Lok Sabha Election 2019 : हाईवे के 'गड्ढों ' में फंसी फोरलेन की 'गाड़ी'; BIG ISSUE

Lok Sabha Election 2019. एनएच 33 को फोरलेन बनाने का टेंडर 2012 में हुआ था लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी 50 फीसद ही काम हुआ है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 03:05 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 03:05 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :  हाईवे के 'गड्ढों ' में फंसी फोरलेन की 'गाड़ी'; BIG ISSUE
Lok Sabha Election 2019 : हाईवे के 'गड्ढों ' में फंसी फोरलेन की 'गाड़ी'; BIG ISSUE

जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजवी। Lok  Sabha Election 2019 रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच ) 33 पर फोरलेन की 'गाड़ी' सात साल से हाईवे के 'गड्ढों' में फंसी हुई है। गड्ढे मतलब सरकार और एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय प्राधिकरण लिमिटेड) की लापरवाही। एनएच 33 को फोरलेन बनाने का टेंडर 2012 में हुआ था लेकिन, सात साल बीत जाने के बाद भी 50 फीसद ही काम हुआ है। दर्जनों पुल व दो ओवरब्रिज का काम तक शुरू नहीं हो सका है। कार्यकारी एजेंसी हैदराबाद की कंपनी मधुकॉन प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने पिछले साल हाथ खड़े कर दिए। एनएचएआइ को दोबारा टेंडर प्रक्रिया पूरी करने में साल भर लग गए। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अभी एनएच 33 के फोरलेन का काम शुरू नहीं हो सका है।  

बरही से बहरागोड़ा तक जाने वाली इस सड़क को एनएचएआइ ने इसे राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर 2010 में लिया था। एनएच 33 के रांची से महुलिया तक के 163.500 किलोमीटर लंबी हाईवे के 1485.33 करोड़ रुपये की लागत से फोरलेन के काम का टेंडर नवंबर 2012 में हुआ। काम हैदराबाद की मधुकॉन कंपनी को मिला। इसके लिए कंपनी ने केनरा बैंक की हैदराबाद शाखा से लोन लिया। बैंक ने 1054 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया। मधुकॉन ने दिसंबर 2012 में निर्माण कार्य शुरू कर दिया। लेकिन, ये निर्माण काफी सुस्त चल रहा था। सड़क की हालत बद से बदतर होती जा रही थी। इसे देखने वाला कोई नहीं था। जनता इसी जर्जर सड़क पर चलने को मजबूर थी।

मौत का हाईवे पड़ गया नाम

सड़क पर इस कदर गड्ढे हो गए थे कि इस पर साल भर में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही थी। इसे लोग मौत का हाईवे कहने लगे। जमशेदपुर में राजनीतिक पार्टियों और कारोबारियों ने कई बार आंदोलन किया लेकिन, मधुकॉन पर कोई असर नहीं पड़ा। उसका सुस्त काम चलता रहा। एनएच 33 के फोरलेन का काम जून 2015 में पूरा हो जाना था। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। 2015 तक हाईवे पर ज्यादा काम नहीं हुआ था। इस वजह से एनएचएआइ ने अवधि में विस्तार कर दिया। इसके बाद भी मधुकॉन ने 163.500 किलोमीटर लंबे हाईवे में से पांच साल में महज 63 किलोमीटर तक निर्माण कर हाथ खड़े कर दिए। एनएच 33 पर दो फ्लाईओवर बनाए जाने थे। दोनों फ्लाईओवर का रत्ती भर काम नहीं हुआ। यही नहीं, एनएच 33 पर कई पुलों का निर्माण भी अधूरा छोड़ दिया गया।

हाई कोर्ट पहुंचा मामला

मधुकॉन के हाथ खड़े कर देने के बाद आंदोलन हुआ। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। दैनिक जागरण ने भी अभियान चलाया और इसका नतीजा ये हुआ कि एनएचएआइ ने मधुकॉन से करार रद कर उससे एनएच 33 का काम छीन लिया। एनएचएआइ ने एनएच 33 के बचे हुए काम के लिए नए सिरे से टेंडर कर दिया है। लेकिन, जिन कंपनियों को टेंडर मिला है उन्होंने अब तक काम नहीं शुरू किया है। एनएचएआइ का कहना है कि चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने की वजह से निर्वाचन विभाग से काम शुरू करने की अनुमति मांगना जरूरी है। अनुमति मिलने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा। 

