UP Assembly Election: बुंदेलखंड की तिजोरी हथियाने को चुनावी सियासत
बुंदेलखंड से होकर बहने वाली यमुना, बेतवा, केन, बागै, क्वारी, सिंद और चंबल नदियों किनारे चुनावी राजनीति पर चर्चा जोर पकड़ रही है।
लखनऊ (जेएनएन)। बुंदेलखंड से होकर बहने वाली यमुना, बेतवा, केन, बागै, क्वारी, सिंद और चंबल नदियों किनारे राजनीतिक चर्चा जोर पकड़ रही है। यहां पर जालौन के रास्ते बुंदेलखंड की तिजोरी पर कब्जा जमाने की चुनावी सियासत तेज हो गई है। कृषि क्षेत्र में समृद्ध जालौन में बेतवा व सिंद का मौरंग बड़े बड़ों को सोने की तरह लुभा रहा है जिसे हथियाने की राजनीतिक होड़ है। पार्टी से बिछड़े नेताओं और बिखरे समुदायों को जोडऩे में भाजपा को सफलता मिली है। समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव की अपनी गलती को सुधारने की जगह उसे और बिगाड़ लिया है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच की कलह का जहर जमीनी स्तर पर घुल गया है। बसपा ने भी पुराने प्रत्याशी को बाहर का रास्ता दिखाकर एक बड़े गुट को नाराज कर दिया है। दलित मतों का बिखराव बसपा की मजबूती को कमजोर किया है।
मौके पर मिला धोखा
जालौन की तीनों सीटों उरई-जालौन, कालपी और माधौगढ़ में अलग-अलग समीकरणों पर चुनाव हो रहा है। उरई-जालौन सीट पर सपा की दावेदारी परस्पर टकराव में क्षीण हो गई है। सपा नेतृत्व ने विधायक दयाशंकर वर्मा का टिकट नामांकन करने के बाद काटकर कोरी समाज को नाराज कर दिया है। उनकी जगह महेंद्र कठेरिया को उम्मीदवार बनाया गया है। बसपा ने भी अपने पुराने प्रत्याशी को हटाकर उसकी जगह विजय चौधरी को उतारा है, जबकि भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी गौरीशंकर वर्मा पर ही दांव खेला है। इसका फायदा सपा से नाराज कोरी मतों को लुभाने में मदद मिल सकती है। भाजपा के सांसद भानुप्रताप वर्मा भी कोरी समाज से ही आते हैं।
चौरासी पट्टी की एकता में सेंध
कालपी की चौरासी की पट्टी की धमक से पूरा कालपी गूंजता है। चौरासी गांवों के ठाकुरों की चर्चित एकता से अच्छे-अच्छे का खेल खराब होना आम बात है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चौरासी पट्टी की महिला नेता उमाकांति सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। एकता रंग लाई और कांग्रेस चुनाव जीत गईं। उन्हें अपने पति के कत्ल के मामले में आजीवन कारावास की सजा होने पर सहानुभूति का वोट भी मिला था। बसपा ने चौरासी की एकता में सेंध लगाने के उद्देश्य से छोटे सिंह चौहान को उतार दिया है। इसे देखते हुए भाजपा ने नया दांव खेला और यहां से ठाकुर प्रत्याशी नरेंद्र सिंह जादौन को चुनावी जंग में खड़ा किया है। राजनीति के जानकारों के अनुसार भाजपा ने समझ बूझकर यह खेल खेला है। चौरासी पट्टी के ठाकुर गांवों से दो प्रत्याशियों के बीच वोट के बिखराव का सीधा फायदा भाजपा के प्रत्याशी को मिलेगा और वह चुनाव जीत सकता है।
भाजपा ने झोंकी ताकत
जालौन जिले के सुदूर में बसे माधौगढ़ क्षेत्र में दलित वोटों के साथ कुशवाहा मतों की पर्याप्त संख्या है। कांग्रेस के हिस्से आई सीट पर विनोद चतुर्वेदी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन उन्हें बाहरी मानकर लोग नकार रहे हैं, जबकि बसपा ने अपने विधायक संतराम कुशवाहा का टिकट काटकर ब्राह्मïण गिरीश अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। इससे कुशवाहा वोटरों की नाराजगी चरम पर है, जिसे भुनाने में भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। उसने चुनाव मैदान में कुर्मी मूलचंद निरंजन को उतारा है। कुशवाहा मतों को हथियाने के लिए भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य को कई मर्तबा यहां भेजा, जबकि ठाकुर मतों को एकजुट करने और कुछ नाराज प्रमुख नेताओं को मनाने के मकसद से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का माधौगढ़ दौरे के बहुत मायने हैं। दरअसल, यहां से संतराम सेंगर और केशव सिंह सेंगर पूर्व विधायक हैं, लेकिन बसपा के बुनियाद को यहां हिला पाना आसान नहीं होगा।