Lok Sabha Election 2019ः चुनाव में आधी आबादी की अधूरी भागीदारी

पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो इनमें दिल्ली -एनसीआर से महिलाओं की भागीदारी नाममात्र की है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 02:11 PM (IST) Updated:Thu, 25 Apr 2019 02:11 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019ः चुनाव में आधी आबादी की अधूरी भागीदारी
Lok Sabha Election 2019ः चुनाव में आधी आबादी की अधूरी भागीदारी

गुरुग्राम। महिला सशक्तीकरण एक ऐसी लहर है जो कि समाज के हर क्षेत्र में नजर आई है और राजनीति में भी इसकी धमक देखने को मिलती है। बावजूद इसके राजनीति के क्षेत्र में आधी आबादी को तय भागीदारी का अवसर नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण यह है कि जिस स्तर पर महिलाओं की तैंतीस प्रतिशत भागीदारी को लागू किया जाना चाहिए, वह नहीं हो सका है। राजनीति में महिला आरक्षण लागू करने की बात आती है तो सभी पार्टियां एक हो जाती हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो इनमें दिल्ली -एनसीआर से महिलाओं की भागीदारी नाममात्र की है। पेश है गुरुग्राम से प्रियंका दुबे मेहता की रिपोर्ट

सही मायने में महिलाओं के हक में राजनीतिक पार्टियां, संसद और संस्थाएं, जिनको कि यह लागू करना है वे ही बाधा हैं। कहां तो 50 फीसद की गारंटी होनी चाहिए थी और कहां 33 प्रतिशत आरक्षण बिल लाख कोशिशों को बाद भी संसद में पारित नहीं हो सका। कई सरकारों ने तो इस बात को कई बार उठाया भी, लेकिन पिछले पांच वर्षों में इसका नाम भी नहीं लिया गया। हालांकि केवल सत्ता पक्ष को ही कटघरे में खड़ा करना ठीक नहीं, क्योंकि विपक्ष भी उस रूप में दबाव भी नहीं बना पाया।

न्यूनतम भागीदारी का भी नहीं मिल हक

होना यह चाहिए कि हर क्षेत्र में, यहां तक कि राजनीति में भी महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित हो। एक बार फिर ठोस मौका आया है जबकि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी, समाज में उनकी हिस्सेदारी और सरकार में दावेदारी को सुनिश्चित कर नजीर पेश की जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

दिल्ली- एनसीआर में कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से शीला दीक्षित, आम आदमी पार्टी ने पूर्वी दिल्ली से आतिशी, भाजपा ने नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी और कांग्रेस ने भिवानी से श्रुति चौधरी जैसे गिने चुने नाम ही दिए हैं। जजपा आप गठबंधन ने स्वाति यादव और एलएसपी-बसपा गठबंधन ने राजबाला सैनी को मैदान में उतारा है।

आम आदमी पार्टी के बारे में कहा जा रहा था कि यह कुछ नया करेगी। लेकिन, पार्टी प्रतिनिधित्व व पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर कुछ सवालों को प्रगतिशील नजरिए से देखने का दावा करने वाली आप भी इस इस कसौटी पर खरी नहीं उतरी।

क्षेत्रीय पार्टियों ने कायम की नजीर

कई जगह पर क्षेत्रीय पार्टियों व पंचायतों में बदलाव की बयार चल चुकी है। कुछ पार्टियों ने पहल की है और साहस दिखाया है कि राजनीति में महिलाओं को उनका अपेक्षित अधिकार दें। टीएमसी और बीजू जनता दल सरीखी पार्टियों ने अपने यहां 33 प्रतिशत की गारंटी की है।

2019 लोस चुनावों महिला प्रत्याशियों की स्थिति

गुड़गांव संसदीय सीट-  किसी भी प्रमुख दल ने महिला उम्मीदवार नहीं उतारा

फरीदाबाद संसदीय सीट- एक भी नहीं

भिवानी-महेंद्रगढ़- श्रुति चौधरी (कांग्रेस) स्वाती यादव (जजपा-आप गठबंधन )

सोनीपत संसदीय सीट- राजबाला सैनी (एलएसपी-बसपा गठबंधन )

उत्तर -पश्चिमी दिल्ली सीट- कोई नहीं

उत्तर-पूर्व दिल्ली- शीला दीक्षित (कांग्रेस)

पूर्वी दिल्ली- आतिशी (आप)

नई दिल्ली- मीनाक्षी लेखी (भाजपा)

2014 लोस चुनावों महिला प्रत्याशियों की स्थिति

नई दिल्ली संसदीय सीट- मीनाक्षी लेखी (भाजपा)

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली- राखी बिड़ला (आप) कृष्णा तीरथ (कांग्रेस)

गुड़गांव संसदीय सीट- किसी महिला को नहीं मिला टिकट

फरीदाबाद- किसी प्रमुख दल ने महिला उम्मीदवार नहीं उतारा

भिवानी-महेंद्रगढ़- श्रुति चौधरी (कांग्रेस)

भाजपा की प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़ का इस बारे में कहना है कि पंचायत चुनाव में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाई थी। नगर निगम चुनावों में भी मौका दिया। लोकसभा चुनाव में भी सुनीता दुग्गल को उम्मीदवार बनाया है।

हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर का कहना है कि कांग्रेस ने सबसे अधिक महिलाओं को टिकट दिया है। पार्टी के वरिष्ठ महिला नेत्री शैलजा व श्रुति चौधरी इस बार भी चुनाव मैदान में है। राजनीतिक समीकरण भी मायने रखते हैं।

आम आदमी पार्टी के हरियाणा ईकाई के संयोजक नवीन जयहिंद का कहना है कि आप ने दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक अधिक महिला उम्मीदवारों को मौका दिया था। इस बार लोकसभा में भी महिला उम्मीदवार बनाई गई हैं।

वहीं जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला का कहना है कि अभी हमारी नई पार्टी है, इसके बाद भी हमने चुनाव में आधी आबादी की भागेदारी सुनिश्चित की है। मैं आने वाले दिनों में हम महिलाओं को भी टिकट देंगे।

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