बागियों को नहीं मना पाई कांग्रेस-भाजपा अधिकृत प्रत्याशियों की बढ़ी मुश्किल

कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं काबीना मंत्री कौल सिंह ठाकुर अपने ही चेले पूर्ण ठाकुर को नहीं मना पाए हैं। वह गुरु के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Fri, 27 Oct 2017 12:40 PM (IST) Updated:Fri, 27 Oct 2017 12:40 PM (IST)
बागियों को नहीं मना पाई कांग्रेस-भाजपा अधिकृत प्रत्याशियों की बढ़ी मुश्किल
बागियों को नहीं मना पाई कांग्रेस-भाजपा अधिकृत प्रत्याशियों की बढ़ी मुश्किल

शिमला, राज्य ब्यूरो। तमाम मान मनौव्वल के बावजूद कांग्रेस व भाजपा नामांकन वापस लेने की अवधि खत्म होने तक बागियों को नहीं मना पाई हैं। दोनों दलों से सात-सात नेता टिकट न मिलने के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डटे हैं। इससे पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

मंडी जिला के दं्रग में पूर्ण ठाकुर ने नामांकन वापस नहीं लिया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं काबीना मंत्री कौल सिंह ठाकुर अपने ही चेले पूर्ण ठाकुर को नहीं मना पाए हैं। वह गुरु के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। कौल सिंह कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी हैं लेकिन अपने चुनाव हलके से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वह परिवारवाद के आरोपों से भी घिरे हैं। मंडी में उनकी बेटी चंपा ठाकुर चुनाव लड़ रही हैं। रामपुर में पूर्व मंत्री सिंघी राम चुनाव लड़ेंगे। इससे सीपीएस नंदलाल की परेशानियां बढ़ गई हैं। शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी हरीश जनारथा को मनाने के लिए पूर्व सीएम हरीश रावत व भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी जोर लगाया।

पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्होंने उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक से बातचीत की पर इन्हें नहीं मना पाए। नालागढ़ में हरदीप बावा भी वीरभद्र खेमे के हैं। बावा भी कांग्रेस के खिलाफ वोट मांगेंगे। कुल्लू में रेणुका डोगरा पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी सुंदर सिंह ठाकुर के पक्ष में नहीं आईं। 

रेणु पंचायत समिति सदस्य भी हैं और वीरभद्र विरोधी गुट की मानी जाती हैं। लाहुल से राजेंद्र करपा मौजूदा विधायक रवि ठाकुर की राह में आड़े आ रहे हैं। करपा भी चुनाव लड़ेंगे। जनम सिंह मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के लिए नए सियासी अवतार में आए हैं। वह भरमौर में चुनावी रण में भरमौरी की दिक्कतें बढ़ाएंगे। इसके अलावा करसोग से पूर्व विधायक मस्तराम भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वह पिछले चुनाव में कांग्रेस के बागी थे। बाद में पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था और उनकी कांग्रेस में वापसी नहीं हुई।

वहीं, विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा सत्ता में वापसी करना चाहती है लेकिन अनुशासित पार्टी केबागी नेता मैदान से हटने के लिए तैयार नहीं थे। भाजपा को सबसे अधिक बगावत का सामना कांगड़ा जिला में करना पड़ रहा है। प्रदेश के सभी जिलों में भाजपा के सात बागी चुनाव लडऩे के इरादे से डटे हुए हैं।

इससे मिशन 50 प्लस का लक्ष्य लेकर चली भाजपा के सामने अधिकृत प्रत्याशी का वोट बंटने की चुनौती पैदा हो गई है। कांगड़ा जिला के पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रवीण शर्मा ने नामांकन वापस न लेकर अपने राजनीतिक गुरु शांता कुमार की बात नहीं मानी। प्रवीण को मनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा भी पहुंचे थे। फतेहपुर सीट पर बलदेव ठाकुर चुनाव लड़कर भाग्य आजमाना चाहते हैं। ऐसे में

जिला कांगड़ा में दो स्थानों पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है।

चंबा शहर की सीट से भाजपा के विधायक बीके चौहान भी चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए। चौहान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी पवन नैयर के खिलाफ मैदान में जंग लडऩे के लिए तैयार हैं। सिरमौर जिले के रेणुका में पूर्व विधायक हिरदा राम के बागी तेवर ढीले नहीं हुए। पार्टी नेता उन्हें भी चुनाव मैदान से नहीं हटा पाए। हमीरपुर जिला में नादौन सीट पर लेखराज ने पार्टी नेताओं की बात पर ध्यान न देते हुए बगावत की राह पकड़ी है। लेखराज नादौन में विजय अग्निहोत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरेंगे। ऊना जिला की हरोली सीट पर रविंद्र सिंह मान ने भी चुनाव लडऩे के लिए ताल ठोंकी है। मनाली में निर्दलीय उतरे गजेंद्र ठाकुर भाजपा प्रत्याशी गोविंद ठाकुर के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं। गजेंद्र ठाकुर ने नामांकन वापस नहीं लिया।

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