बिहार में टूट की कगार पर महागठबंधन, बेनतीजा रही राहुल-तेजस्वी की मुलाकात

बिहार में महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। एेसा लग रहा है कि बिहार में महागठबंधन टूट की कगार पर है। तेजस्वी यादव की राहुल गांधी से मुलाकात भी बेनतीजा रही।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 18 Mar 2019 10:09 AM (IST) Updated:Tue, 19 Mar 2019 05:24 PM (IST)
बिहार में टूट की कगार पर महागठबंधन, बेनतीजा रही राहुल-तेजस्वी की मुलाकात
बिहार में टूट की कगार पर महागठबंधन, बेनतीजा रही राहुल-तेजस्वी की मुलाकात
पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में महागठबंधन चुनाव के पहले ही महासंकट में घिर गया है। रविवार देर रात यह टूट के कगार पर खड़ा हो गया। कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्‍स, जीतनराम मांझी की महत्वाकांक्षा और लालू प्रसाद की चालाकी के चलते सीट बंटवारे का मसला नाजुक मोड़ पर पहुंचा और रास्ते बंद होते दिखे।
राजद कांग्रेस को आठ सीटों से ज्यादा देने के पक्ष में नहीं है और कांग्रेस 11 से कम के लिए तैयार नहीं है। हफ्ते भर से दिल्ली में बैठे राजद नेता तेजस्वी यादव की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से रविवार की बात-मुलाकात का भी नतीजा नहीं निकल सका।
मामले की गंभीरता को समझते हुए देर रात तक अहमद पटेल प्रयास करते रहे। अगर बात नहीं बनी तो रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और वामदलों के साथ गठबंधन बनाकर कांग्रेस आगे बढ़ जाएगी। जबकि, राजद जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को साथ रखने की कोशिश में जुटा रहेगा। 
देर रात घनघनाने लगे फोन, पूछा गया आप किसके साथ...
संकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राहुल से तेजस्वी की बात के बाद दिल्ली और पटना में बैठे महागठबंधन के सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं के फोन देर रात घनघनाने लगे। पूछा जाने लगा कि गठबंधन अगर टूटता है तो आप किसके पक्ष में रहेंगे। इसके पहले राजद की ओर से वामदलों को दो दिन इंतजार करने की सलाह देकर भी संकेत दे दिया गया था।
कांग्रेस को भी खतरे का अहसास हो गया है। तभी उसने बिहार के अपने सभी शीर्ष नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया। सोमवार को दिल्ली में बिहार के मसले पर कांग्रेस की अहम बैठक हुई। इसके नतीजे का इंतजार है। इधर, तेजस्वी यादव भी आज रात तक पटना लौट सकते हैं।
तेजस्वी के ट्वीट से ही साफ हो गया था कि मामला उलझा है
कांग्रेस के साथ राजद के संबंधों में खटास का अंदाजा दो दिन पहले ही तेजस्वी यादव के ट्वीट से लग गया था, जिसमें उन्होंने साथी दलों को चंद सीटों के लिए अहंकार से बचने की नसीहत दी थी। तेजस्वी के ट्वीट को कांग्रेस के लिए चेतावनी माना जाने लगा। सूत्रों का दावा है कि राजद का यह स्टैंड कांग्रेस को नागवार लगा।
रविवार दोपहर बाद से ही घटक दलों की चालें आड़ी-तिरछी होने लगीं थी। संबंध असहज दिखने लगे। उपेंद्र कुशवाहा को आनन-फानन में दिल्ली तलब कर लिया गया। कांग्रेस से सदानंद सिंह को भी बुलाया गया। गुजरात से लौटकर बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी दिल्ली पहुंच गए हैं।
हफ्ते भर से दिल्ली में जमे तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी को पटना लौटना था। सहनी तो लौट आए, किंतु राहुल से मुलाकात तय हो जाने के कारण तेजस्वी का निर्णय आखिरी वक्त में बदल गया। इधर, पटना से कांग्रेस की संभावित सीटों एवं दावेदारों की सूची लेकर अखिलेश प्रसाद सिंह रांची चले गए। उन्हें लालू तक बिहार कांग्रेस का संदेशा पहुंचाना है। 
कांग्रेस के दबाव से राजद का गुस्सा बढ़ता गया 
शुरू में कांग्रेस  ने महागठबंधन में 16 सीटों के लिए दबाव बनाया। राजद ने आठ का ऑफर दिया। साथ में संदेश भी कि कांग्रेस सिर्फ अपनी चिंता करे और अन्य साथी दलों की चिंता राजद करेगा। बात 11 सीटों पर बन गई तो कांग्रेस  ने चालाकी करते हुए अपनी मनमाफिक सीटें चुन ली हैं।
लालू की कोशिश कांग्रेस को कुछ वैसी सीटें भी देने की थी, जिनपर कड़ा मुकाबला हो सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सहयोगी दलों पर दबाव बनाते की मंशा से अपनी ओर से 11 सीटों पर समझौते का बयान मीडिया को देने लगे।
राजद को यह रास नहींं आया। खेल यहीं से बिगड़ गया। दोनों ओर से दबाव की सियासत तेज हो गई। तीन सीटों पर मान चुके मांझी ने पांच की मांग शुरू कर दी। मुकेश सहनी भी दरभंगा की जिद पर दोबारा अड़ गए। पप्पू यादव की कहानी भी लटक गई। अनंत सिंह पर भी नए तरीके अड़ंगा डाल दिया गया। 
chat bot
आपका साथी