मौत को बुलावा देती हैं अरावली की खूूबसूरत खूनी झीलें

अरावली की पहाड़ियों में बनी झील में डूबने से एक युवक की मौत हो गई। युवक की पहचान करण सिंह के रूप में हुई है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Tue, 10 May 2016 03:22 PM (IST) Updated:Wed, 11 May 2016 08:00 AM (IST)
मौत को बुलावा देती हैं अरावली की खूूबसूरत खूनी झीलें

फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। अरावली की पहाड़ियां जितनी खूबसूरत हैं उतनी ही खतरनाक। इन पहाड़ियों पर बनीं दर्जन से अधिक झीलें अब तक कई युवकोंं को मौत की नींद सुला चुकी हैं। यकीन मानिए, यहां बनी झीलों का आकर्षण कुछ ऐसा है कि जो एक बार इन झीलोंं के साफ पानी को देख लेता है वो खुद को रोक नहीं पाता। ऐसा ही कुछ करण सिंह के साथ भी हुआ, करण अरावली की पहाड़ियों पर घूमने तो गया लेकिन फिर कभी नहीं लौटा।

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करण मूल रूप से अलीगढ़ के हिन्नौती का रहने वाला था। करण ने 12वींं कक्षा तक पढ़ाई की और इसके बाद कबड्डी के प्रशिक्षण में जुट गया। करण और उसका पड़ोसी राहुल दोनोंं मेवला महाराजपुर गांव में कबड्डी कोचिंग सेंटर में खेलने के लिए जाते थे।

सेंटर के कोच बीएस चपराना ने बताया कि दोनोंं करीब छह-सात महीने से उनके यहां प्रशिक्षण लेने और खेलने आ रहे थे। सुबह आठ बजे प्रशिक्षण लेकर अपने घर चले जाते थे लेकिन रविवार की दोपहर को 12 बजे के आसपास करण, राहुल और चार अन्य युवक अरावली में घूमने चले गए। घूमते हुए युवक खूनी झील की ओर चले गए, जहां करण पानी में उतर गया और फिर वापस नहींं लौटा।

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पूर्व में हुई घटनाएं
29 सितंबर, 2011 : बीएस अनंगपुरिया कॉलेज के तीन छात्र अभय, दीपक रावत और विशाल यादव की खोरी जमालपुर झील में डूबने से मौत।
30 मई, 2011 : सेक्टर-5 वैशाली गाजियाबाद से सूरजकुंड क्षेत्र की बड़ वाली झील में छह छात्रो के दल में से दो की डूबने से मौत।
22 जुलाई, 2012 : सूरजकुंड की बड़ वाली झील में आरके पुरम दिल्ली निवासी नितेश भाटिया की डूबने से मौत।
26 जुलाई, 2012 : सूरजकुंड की इश्कमंडी वाली झील में भाटी माइंस निवासी आकाश तिवारी व धीरज की डूबने से मौत।
30 मार्च, 2014 : रेडियो जॉकी की सूरजकुंड झील में डूबने से मौत।
24 मार्च, 2014 : बीएस अनंगपुरिया इंजीनिय¨रग कॉलेज के तीन छात्र राघव, रवि और पंकज शर्मा खोरी-जमालपुर वाली झील में डूबे।
मई, 2015: बड़वाली झील में डूबकर एक युवक की मौत हुई थी।

गूगल से हटनी चाहिए झीलोंं की कहानी
अरावली क्षेत्र के अंतर्गत सूरजकुंड क्षेत्रो में बनी कृत्रिम झीलो की जानकारी गूगल पर से हटानी चाहिए। पुलिस की मानें तो दिल्ली-एनसीआर समेत दूसरे शहरो से पिकनिक मनाने वाले छात्रो का ग्रुप गूगल पर सर्च करने के बाद ही यहां तक पहुंचता है। उसके बाद छात्र नहाने के लिए इन झीलो में जाते हैं और डूब जाते हैं।

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कैसे हो बचाव

- प्रशासन को चाहिए कि ऐसे सभी स्थानों को चिहिन्त कर, वहां चेतावनी भरे बोर्ड लगाए जाएं।
- झीलोंं के किनारे ही चेतावनी बोर्ड पर झील की गहराई के बारे में लिखा जाए।
-गर्मियोंं में झीलोंं के पास एक-एक वन्य कर्मी की तैनाती की जाए
- संभव हो तो ऐसी खानोंं तक जाने के रास्ते दीवार लगाकर बंद किए जाएं।
- लोग भी पिकनिक स्पॉट समझकर यहां न जाएं।

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