उत्‍तराखंड चुनाव: विभागीय लापरवाही से मताधिकार से रहे वंचित

उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में विभागीय लापरवाही से लोग मताधिकार से वंचित रहे। बड़ी संख्या में उन लोगों के मतदाता सूची से नाम कटे मिले, जो अब तक लगातार मतदान करते आ रहे थे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 23 Feb 2017 12:33 PM (IST) Updated:Thu, 23 Feb 2017 04:43 PM (IST)
उत्‍तराखंड चुनाव: विभागीय लापरवाही से मताधिकार से रहे वंचित
उत्‍तराखंड चुनाव: विभागीय लापरवाही से मताधिकार से रहे वंचित

देहरादून, [ जेएनएन]: दून में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 3.3 फीसद कम रही मतदान की दर के पीछे सब पढ़े-लिखे तबके को दोषी मान रहा हैं, लेकिन अभी तक इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया कि बड़ी संख्या में लोग मतदान न कर पाने के लिए मजबूर भी हुए हैं। यह मजबूरी उनकी व्यक्तिगत नहीं, बल्कि विभागीय स्तर पर हुई चूक के चलते थी। बड़ी संख्या में उन लोगों के मतदाता सूची से नाम कटे मिले, जो अब तक लगातार मतदान करते आ रहे थे। जबकि ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें एक ही परिवार के लोगों के नाम अलग-अलग बूथों में दर्ज कर दिए गए।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में सामान्य रूप से ऐसा होना संभव नहीं, यदि ऐसा हुआ है तो कहीं न कहीं कुछ झोल जरूर है और गंभीर लापरवाही की तरफ इशारा भी। यह स्थिति तब है, जब निर्वाचन कार्यालय सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंद होने का राग अलापता रहा और यह दावा किया गया कि सभी मतदाताओं को मतगणना से 24 से 48 घंटे पहली मतदाता पर्चियां बांट दी गई हैं। जबकि सच्चाई यह है कि दून में ऐसी कोई विधानसभा सीट नहीं रही, जहां पर मतदाता सूची में बड़ी संख्या में गड़बड़ी न मिली हो।

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हैरानी की बात है कि मतदान भी निपट गया और मतदान के ऋणात्मक परिणाम भी सामने है, इसके बाद भी अधिकारी इस पर मंथन को तैयार नहीं दिख रहे। कुछ उदाहरणों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोटर लिस्ट में किस तरह की खामियां पेश आईं।

केस एक: क्लेमेनटाउन के सोसायटी एरिया निवासी ललित तनवाल और पूजा तनवाल जब 15 फरवरी को मतदान करने पहुंचे तो पता चला कि उनका नाम मतदाता सूची में है ही नहीं, लिहाजा उन्हें बैरंग लौटना पड़ गया।

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केस दो: दून विहार निवासी एसपी नवानी भी मतदाता सूची में नाम न होने के चलते वोट नहीं डाल पाए। जब वह वोट डालने पहुंचे तो पता चला कि उनका नाम सूची से काट दिया गया है। जबकि वह नियमित रूप से मतदान करते आ रहे हैं।

केस तीन: शिवा एनक्लेव निवासी मनमोहन शर्मा भी हर बार मतदान करते हैं और इस बार भी वह अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाने को तैयार थे। इससे पहले कि वह वोट डाल पाते, बूथ पर पहुंचते ही पता चला कि सूची में उनका नाम नहीं है।

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केस चार: गुरुद्वारा कॉलोनी क्लेमेनटाउन निवासी संतोष बिष्ट की पत्नी अंजू बिष्ट व शीतल बिष्ट का वोट राजकीय प्राथमिक विद्यालय कैंट में था, जबकि उनका नाम इस बूथ पर नहीं मिला। गनीमत रही कि किसी अन्य माध्यम से उन्हें पता चला कि उनका नाम शरणजीत ऐकेडमी बड़ोवाला में हैं। अन्यथा वह भी वोट से वंचित रह जाते।

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बूथ बगल में और नाम दूर

ब्रह्मपुरी वार्ड में चमनपुरी कॉलोनी से चंद मीटर दूर जीआरडी ऐकेडमी में दो बूथ बनाए गए थे, लेकिन इस कॉलोनी के मतदाताओं के नाम इस बूथ पर नहीं थे। यहां के वोटर के नाम काफी दून प्राइमरी स्कूल ब्रह्मपुरी में दर्ज मिले। इस तरह की तमाम खामियों के चलते भी सवाल खड़े होते हैं कि आखिर मतदान की राह सुगम बनाने में अधिकारियों ने दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई।

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आयोग से की जाने लगी शिकायत

मतदाता सूची में गड़बड़ी के चलते वोट न डाल पाने के मामले अब निर्वाचन आयोग पहुंचने लगे हैं। क्लेमेनटाउन कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी लिखित शिकायत आयोग को भेज चुके हैं। जबकि इसी क्षेत्र के भाजपा नेता महेश पांडे, मोहित नगर की पार्षद अमिता सिंह, निरंजनपुर क्षेत्र के पार्षद नीरज सेठी भी आयोग से शिकायत करने की तैयारी में हैं।

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मतदाता सूची में नाम काटे जाने के कई कारण हो सकते हैं

जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी (देहरादून) रविनाथ रमन का कहना है कि मतदाता सूची में नाम काटे जाने के कई कारण हो सकते हैं। देखा जाएगा कि किन कारणों से लोगों के नाम काटे गए हैं। कोई मामला सामने आता है तो उसकी जांच कराई जाएगी।

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