Exit Poll आने के बाद अमित शाह और जेपी नड्डा ने भाजपा सांसदों और नेताओं की बुलाई बैठक

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव को मतदान को लेकर खत्‍म हो चुका है। एक्जिट पोल में सरकार बनाने को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 09:40 PM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 09:40 PM (IST)
Exit Poll आने के बाद अमित शाह और जेपी नड्डा ने भाजपा सांसदों और नेताओं की बुलाई बैठक
Exit Poll आने के बाद अमित शाह और जेपी नड्डा ने भाजपा सांसदों और नेताओं की बुलाई बैठक

नई दिल्‍ली, एजेंसी। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव को मतदान को लेकर खत्‍म हो चुका है। एक्जिट पोल में सरकार बनाने को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं। ज्‍यादातर एक्जिट पोल में आप को बढ़त के दावे किए जा रहे हैं। वहीं भाजपा के वोट प्रतिशत और सीटें बढ़ने की भी संभावना जताई जा रही है।

Delhi: BJP President Jagat Prakash Nadda arrives at party office for a meeting with Delhi BJP leaders. pic.twitter.com/k6ZJKi4Zhs— ANI (@ANI) February 8, 2020

भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार शाम को भाजपा सांसदों, विधायकों, पार्षदों और नेताओं की बैठक बुलाई है। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष मनोज तिवारी ने दावा किया है कि एक एक्जिट पोल में भाजपा को 26 सीटें मिलने का दावा किया जा रहा है। भाजपा दिल्‍ली में 48 सीटें जीतेगी। एग्जिट पोल के नतीजे फेल होंगे।  

अंतिम चरण में जमकर झोंकी मेहनत 

चुनाव के छह महीने पहले अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से घोषणाएं की, उससे चुनाव एक तरफा लग रहा था। लेकिन एक महीने पहले आते-आते दि‍ल्‍ली विधानसभा का परिदृश्‍य बदल गया। पूरे चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,  भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्‍यक्ष मनोज तिवारी ने जमकर मेहनत की। अकेले अमित शाह ने भाजपा की 200 से अधिक सभाएं की। अंतिम चरण के प्रचार के लिए भाजपा ने बड़े नेताओं के साथ साथ लगभग 250 सांसदों को भी मैदान में उतारा गया  जिन्हें दिल्ली की झुग्गियों में एक रात गुजारने को कहा गया।

इन सांसदों को दिल्ली में फैले उन झुग्गी-झोपड़ि‍यों में पहुंचने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां उनके संसदीय क्षेत्र से आकर रहने वालों की संख्या अधिक है। इसे अरविंद केजरीवाल के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देखा गया। दिल्ली में भाजपा का कोर वोटर लगभग 33 फीसद है जो किसी भी परिस्थिति में उसे वोट देता ही है। यही कारण है कि 2015 में अरविंद केजरीवाल की लहर में भी भाजपा लगभग 33 फीसदी वोट लाने में सफल रही थी। उसकी तुलना में इस बार मत प्रतिशत बढ़ा है।  

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