MP Election 2018 : बड़ी सियासी पार्टियों के वोटों पर छोटे दलों की नजर

MP Election 2018 कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां छोटे दलों को मिलने वाले वोटों की हार-जीत में बड़ी भूमिका होती है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 09:26 PM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 07:56 AM (IST)
MP Election 2018 : बड़ी सियासी पार्टियों के वोटों पर छोटे दलों की नजर
MP Election 2018 : बड़ी सियासी पार्टियों के वोटों पर छोटे दलों की नजर

भोपाल, वैभव श्रीधर मध्य प्रदेश में यूं तो मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है पर छोटे दलों की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग आठ फीसदी वोटों का अंतर था।

इससे कुछ कम वोट ही प्रमुख छोटे दलों को मिले थे। बसपा, गोंगपा और सपा की कोशिश भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाकर अपनी ताकत बढ़ाने की है ताकि सत्ता की कुंजी हाथ में रहे। वहीं, पदोन्नति में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के विरोध से उपजी सपाक्स पार्टी भी इस बार मैदान में है, जिसे अनारक्षित वर्ग का वोट मिलने की आशा है। जय आदिवासी युवा शक्ति 'जयस" भले ही सीधे तौर पर चुनाव नहीं लड़ रहा हो पर संगठन से जुड़े कई प्रत्याशी निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं।

मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में ज्यादातर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही रहा है। इसके बावजूद कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां छोटे दलों को मिलने वाले वोटों की हार-जीत में बड़ी भूमिका होती है। ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का पुख्ता वोट बैंक है, जो दोनों दलों के समीकरणों को बिगाड़ने का काम करता है। पिछले चुनाव में बसपा के चार प्रत्याशी जीते थे।

दल ने 6.29 फीसदी मत (21,27,959) हासिल किए थे। करीब 66 सीटों में पार्टी प्रत्याशियों को दस हजार से ज्यादा मत मिले थे। कुछ सीटों पर पार्टी दूसरे नबंर पर रही। इस बार कोशिश कांग्रेस-भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाकर अपने ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी जितवाने की है। वहीं, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भले ही एक भी सीट न जीती हो पर एक प्रतिशत मत (3,38,678) लेकर नतीजों को प्रभावित करने में भूमिका निभाई थी। सपा का फोकस परसवाड़ा, बालाघाट और निवाड़ी सीट पर है।

चुनाव में इस बार सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली सपाक्स पार्टी मैदान में है। पहली बार में ही पार्टी ने 129 प्रत्याशी खड़े किए हैं। सपाक्स की नींव पदोन्नति में आरक्षण के विरोध से पड़ी और एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के विरोध ने इसकी जड़ें जमा दीं। चुनाव से पहले जिस तरह भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की इसने घेराबंदी की, उससे दोनों दलों की नींद उड़ गई थी।

आदिवासियों को संविधान प्रदत्त अधिकारी दिलाने की मुहिम से खड़ा हुआ जय आदिवासी युवा शक्ति 'जयस" चुनाव रण में भले ही खुद न उतरा हो पर इसके एक दर्जन समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस को जयस की ताकत का अहसास था, इसलिए गठबंधन के प्रयास हुए पर जब बात नहीं बनी तो संगठन के सर्वेसर्वा डॉ. हीरालाल अलावा को मनावर सीट से अपने टिकट पर मैदान में उतार दिया।

एक अन्य लक्ष्मण सिंह डिंडोर को भी रतलाम ग्रामीण सीट से टिकट दिया था पर उनका इस्तीफा ही मंजूर नहीं हुआ। इस कारण अंतिम समय पर टिकट बदलना पड़ा। संगठन का आदिवासी बहुल क्षेत्र (धार, बड़वानी, खरगोन, झाबुआ और आलीराजपुर) में काफी प्रभाव माना जा रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो छोटे दलों की नजर बड़ी सियासी पार्टियों के वोटों पर है, ताकि अपनी ताकत बढ़ाई जा सके।

इन सीटों पर है बसपा,सपा और गोंगपा का प्रभाव

बसपा

श्योपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव, ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, भितरवार, डबरा, सेवढ़ा, भांडेर, दतिया, करेरा, पोहरी, पिछोर, कोलारस, अशोकनगर, मुंगावली, बीना, खुरई, बंडा, निवाड़ी, खरगापुर, महाराजपुर, चांदला, राजनगर, बिजावर, मलहरा, पवई, गुन्नौर, पन्ना, चित्रकूट, रैगांव, सतना, मैहर, अमरपाटन, सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मनगवां, रीवा, गुढ़, सीधी, सिहावल, सिंगरौली, चितरंगी, धौहनी, बांधवगढ़, मानपुर, विजयराघवगढ़, बहोरीबंद, सिहोरा, वारासिवनी, कटंगी, कुरवाई, बैरसिया।

गोंगपा

देवसर, ब्यौहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर, पुष्पराजगढ़, बांधवगढ़, शहपुरा, डिंडौरी, बिछिया, निवास, केवलारी, लखनादौन, अमरवाड़ा।

सपा

परसवाड़ा, बालाघाट ।

(नोट: 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा, गोंगपा और सपा को मिले मतों के आधार पर)

हमने अपने वोटों का विस्तार किया: अग्रवाल

भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल की मानें तो वोट का बिखराव विपक्षी दलों में होगा। विरोधी पार्टियों को जो भी वोट मिलेंगे, उसमें बंटवारा होगा। भाजपा कैडर आधारित दल है और योजनाओं के माध्यम से हमने इसका विस्तार किया है।

वोटों के बिखराव की चिंता नहीं: चतुर्वेदी

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का मानना है कि मध्यप्रदेश का मतदाता बेहद जागरुक है। वो सरकार की कथनी और करनी को देख रहा है, इसलिए हम आश्वस्त हैं कि मतदाता का साथ 'हाथ" के साथ होगा। वोटों के बिखराव की हमें चिंता नहीं है। कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है।

2013 में किसे कितना प्रतिशत मिला था मत

भाजपा- 44.87

कांग्रेस- 36.38

बसपा- 6.29

गोंगपा- 1

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