाल मैं मसूरी में शूटिंग कर रही हूं। मेरी फिल्म 'मैन टू मैन' का पैच वर्क बचा है, साथ ही तेलुगु फिल्म 'क्वेश्चन मार्क' का प्रमोशन भी शुरू होना है। सेट पर ही दीवाली सेलिब्रेशन होगा। हर साल मेरी नानी मुझे दीवाली पर साड़ी गिफ्ट करती हैं। मैं उन्हें हर साल कहती हूं कि मुझे नई नहीं, बल्कि उनकी साडिय़ों के कलेक्शन में से साड़ी चाहिए। उम्मीद है इस बार अपनी साड़ी वह मुझे देंगी। घर पर रहती हूं तो मम्मी के हाथ के बने चॉकलेट मोदक जरूर खाती हूं। यह बहुत ही आसान रेसिपी है, जो नारियल और चॉकलेट से बन जाती है। मैं सोच रही हूं कि इसकी रेसिपी इंस्टाग्राम पर साझा कर दूं। यह ग्लूटेन फ्री होता है और खाने में बेहद स्वादिष्ट। बचपन में मम्मी बताती थीं कि पटाखों को बच्चे फैक्ट्री में बनाते हैं। उन्हें स्कूल जाने का मौका नहीं मिलता है, इसलिए मैंने पटाखों से दूरी बना ली थी।
प्रियजनों के घर मिठाइयां भेजूंगी : नुसरत भरूचा
मेरे लिए हमेशा से दीवाली जश्न का मौका रही है, फिर चाहे मैं इसे अपने घर पर मनाऊं या किसी दोस्त या रिश्तेदार के यहां सेलिब्रेशन में शिरकत करूं। मुझे लोगों से मेल-मिलाप अच्छा लगता है, इसलिए मुझे दीवाली पार्टीज अच्छी लगती हैं। इस बार मिलना-जुलना संभव नहीं हो पाएगा, पर मैं प्रियजनों के घर मिठाइयां भेजूंगी, जो स्नेह का प्रतीक होंगी। यह दीवाली खास है, क्योंकि मैं अपनी फिल्म 'छलांग' के जरिए दर्शकों तक पहुंच पाऊंगी।
सोने की गिन्नी खरीदती हूं : अनुप्रिया गोयनका
मेरे घर पर तो दीवाली धनतेरस से ही शुरू हो जाती है। छोटी दीवाली पर 11 और बड़ी दीवाली पर हम 21 दीये जलाते हैं। जब मैं छोटी थी, पापा हर धनतेरस पर सोने या चांदी की चीजें खरीदा करते थे। मैं हर साल सोने की गिन्नी खरीदती हूं। हर साल मम्मी मुझे और भाई-बहनों को आशीर्वाद के तौर पर पैसे देती हैं। मैं वह पैसे मैं खर्च नहीं करती हूं। इस साल मेरी बहन भी मुंबई में हैं, भाई भी खुश हैं कि त्योहार पर सब साथ होंगे। कानपुर में मेरे कई रिश्तेदार हैं, उनसे वीडियोकॉल पर बात होगी। कानपुर से मेरी त्योहार की मीठी यादें जुड़ी है। मैं छह-सात साल की थी। हमारे बड़े से घर के सामने का लॉन दीयों से भर जाता था। मैं आवाज वाले पटाखों से डरती थी, लेकिन अनार जलाती थी, जो पापा मेरे लिए लेकर आते थे।
सबसे स्पेशल थी वो दीवाली : अभिमन्यु दसानी
हर साल की तरह इस साल भी परिवार के साथ लंच होगा। फिर रात में कजिन्स के साथ डिनर होगा। बुआ और उनका परिवार भी घर पर आता है। सब शगुन के लिए साथ में ताश खेलते हैं। हमारे परिवार में गेम्स खूब खेले जाते रहे हैं, चाहे कार्ड हो या बोर्ड गेम्स। दीवाली की खूबसूरत यादें घर से जुड़ी हैं। हम 15 साल पहले अपने घर में शिफ्ट हुए थे, जहां अभी रह रहे हैं। तब सिर्फ एक कमरा बना था, लेकिन वहां जो खुशी थी, वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। बचपन में मैं और बहन दीवाली पर नए कपड़े मिलने का इंतजार करते थे, पर इस बार नए कपड़े नहींखरीदना चाहता। हम भाई-बहन मिठाइयों से लेकर हर छोटी बात पर लड़ते हैं, लेकिन फिर उतनी ही जल्दी मान जाते हैँ। मैंने उन्हें पिछले साल एक ट्रिप गिफ्ट की थी।