लोकसभा चुनाव: कांग्रेस प्रत्‍याशी अंबरीष कुमार बोले, मुझे पहचान का कोई संकट नहीं

दैनिक जागरण ने अंबरीश कुमार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीष कुमार ने बेबाकी के साथ सवालों के जवाब दिए।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 04 Apr 2019 02:05 PM (IST) Updated:Thu, 04 Apr 2019 02:05 PM (IST)
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस प्रत्‍याशी अंबरीष कुमार बोले, मुझे पहचान का कोई संकट नहीं
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस प्रत्‍याशी अंबरीष कुमार बोले, मुझे पहचान का कोई संकट नहीं

हरिद्वार, जेएनएन। हरिद्वार संसदीय सीट से कंग्रेस ने अनुभवी अंबरीष कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है। तेज-तर्रार व अच्छे वक्ता के रूप में पहचाने जाने वाले अंबरीष कुमार सपा से विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस से राजनीति में शुरू की। त्वरित सियासी कदम उठाने का उनका अंदाज ही रहा कि कभी एक दल उनकी पसंद नहीं बन सका। अब फिर कांग्रेस का झंडा थामा है और कांग्रेस ने भी उन पर विश्वास जताया है। चुनाव में किए जा रहे दावों-वादों को लेकर दैनिक जागरण ने अंबरीश कुमार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीष कुमार ने बेबाकी के साथ सवालों के जवाब दिए।

प्रश्न-आपने हरिद्वार को उत्तराखंड में शामिल करने का विरोध किया था, अब भी आप क्षेत्रवाद के मुद्दे को हवा दे रहे हैं, आप तोड़ने की राजनीति क्यों करते हैं, जोड़ने की क्यों नहीं।

-यह कहना या आरोप लगाना बिलकुल गलत है। गलत, इसलिए कि उत्तराखंड के विरोध का कोई आधार नहीं। मैं उस वक्त समाजवादी पार्टी में था। पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने रमाशंकर कौशिक को उत्तराखंड का खाका खींचने का काम दिया था, इस मामले में वही एकमात्र विश्वसनीय रिपोर्ट है। और मुझे यह स्पष्ट करना है उस रिपोर्ट में हरिद्वार शामिल नहीं था। वैसे भी उस वक्त जिस पहाड़ी राज्य की कल्पना की गई थी, उसमें हरिद्वार की कोई जगह नहीं थी। हमारा सिर्फ इतना ही कहना था कि हरिद्वार पहाड़ी इलाका नहीं है, इसकी भगौलिक परिस्थितियां अलग हैं। इसलिए इसकी समस्या अलग हैं और आवश्यकताएं भी।

प्रश्न-हरिद्वार से हरीश रावत के चुनाव लड़ने की बात हो रही थी पर आप उनका विरोध कर रहे थे, अब आपको प्रत्याशी बना दिया गया तो क्या सभी का सहयोग ले पाएंगे।

-मेरा इसमें कहना कि मैने हरीश रावत जी का कोई विरोध नहीं किया। मैने सिर्फ अपना टिकट मांगा । टिकट मांगना मेरा लोकतांत्रिक आधार है। इसे विरोध कहना उचित नहीं। यह चुनाव जनता कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ रही है। जनता को लगने लगा कि उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। मैं जनता की आवाज बन सामने आया। इसमें कहीं कोई गलत नहीं।

प्रश्न-क्या आप मानते हैं कि कांग्रेस में गुटबाजी है और सभी को एकजुट करने में आप कितने सफल हुए हैं।

-कहां नहीं होती गुटबाजी, ये तो घरों तक में होती है। इसका मतलब किसी का विरोध करना नहीं है, सभी साथ हैं और साथ ही काम कर रहे हैं।

प्रश्न-लंबे सियासी जीवन में आपने हरिद्वार के लिए क्या किया, कोई पांच काम आप बता सकते हैं।

