Jharkhand Assembly Election 2019 : रिझाएगी हंडिया, लुढ़काएगा देशी ब्रांड और वोट खल्लास

Jharkhand Assembly Election 2019. यह चलन है कि आदिवासी बहुल पश्चिमी सिंहभूम में वोट पर्व के दिन मतदाताओं को मिलेगा नुक्कड़-नुक्कड़ चुक्कड़ और वोट खल्लास।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 01:00 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 01:00 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : रिझाएगी हंडिया, लुढ़काएगा देशी ब्रांड और वोट खल्लास
Jharkhand Assembly Election 2019 : रिझाएगी हंडिया, लुढ़काएगा देशी ब्रांड और वोट खल्लास

चक्रधरपुर, दिनेश शर्मा। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड के आदिवासी बहुल पश्चिमी सिंहभूम में कहा जाता है कि अवसर आयोजन कुछ भी हो, हंडिय़ा नहीं, तो कुछ भी नहीं। लाजिमी है कि चुनाव के अवसर पर बहुसंख्यक लोगों की इस मानसिकता का दोहन दोनों हाथों से राजनेता करते रहे हैं और करेंगे भी।

पश्चिम सिंहभूम जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में करीबन हर दल और प्रत्याशी अपनी थैली के अनुसार इसका प्रबंध भी करता रहा है। हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में वोटरों को कब्जे में करने के लिए हंडिय़ा का खास इस्तेमाल किए जाने के संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार आदिवासी बहुल इलाकों में हंडिय़ा तो गैर आदिवासी इलाकों में स्टेटस के अनुसार देशी व विदेशी ब्रांड व खपत की अनुमानित मात्रा की लिस्ट तैयार कर ली गई है। यानी वोट पर्व के दिन मतदाताओं को मिलेगा नुक्कड़-नुक्कड़ चुक्कड़ और वोट खल्लास। 

दुविधा में प्रत्याशी, सुविधा में वोटर

प्रत्याशियों के लिए सही-सही अंदाजा लगाना कठिन हो गया है कि कौन वोटर उनके साथ है अथवा कौन विरुद्ध। इसी स्थिति के मद्देनजर प्रत्याशी अब खास-खास अपेक्षा वाले क्षेत्रों की सही मानसिकता जानने के लिए'स्थानीय व बाहरी भेदियों का प्रयोग कर रहे हैं। गलाकाट होड़ ऐसी कि एक प्रत्याशी के काफिले के पीछे प्रतिद्वंदी प्रत्याशी के जासूस लगे हैं। एक के बाद लगे हाथ दूसरा काफिला पहुंचकर सम्बंधित क्षेत्र में पहले वाले के प्रभाव को धोने के नुस्खे आजमाने में जुट जा रहा है। वोटर अब पहले की तरह किसी भी दल के'लाठी ठोंक समर्थक तो रहे नहीं। वजह साफ है, नेताओं का प्याज जैसा परतदार आचरण। वोटरों का क्षण-क्षण बदलने वाला स्वभाव भी इस क्रम में उन्हें खुश करने के लिए सारे'सस्ते-महंगे समझौते करने को मजबूर कर रहा है। अब प्रत्याशी के लिए दुविधा की स्थिति यह कि वोटर ऐसे ही समझौते प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों के साथ भी करने को स्वतंत्र है।

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