यहां जनता की नजर में नेताओं के भाषण सच से बहुत दूर

चुनावी माहौल गर्माने के साथ ही उत्तरकाशी के मोरी में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। इन सब के बीच यहां की जनता की नजर में नेताओं के भाषण सच से दूर हैं।

By BhanuEdited By: Publish:Wed, 27 Mar 2019 01:32 PM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2019 01:32 PM (IST)
यहां जनता की नजर में नेताओं के भाषण सच से बहुत दूर
यहां जनता की नजर में नेताओं के भाषण सच से बहुत दूर

उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। दिन मंगलवार। दोपहर के साढ़े 11 बजे हैं। पुरोला की मोरी रोड पर एक पान भंडार के पास कुछ लोग चुनावी चर्चा में मशगूल हैं। हों भी क्यों ना, कुछ ही फासले पर भाजपा की चुनावी सभा की तैयारियां जो चल रही हैं। चर्चा में शामिल लोग राजनीतिक दलों और नेताओं पर जमकर तंज कस रहे हैं। पान भंडार के पास ही मोरी जाने के लिए पुरोला निवासी मनोरमा सजवाण गाड़ी का इंतजार कर रही हैं, लेकिन कान उनके चुनावी चर्चा पर ही हैं। 

इसी बीच हमने मनोरमा के मन की थाह लेने की कोशिश की तो उनका जवाब था, पुरोला में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की जनसभा के कारण ज्यादातर वाहन चुनाव प्रचार में लगे हैं और जनता पैदल हो रखी है। अगर नेताओं के भाषणों में सच्चाई होती तो दो दिन पहले पुरोला अस्पताल में उसकी रिश्तेदारी में एक जच्चा-बच्चा की मौत न होती। 

कहती हैं, पुरोला अस्पताल में चिकित्सक हैं न सुविधाएं। अल्ट्रासाउंड मशीन कई सालों से खराब है और ऑपरेशन की सुविधा भी नहीं है। हैरत देखिए किइस चुनाव में कोई भी स्थानीय मुद्दों की बात नहीं कर रहा। सच कहूं तो मेरी नजर में स्थानीय समस्याओं को दूर करने में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही फेल हैं।

अब हम पान भंडार संचालक दर्बीनाथ पटेल से मुखातिब हैं। वह कहते हैं, 'बीते 20 सालों से मैं यहां पान की दुकान चला रहा हूं। लोगों की परेशानी जैसे पहले थी, वैसे ही आज भी है। बीते पांच सालों में भी न तो महंगाई घटी और न रोजगार ही मिला। कांग्रेस भी एक परिवार की कठपुतली बनकर रह गई। मुश्किल यह है कि मतदाताओं के पास कोई बेहतर विकल्प भी नहीं है। 

पुरोला के निकटवर्ती कुरुड़ा गांव के 25-वर्षीय किसान महेश कुमार कहते हैं कि कुछ ग्रामीणों के खाते में जरूर दो-दो हजार रुपये आए हैं। वह इससे भी वंचित हैं। मोरी रोड पर होटल चलाने वाले 45-वर्षीय जगदीश सिंह नेगी कहते हैं कि इस बार लोगों की जुबान पर मोदी और एयर स्ट्राइक की चर्चा है, लेकिन कांग्रेस भी खामोशी से अपनी तैयारियों में जुटी है। 

पुरोला निवासी 50-वर्षीय जतनी लाल किसान हैं। वह कहते हैं, भाषण-रैली कुछ ही दिन की चहल पहल है। चुनाव निपटने के बाद कोई नजर नहीं आने वाला। विधायक और सांसद निधि के पैसे से भी ठेकेदारों की ही जेब भरती है। पोर गांव के किसान बचन लाल कहते हैं, नोटबंदी से मोदी-राहुल को कोई परेशानी नहीं हुई। परेशानी तो उन जैसे गरीब लोगों और छोटे दुकानदारों ने झेली है।

विदित हो कि पुरोला कस्बा टिहरी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में आता है। यहां लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया खेती-किसानी ही है। यह क्षेत्र लाल चावल और मटर-टमाटर के लिए खास पहचान रखता है। यहां की बड़ी समस्याओं में स्वास्थ्य, शिक्षा की गुणवत्ता, जिला मुख्यालय से दूरी आदि प्रमुख हैं।

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