-देखिए काम तो मैंने बहुत किए हैं, सपा सरकार के दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पार्क, रायसी का पुल, भोगपुर से बालावाली पुल, हरिद्वार स्टेडियम, सतीघाट का सौंदर्यीकरण, टाउनहाल और मैंने ही हरिद्वार के गांव-गांव में संचार सुविधा पहुंचवाई, गांव-गांव तक विद्यालय खुलवाने का काम भी मैंने ही किया।

प्रश्न-हरिद्वार संसदीय सीट की सभी विधानसभाओं में आपकी पहचान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, यह कहा जा रहा है कि आपकी पहचान हरिद्वार शहर तक ही सीमित है।

-यह कहना इसलिए उचित नहीं है, क्योंकि जिस प्रकार का समर्थन इस वक्त मुझे मिल रहा है, वह साबित करता है कि मुझे पहचान का कोई संकट नहीं। पहचान का संकट भाजपा प्रत्याशी को है, जो पांच वर्षों में कम ही नजर आए।

प्रश्न-आप सुविधा के अनुसार दल-बदलते रहे हैं, दल-बदलू और सियासी मौकापरस्त होने के सवाल पर क्या कहेंगे।

मेरी नीति हमेशा से धर्म निरपेक्षता की रही है। मुझे जब-जब यह लगा कि मेरी पार्टी इससे अलग हट रही है, मैने उसका साथ नहीं दिया। इसे दल-बदल कहना ठीक नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के समय उनकी नीति मेरी नीति से मेल नहीं खाईं तो मैं सपा के साथ चला गया और जब सपा ने अपनी नीति बदली तो मैं कांग्रेस के साथ आ गया। 

प्रश्न-किसानों, बेरोजगारों के सवाल पर आप दूसरों को घेरते हैं, इन सवालों पर क्या आपने कभी कुछ किया।

-किसानों के लिए जितना संघर्ष मैंने किया, उतना तो किसी अन्य नेता आज तक नहीं किया। यही वजह है कि मेरे प्रत्याशी बनते ही किसान यूनियन मेरे साथ आ खड़ी हुई। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे मेरे साथ बिना शर्त आ गए। मेरी सोच को कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहा गया है। बेरोजगारों को रोजगार के लिए सिडकुल की स्थापना के वक्त 70 फीसद स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्थ करने में अहम भूमिका अदा की। यह बात अलग है कि राज्य की सरकारों ने इसे सख्ती के साथ लागू नहीं कराया। 

प्रश्न: उत्तराखंड राज्य गठन को लेकर आपके तेवर तल्ख थे, अब भी उत्तराखंड राज्य को लेकर आपका स्टैंड वही है।

-राज्य को लेकर न तेवर तब तल्ख थे और न ही अब हैं, देखिए राज्य बनाना लोगों की अकांक्षाओं के अनुरूप होना ही चाहिए। यह लोकतंत्र का तकाजा है। लोकतंत्र में बहुमत की ही मानी जाती है, इसलिए हर फैसला मंजूर, मैंने स्वीकार किया कि हरिद्वार उत्तराखंड का हिस्सा है।

प्रश्न-केंद्र की यूपीए और राज्य की पूर्व  कांग्रेस सरकार ने हरिद्वार के विकास के लिए क्या किए, कोई तीन बड़े काम बता सकते हैं।

-देश की महारत्न कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल), औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल का निर्माण कांग्रेस सरकार में ही हुआ। निर्मल गंगा को अभियान कांग्रेस ने ही शुरू किया, कांग्रेस ने ही गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया।

प्रश्न-जनता के बीच आपकी सक्रियता चुनावी मौसम में ही रहती है, इस आरोप पर आपका क्या कहना है।

-यह कहना हास्यास्पद है, जो लोग हरिद्वार की राजनीति से परिचित नहीं है, वह ही इस तरह की बात करते हैं। हरिद्वार और राज्य से जुड़े हर मुद्दे पर मैं हर वक्त, हर समय सक्रिय रहता हूं। 

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