Bihar Assembly elections 2020 : चुनाव शुरू होते ही यहां नेताजी सिंचाई के लिए करने लगते हैं लंबे-चौड़े वादे
Bihar Assembly elections 2020 धरहरा के किसान दशकों से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे यहां के किसान परेशान हैं। चुनाव आते ही यहां पर सिंचाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं।
मुंगेर, जेएनएन। Bihar Assembly elections 2020 : विधानसभा चुनाव का तिथि घोषित होते ही आम मतदाताओं में चुनावी चर्चाएं जोर शोर से शुरू हो गई है। लोग जहां विकास की बात कर रहे है, वहीं धरहरा में ङ्क्षसचाई सुविधाओं को लेकर किसानों ने नेताओं को कोसने में लगें है। जब- जब विधानसभा चुनाव का वक्त आता है, तब-तब राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा ङ्क्षसचाई सुविधा उपलब्ध कराने का सब्जबाग दिखाती है, लेकिन सत्ता की कुर्सी मिलते ही नेता जी ङ्क्षसचाई जैसी मुद्दे को भूल जाते है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में ङ्क्षसचाई की समस्या मुद्दा बन सकती है।
हालांकि धरहरा के किसानों के खेतों तक ङ्क्षसचाई सुविधा पहुंचाने के लिए समय-समय योजना बनती रही, लेकिन धरहरा के किसानों का दुर्भाग्य कहें कि यह योजना धरातल पर उतरने से पूर्व ही दम तोड़ दी। किसानों का कहना है कि इन योजनाओं का क्रियान्वयन हो जाता तो धरहरा के किसानों के चेहरे पर खुशहाली लौट आती।
डकरानाला सिंचाई परियोजना बना दिवास्वप्न
राजद के शासनकाल में जमालपुर, धरहरा के किसानों के खेतों तक ङ्क्षसचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करोड़ो रूपये की लागत से केनाल के साथ गंगा से पानी के लिङ्क्षफ्टग के लिए डकरा(हेरुदियारा) के पास पूर्व मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद यादव ने इसका विधिवत उदघाटन भी किया। लेकिन लिङ्क्षफ्टग स्थान से गंगा का पानी दूर चले जाने की बात करके इस योजना से अधिकारियों व नेताओं ने अपना पल्ला झाड़ लिया। आज भी इसके सु²ढ केनाल किसानों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है।
सतघरवा जलाशय योजना का कार्य अपूर्ण
धरहरा के किसानों हजारों एकड़ में ङ्क्षसचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सात करोड़ रुपये की लागत से राजद शासन काल में सतघरवा जलाशय योजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया। लेकिन योजनाओं में मची लूट-खसोट के कारण यह योजना भी टांय-टांय फिस साबित हुई। बिना केनाल काम कराये ही अधिकारी व कर्मचारियों ने राशि निकाल ली। आज भी सतघरवा जलाशय बांध मजबूत बना हुआ है। लेकिन पानी निकलने वाला गेट ठीक नहीं होने के कारण हजारों लीटर पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है।
कुओं पर लगी राजनीतिक नजर, नहीं हुआ सपना साकार
नक्सल प्रभावित धरहरा के पांच पंचायतों में किसानों के खेतों में सिचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एकीकृत कार्य योजना(इंट्रीग्रेटेड एक्शन प्लान) के तहत प्रत्येक पंचायत में एक-एक सौ कुंआ बनाने का योजना का शुभारंभ तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त हेमचंद्र सिरोही ने की। लेकिन इस योजना के चयन की जिम्मेदारी मुखिया को दिए जाने से सत्ता पक्ष के नेताओं को खटकने लगा और इस योजना को बंद करा दिया गया। इस योजना से बमुश्किल एक दर्जन भी कुंआ का निर्माण नहीं हो सका।
निमियाटोला निवासी किसान उमेश कुमार , लड़ैयाटांड़ निवासी प्रकाश यादव ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों ने धरहरा के किसानों को ठगने का काम किया है। करोडों रुपये योजना के क्रियान्वयन में पानी की तरह बहाया गया, लेकिन किसानों के खेतों में एक बूंद पानी नहीं मिल पाया। इस बार सोच विचार करके मतदान करेंगे।
बंगलवा निवासी मो मोईद व युगल किशोर ने बताया कि धरहरा के किसान आज भी भगवान भरोसे खेती करने को विवश है। सतघरवा के नाम पर कुर्सी तो हथिया लिया, लेकिन इसके क्रियान्वयन में अब तक कोई दिलचस्पी स्थानीय प्रतिनिधि ने नहीं दिखाया है।