Jharkhand Election Results 2019: विपक्षी महागठबंधन में अब बढ़ेगी रार

Jharkhand Election Results 2019. झारखंड में काफी मशक्कत के बाद बना विपक्षी महागठबंधन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सकते में है। ज्यादातर नेताओं ने चुप्पी साध ली है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 12:58 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 01:06 PM (IST)
Jharkhand Election Results 2019: विपक्षी महागठबंधन में अब बढ़ेगी रार
Jharkhand Election Results 2019: विपक्षी महागठबंधन में अब बढ़ेगी रार

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Election Results 2019 - झारखंड में काफी मशक्कत के बाद बना विपक्षी महागठबंधन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सकते में है। स्थिति यह है कि महागठबंधन की अगुवाई कर रहे नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन परिणाम आने के बाद खुलकर बोलने से बचते रहे। रोजाना प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने वाले कांग्रेस और झामुमो के नेताओं ने चुप्पी साध ली है।

ज्यादातर ने अपने मोबाइल फोन तक बंद कर लिए हैं। इससे स्पष्ट है कि यह आपसी कलह आरंभ होने से पहले की वीरानी है। लंबे-चौड़े दावे कर रहे विपक्षी दलों के बड़बोले नेताओं ने चुनाव परिणाम आने के बाद जिस प्रकार मैदान छोड़ा, उसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में है। विपक्षी दलों के दफ्तरों में पूरी तरह वीरानी थी। जिस प्रकार विपक्षी दलों के नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पूर्व एक-एक सीटों की दावेदारी को लेकर दिल्ली-रांची एक किया, उतना मशक्कत चुनाव लडऩे में नहीं लगाया।

कृपा से टिकट पा गए कांग्रेस के एक पदाधिकारी तो मतगणना के दिन संसदीय क्षेत्र तक से दूर रहे। उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि भारी मतों से परास्त होने वाले हैं। इसी प्रकार मनमाने तरीके से टिकट बांटने का असर आने वाले दिनों में विपक्षी दलों की राजनीति पर पड़ सकता है। स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक इसकी सुगबुगाहट है।

इन मुद्दों पर किचकिच

विधानसभा में किसके पास रहेगा नेतृत्व? सबसे ज्यादा किसकी होगी सीटों पर दावेदारी? प्रदर्शन के आधार पर झाविमो और राजद की क्या होगी भूमिका? विपक्षी दलों की समन्वय समिति का भविष्य?

संताल की राजनीति पर सीधा असर

लोकसभा चुनाव के परिणाम का संताल परगना की राजनीति पर असर पड़ेगा। यहां उन सीटों पर झामुमो के प्रत्याशी पिछड़ गए, जहां से पार्टी के विधायक हैं। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन का चुनाव हारना बड़ा झटका है। इससे उबरने में झामुमो नेतृत्व को वक्त लगेगा। अगर समय रहते झामुमो के रणनीतिकार सचेत होते तो ऐसी नौबत नहीं आती। अति आत्मविश्वास में कद्दावर और करिश्माई राजनीतिक शख्सियत शिबू सोरेन चुनाव मैदान में धराशायी हो गए।

राजमहल सीट बचाने में पार्टी जरूर कामयाब हुई, लेकिन गिरिडीह और जमशेदपुर में करारी हार की अनुगूंज अरसे तक सुनाई पड़ेगी। सिंहभूम संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर विपक्षी प्रत्याशी की बढ़त बरकरार रहने पर झामुमो के नेता अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन इसे प्रत्याशी का चमत्कार ज्यादा माना जा रहा है, क्योंकि झामुमो के अधिकांश विधायकों ने चुनाव में खुलकर उन्हें मदद से परहेज किया।

कांग्रेस में नेतृत्व के खिलाफ सुगबुगाहट

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों पर दावेदारी पेश की। 14 में से सात लोकसभा सीटों कांग्रेस ने प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन सफलता सिर्फ एक सीट पर हासिल हुई। कुछ सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर किचकिच खूब हुई। इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा। गुटों में बंटे कांग्रेस के नेता एक-दूसरे के खिलाफ आग उगलेंगे। तैयारी भी इस लिहाज से हो रही है। टिकट के बंटवारे के मसले पर कुछ नेता प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे।

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