Bihar Assembly Elections 2020: चकाई को अनुमंडल का दर्जा मिलता तो बदल जाती यहां के लोगों की तकदीर

चकाई में दैनिक जागरण के चुनावी चौपाल में लोगों ने कहा कि अब तक चकाई को जो हक मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया है । यहां के जनप्रतिनिधि इस दिशा में उदासीन रहे हैं। यहां का ज्वलंत मुद्दा अनुमंडल अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 16 Oct 2020 05:43 PM (IST) Updated:Fri, 16 Oct 2020 05:43 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020:  चकाई को अनुमंडल का दर्जा मिलता तो बदल जाती यहां के लोगों की तकदीर
चकाई में आयोजित दैनिक जागरण के चौपाल में उपस्थित लोग

जमुई, जेएनएन। विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ ही चकाई विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तपिश बढ़ गई है। हर और सिर्फ चुनावी चर्चा ही जारी है। लोग अपने अपने स्तर से प्रत्याशियों से लेकर दलों का आकलन कर रहे हैं । कोई किसी और तो कोई किसी और को अपना पसंदीदा प्रत्याशी और उम्मीदवार बता रहा है । वही मतदाता अब तक खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि मन ही मन मतदाताओं ने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मतदान करने का मन बना लिया है लेकिन वे खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इसी क्रम में चुनावी तपिश को जानने दैनिक जागरण ने बाजार के प्रसिद्ध सरकारी बस स्टैंड के केलु साह चाय दुकान पर चौपाल लगाकर मतदाताओं के मिजाज को जानने का प्रयास किया । इस चुनावी चौपाल के दौरान अधिकांश लोगों ने विकास के मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी । लोगों ने कहा कि अब तक चकाई को जो हक मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया है । यहां के जनप्रतिनिधि इस दिशा में उदासीन रहे हैं । यहां का ज्वलंत मुद्दा अनुमंडल अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है । तमाम जनप्रतिनिधि जिनहोंने यहां का प्रतिनिधित्व किया उन्होंने इस मुद्दे पर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई । जिसके कारण लोगों का चिर प्रतिक्षित मांग और सपना पूरा नहीं हो सका। लोगों ने एक स्वर में कहा कि अगर चकाई को अनुमंडल का दर्जा मिल जाए तो यहां के इलाके के लोगों की तकदीर और तस्वीर बदल जाएगी। लेकिन अब तक यहां के लोगों का मांग पूरा नहीं हो पाया है। इस दौरान लोगों ने यह भी कहा की चुनाव के वक्त लंबे अरसे से यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधि विकास का दावा करते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे इसमें सफल नहीं हो पाते हैं । आज भी चकाई बाजार और उससे सटे कई इलाकों की जर्जर सड़क जनप्रतिनिधियों के विकास के दावे को आईना दिखा रहा है कि उनका विकास का दावा कितना सफल है । आज भी सुदूर क्षेत्र के कई गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई है । जल नल योजना का लाभ नहीं पहुंच पाया है । स्वास्थ्य सुविधा भगवान भरोसे है । जिससे पता चलता है कि विकास की गति क्षेत्र में किस स्थिति में है। आज भी लोग नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चुवा खोद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं । लोगों को इस बात का मलाल है कि आजादी के 72 साल बीतने के बाद भी यहां के लोगों का चिर प्रतिक्षित मांग अनुमंडल अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

जिस रफ्तार से क्षेत्र में विकास होना चाहिए था उस रफ्तार से क्षेत्र में विकास नहीं हुआ । रोजगार के लिए आज भी युवा भटक रहे हैं । जनप्रतिनिधियों ने इस और ईमानदारी से प्रयास नहीं किया। अगर ईमानदारी से प्रयास करते तो युवाओं को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता ।

आशीष केसरी, सरकारी बस स्टैंड, चकाई बाजार

विकास के मामले में चकाई शुरू से अपेक्षित रहा है ।आज भी ग्रामीण इलाके के लोग मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। ङ्क्षसचाई शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी भी काफी सुधार की जरूरत है ।छात्राओं के लिए छात्रावास और एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना होना अति आवश्यक है।

धर्मेंद्र रजक, सहाना कॉलोनी

चकाई को अब तक अनुमंडल का दर्जा नहीं मिला इस कारण इलाके का समुचित विकास नहीं हो पाया अगर चकाई को अनुमंडल का दर्जा दिया जाता है तो यहां का समुचित विकास होगा और चकाई पूरे राज्य में विकास के मामले में सर्वोपरि स्थान हासिल करेगा। प्रवीण दुबे ,थाना मोड़ चकाई

अनुमंडल यहां की चिर प्रतिक्षित मांग है जिसके लिए जनप्रतिनिधियों ने ईमानदारी से प्रयास नहीं किया । हालांकि पूर्व विधायक स्वर्गीय फाल्गुनी प्रसाद यादव ने इसे मजबूती से उठाया था लेकिन उनकी मौत के बाद फिर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिससे आज तक चकाई अनुमंडल नहीं बन सका।

नागेश्वर पासवान ,झगरूडीह

चकाई को अनुमंडल का दर्जा मिलना अति आवश्यक है । यह लोगों की पुरानी मांग है । लेकिन यहां के जीते हुए जनप्रतिनिधियों ने इस और ईमानदारी से प्रयास नहीं किया। जिससे लोगों की आस अब तक पूरी नहीं हो सकी है ।

राजेंद्र साहू ,सब्जी मंडी चकाई

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