Lok Sabha Election 2019: सियासी पटरी पर उम्मीदों की रेल, सभी की चाहत राहत

धनबाद से ट्रेन में चढ़े रूपेश मिश्रा बोलने लगे कि भइया इस बार भी मोदी की बयार बहने लगी है। साथ बैठा युवक सतीश मालाकार उनकी हां में हां मिलाता है।

By mritunjayEdited By: Publish:Sun, 28 Apr 2019 09:36 AM (IST) Updated:Sun, 28 Apr 2019 09:36 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: सियासी पटरी पर उम्मीदों की रेल, सभी की चाहत राहत
Lok Sabha Election 2019: सियासी पटरी पर उम्मीदों की रेल, सभी की चाहत राहत

धनबाद, राजीव शुक्ला। धनबाद रेलवे स्टेशन। रात साढ़े दस बजे। हावड़ा आनंद विहार एक्सप्रेस के आगमन की लगातार घोषणा। पों...पों की आवाज के साथ ट्रेन का प्रवेश। ट्रेन का पहिया रुकने के साथ धमाचौकड़ी। स्लीपर बोगी एस फाइव में एक दर्जन लोगों के साथ मैं भी कर गया प्रवेश। लोकसभा चुनाव पर लोगों के मिजाज को जानने के लिए।

रात 10.55 में ट्रेन खुल गई तो अधिकतर लोगों ने सोने के लिए चद्दर बिछाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने मजलिस जमा ली। धनबाद से ट्रेन में चढ़े रूपेश मिश्रा बोलने लगे कि भइया इस बार भी मोदी की बयार बहने लगी है। साथ बैठा युवक सतीश मालाकार उनकी हां में हां मिलाता है। फिर वह धनबाद के विकास को गिनाने लगता है...बरवाअड्डा से लेकर सिंदरी तक सड़क चकाचक, लाइट जगमग। इस पर रुपेश की टिप्पणी आती है, इस बात को सारे लोग क्यों नहीं समझते। कोई अच्छा कर रहा है तो भी लोग मीनमेख निकाल रहे हैं। उनकी बात को बीच में ही लपक लेते हैं हजारीबाग के पंडित मिश्र। कहने लगे अरे साहब, जनता को क्यों बीच में ला रहे हैं। चुनाव का परिणाम आएगा तो जनता जर्नादन सही पंचायती कर देगी। राजनीतिक पंडितों के भी हाथ के तोते उड़ जाएंगे। कोडरमा स्टेशन पर फिर कुछ लोग चढ़ते हैं, एक दो उतरते हैं।

मताधिकार में सब समानः ट्रेन में एसी, स्लीपर और जनरल डिब्बा के यात्रियों की अलग अलग पहचान है। मताधिकार में सब समान। स्लीपर बोगी में लोग सोने लगे तो जनरल डिब्बा में चल दिए। वह गुलजार था। करीम खान, सच्जाद अहमद के साथ चार पांच युवक बतिया रहे हैं। चर्चा चुनाव पर ही। करीम खान बोल रहे थे कि यूपीए महा गठबंधन वाकई मजबूत है। तीन राज्यों में उसने हिला दिया। कांग्रेस के घोषणा पत्र में देशद्रोह की धारा हटाने की बात है, यह सही नहीं लगता। वतन सबसे पहले हैं। तब सच्जाद बोले कि इस धारा का दुरुपयोग हो रहा होगा, तभी कांग्र्रेस के लोगों ने इस बारे में सोचा होगा। वे बोले कि कितने लोगों को रोजगार मिला? उस पर ध्यान ही नहीं। करीम उनकी बात से इत्तेफाक नहीं रखते। चुनावी गपशप में गिरिडीह के सूर्य प्रकाश कूद पड़े। बोले कि कोडरमा से मरांडी की जीत पक्की है, भाजपा को उसका भितरघात से सबसे ज्यादा घात लगेगा। उनकी बात को काटते हैं उनके ही भाई प्रेमप्रकाश सहाय। प्रेम अपने बेटे की शादी को हरियाणा जा रहे हैं। बोल उठे कि नतीजा आने दीजिए, मोदी की बादशाहत कायम रहेगी। कोडरमा पर आकलन कमजोर है।

लोगों के लिए हो काम का इंतजामः फिर ट्रेन रुक गई। आउटर सिग्नल पर। तुरंत स्लीपर बोगी में आ गए। निधि मिश्रा बैठी थी। विशुद्ध बनारसी। बोली, भाई साहब हमारे बनारस आइए। गंगा में स्नान कीजिए और सीधे बाबा विश्वनाथ का दर्शन करे। इसी सरकार में दम था जो काशी विश्वनाथ के आसपास के मकानों को हटवा दिया गया। ट्रेन में सफर कर रहे कानपुर में पनकी के रहने वाले महेश कुमार बोलने लगे कि हमारे यहां भी बदलाव है। बस जाम की समस्या जस की तस। सुरेंद्र कुमार बोले कि सरकार है तो उज्जवला, पीएम आवास जैसी योजनाएं चलेंगी ही, पहले की सरकारों में भी कोई न कोई योजना चलती थी। लोगों के लिए काम का इंतजाम होना चाहिए। गया स्टेशन आ चुका था। पूरा हो गया था चुनावी सफर।

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