विशाखापत्तनम लोकसभा सीट पर कद्दावर नेताओं और नए प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला

बंदरगाहों का शहर विशाखापत्तनम 11 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण में राजनीति के कद्दावर नेता और राजनीति में कदम रखने जा रहे उम्मीदवारों के बीच चुनावी घमासान देखने को तैयार है।

By Atyagi.jimmcEdited By: Publish:Tue, 09 Apr 2019 10:35 AM (IST) Updated:Tue, 09 Apr 2019 11:49 AM (IST)
विशाखापत्तनम लोकसभा सीट पर कद्दावर नेताओं और नए प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला
विशाखापत्तनम लोकसभा सीट पर कद्दावर नेताओं और नए प्रत्याशियों के बीच होगा मुकाबला

देशराज (विशाखापत्तनम), प्रट्रे। बंदरगाहों का शहर विशाखापत्तनम 11 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण में राजनीति के कद्दावर नेता और राजनीति में कदम रखने जा रहे उम्मीदवारों के बीच चुनावी घमासान देखने को तैयार है।  पूर्व केंद्रीय मंत्री दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (भाजपा), पूर्व आईपीएस अधिकारी वीवी लक्ष्मी नारायण (जन सेना पार्टी) ), स्टैनफोर्ड स्नातक एम श्री भरत (तेलुगु देशम पार्टी) और रियाल्टार एमवीवी सत्यनारायण (वाईएसआर कांग्रेस) इस संसदीय सीट के प्रमुख दावेदार हैं।

कांग्रेस ने भी इस सीट से अपने उम्मीदवार को उतारा है, लेकिन उनकी संभावनाओं के साथ-साथ ही नौ अन्यों उम्मीदवारों  का भविष्य उज्ज्वल नहीं दिख रहा हैं। विशाखापत्तनम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्र, चार मुख्य शहर में हैं, जबकि दो उपनगर में हैं और एक ग्रामीण क्षेत्र विजयनगरम  का  पड़ोसी जिला है।

एनटीआर की बेटी फिर चुनावी मैदान में

पुरंदेश्वरी टीडीपी के संस्थापक एनटी रामाराव की बेटी हैय़ 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वो कांग्रेस में थी उसके बाद वो बीजेपी में शामिल हुई थी। हालांकि बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। दरअसल उस वक्त टीडीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन था। टीडीपी ने विरोध किया था जिसके चलते पुरंदेश्वरी को टिकट नहीं मिला था। उस बार पार्टी ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। बता दें कि 2009 के आम चुनाव के दौरान प्रजा राज्यम पार्टी के पल्ला श्रीनिवास राव को हराया था। 

 टीडीपी ने माथुकुमिली श्री भरत को जोकि 29 वर्षीय व्यापारी है को अपना प्रत्याशी बनाया है।  भरत राजनीति में अपना सफर शुरु करने जा रहे हैं। हालांकि राजनीति से उनका नाता काफी पुराना है। भरत के ससुर नंदामुरी बालकृष्ण एक फिल्म स्टार और एक विधायक भी हैं। इस वजह से भरत के पुरंदेश्वरी और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू से संबंध हैं। वाईएसआरसी ने रियल एस्टेट व्यवसायी एम वी वी सत्यनारायण को मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व आईपीएस अधिकारी वी वी लक्ष्मी नारायण जन सेना की उम्मीदवार हैं। जब उन्होंने लोकसभा में विशाखापत्तनम का प्रतिनिधित्व किया था तब पुरंदेश्वरी का एक प्रयास था कि शहर में एक रेलवे ज़ोन स्थापित हो, लेकिन यह यूपीए के शासनकाल के दौरान नहीं हुआ।

हालांकि, नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनाव की घोषणा होने से कुछ दिन पहले विशाखापत्तनम रेलवे ज़ोन की स्थापना की घोषणा की और पुरंदेश्वरी अब इसे भगवा पार्टी की उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित कर सकती है। जनसेना ने शुरुआत में विशाखापत्तनम लोकसभा सीट के लिए व्यवसायी जी श्रीनिवास को अपना उम्मीदवार चुना था, लेकिन कुछ ही घंटों में उन्होंने वाईएसआरसी का रुख कर लिया। महाराष्ट्र कैडर की आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी नारायण ने पिछले साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (अपनी मर्जी से) ले लिया था और घोषणा की थी कि वह एक राजनीतिक पार्टी बनाएगी।

टीडीपी और भाजपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण  विशाखापत्तनम सीट
कांग्रेस ने अब तक नौ बार विशाखापत्तनम लोकसभा सीट जीती है और टीडीपी ने इसे तीन बार जीता है।  टीडीपी 15 साल बाद सीट हासिल करना चाहती है। भाजपा के लिए दक्षिणी राज्य में अपनी पहचान बनाने के लिए सीट को बनाए रखना महत्वपूर्ण है, जबकि राजनैतिक प्रासंगिक बनाए रखने के लिए पुरंदेश्वरी का होना ज्यादा आवश्यक है।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव की बेटी पुरंदेश्वरी ने पहली बार 2004 में बापटला सीट जीती थी और उसके बाद 2009 में कांग्रेस के टिकट पर विशाखापत्तनम सीट से चुनाव जीत केंद्रीय मंत्री बनी थी।  2014 में वह भाजपा में शामिल हो गईं और राजामपेट लोकसभा सीट से हार गईं। 

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