कहीं और खर्च हुए सड़क निर्माण के 208 करोड़ 

मधुकॉन ने दावा किया कि उसने पांच साल में 63 किलोमीटर लंबी सड़क के फोरलेन के निर्माण में 919 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसकी जांच कराई गई तो पता चला कि कुल 711 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। बाकी 208 करोड़ रुपये की रकम कहीं किसी और योजना में खर्च कर दी गई है। मामले की जांच की गई और मधुकॉन को दोषी पाया गया। 

चल रही है सीबीआइ जांच 

मधुकॉन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड इस हाईवे के फोरलेन का काम क्यों नहीं करा पाई है। इसे लेकर सीबीआइ जांच चल रही है। सीबीआइ ने अब तक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है। हाईकोर्ट इस जांच की निगरानी कर रही है। जांच इस बात को लेकर हो रही है कि मधुकॉन ने समय-सीमा के अंदर सड़क निर्माण क्यों पूरा नहीं कर सकी। इस बात की भी जांच चल रही है कि मधुकॉन ने 208 करोड़ रुपये कहां और किस काम में खर्च किए हैं। 

एनएच नहीं बनने से औद्योगिक विकास प्रभावित 

एनएच नहीं बनने से कोल्हान का विकास प्रभावित है। यहां कोई विदेशी कंपनी निवेश करने से कतरा रही हैं। शहर के कारोबारियों को रांची आने-जाने में दिक्कत हो रही है। ढ़ाई की जगह चार-पांच घंटे में सफर पूरा हो रहा है। कारोबारियों का कहना है कि अगर एनएच 33 फोरलेन बन जाए तो जमशेदपुर से रांची की दूरी डेढ़-दो घंटे की हो जाएगी। शहर से रांची एयरपोर्ट पहुंच कर कारोबारी हवाई जहाज पकड़ सकेंगे। इससे कोल्हान का तेजी से औद्योगिक विकास होगा। 

एक्सपर्ट व्यू 

एनएचएआइ और सरकार की लापरवाही साफ झलकती है। अगर दोनों ने गंभीरता दिखाई होती। काम की बराबर निगरानी हुई होती तो ये नौबत नहीं आती। एनएच 33 के फोरलेनिंग का काम 2015 या बहुत लेट होता तो 2016 में पूरा हो जाता। सरकार की इच्छा शक्ति कमजोर रही। इसलिए, एनएच निर्माण में देर हुई। अभी भी टेंडर हो गया है लेकिन, एनएचएआइ पता नहीं क्यों काम उलझाए हुए है। चुनाव के बहाने कंपनियों को वर्क आर्डर तक नहीं दिया गया है। 

रमेश कुमार सिंह, पूर्व प्रबंधक साहिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड 

ये कहते भाजपा नेता

एनएच 33 का निर्माण जल्द होना चाहिए। इसके बिना कोल्हान का विकास अधूरा है। टेंडर हो चुका है। जल्द निर्माण शुरू होगा। 

विकास सिंह, भाजपा नेता 

कारोबारी की सुनें

एनएच 33 नहीं बन पाने से कारोबार को नुकसान हो रहा है। कारोबारी कई साल से एनएच 33 के लिए आंदोलन करते रहे हैं। लेकिन, सरकार कभी गंभीर नहीं रही। 

राहत हुसैन, कारोबारी जुगसलाई 

ये भी जानें

- 163.500 किलोमीटर लंबा है रांची-महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग 

- 2010 में इस सड़क को एनएचएआइ ने घोषित किया था एनएच 

- 1485.33 करोड़ रुपये की लागत से बननी थी सड़क 

- दिसंबर 2012 में मधुकॉन ने लिया था एनएच के फोरलेन के काम का टेंडर 

- जून 2015 में पूरा होना था एनएच 33 के फोरलेन का निर्माण 

- 2018 के फरवरी महीने में मधुकॉन ने बंद कर दिया था एनएच का निर्माण कार्य 

कहां कितने का टेंडर

- 379 करोड़ से चिलगू से महुलिया खंड के निर्माण का टेंडर गुजरात की आयरन ट्रैंगल लिमिटेड को।

- 351 करोड़ से रांची-रडग़ांव खंड के निर्माण का टेंडर कोलकाता की भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड को 

- 380 करोड़ से रांची ङ्क्षरग रोड खंड के निर्माण का टेंडर बेगुसराय की रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को

- 192.96 करोड़ से रडग़ांव-जमशेदपुर खंड के निर्माण का टेंडर बेगुसराय की रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को

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