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बाहें फैलाए पुकार रहीं अरावली की हसीन वादियां

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद पिछले 15 वर्षो में अरावली की पहाड़ियों के संरक्षण का असर अब दिखाई देने लगा

By Edited By: Published: Tue, 18 Aug 2015 07:09 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2015 07:09 PM (IST)

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद

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पिछले 15 वर्षो में अरावली की पहाड़ियों के संरक्षण का असर अब दिखाई देने लगा है। बरसात के इस मौसम में अरावली की वादियों में अनूठा प्राकृतिक सौंदर्य छाया है। गुड़गांव-फरीदाबाद मार्ग से सटे गांव मांगर की बनी (घने जंगल), गांव पाली की बनी और सूरजकुंड मार्ग पर इन दिनों अरावली पहाड़ियों और तलहटी में हरियाली की बयार बह रही है। यहां के मनमोहक प्राकृतिक ²श्य एकाएक लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब इस क्षेत्र में दूर-दराज से प्राकृतिक प्रेमी पर्यटन की ²ष्टि से विहार करेंगे।

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-पहाड़ी इलाकों जैसा मनमोहक हो गया है गांव मांगर

गुड़गांव-फरीदाबाद मार्ग से सटे गांव मांगर (जहां हाइवे फिल्म की शू¨टग हुई) के सरकारी हाई स्कूल पहुंचते हुए ही कोई यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नजदीक औद्योगिक नगरी का एक छोटा सा गांव है। स्कूल के प्रांगण से अरावली तलहटी में बसे गांव मांगर के चारों तरफ हरियाली छाई है। स्कूल प्रांगण से तलहटी की गहराई करीब डेढ़ सौ मीटर है और पहाड़ियों पर भी अब हरे-भरे पेड़ दिखाई देते हैं।

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अवैध खनन ने बिगाड़ दिया था स्वरूप

अरावली की वादियों में करीब 25 साल पहले ऐसी ही हरियाली थी। पहाड़ी क्षेत्रों में औषधीय पौधे भी थे। इनकी खोज में प्राचीन काल में यहां कई ऋषि मुनि आए और आधुनिक काल में भी नामी वैद्य इस क्षेत्र में औषधीय पौधों की तलाश करते रहे हैं। हालांकि अवैध खनन के दौरान इस पूरे क्षेत्र का स्वरूप बिगड़ गया था। 2001 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके कुछ समय बाद तक यहां अवैध खनन होता रहा। मगर पिछले दो सालों में अवैध खनन पर ज्यादा सख्ती ने अब दोबारा से इस क्षेत्र का मूल स्वरूप लौटने लगा है।-------------

मांगर की बनी से नहीं काटे जाते पेड़ यूं तो आसपास के गांवों के लोग इस क्षेत्र में लगी हरियाली अपने उपयोग के लिए काट लेते हैं। मगर मांगर गांव की बनी से कोई पेड़ नहीं काटता। बनी में बने मंदिर के पुरोहित अपना नाम व फोटो न छापने की शर्त पर बताते हैं कि बनी से पेड़ काटने को प्राचीन काल से ही धर्म से जोड़ा हुआ है। इसलिए गांव के लोग यहां पेड़ काटने आने वाले लोगों से भी भिड़ जाते हैं। मांगर बनी में जहां संत गूदडिया के बाबा की कुटिया बनी है, वहीं उनकी तपस्या का स्थल भी बना है। अब भक्तों ने यहां एक शनि मंदिर भी बना दिया है। इस क्षेत्र में पहुंचने पर कोई यह नहीं कह सकता कि यह राजस्थान के सरिस्का वन से अलग स्थल है।

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गुलजार हो गया मोहब्बताबाद का झरना

अरावली में मांगर गांव की अनूठी छठा ही नहीं, बल्कि गांव पाली की बनी में भी हरियाली बढ़ गई है। इसके अलावा पाली की बनी से आगे मंदिर के बराबर पिछली बरसात में एक झरना फूट गया था। यह झरना अभी भी चल रहा है। हालांकि इसमें अब पानी काफी कम आ रहा है। यहां एक प्राचीन शिव हनुमान मंदिर भी है। इसके अलावा गांव मोहब्बताबाद का झरना तो अब पूरी तरह गुलजार हो गया है। इस झरने के पास बने मंदिर में विशालकाय पत्थर तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे हवा में लटका हो। इसके अलावा इस मंदिर में बनी गुफा के बारे में बताया जाता है कि यह गुफा बड़खल क्षेत्र में बने परसोन मंदिर तक जाती है। जहां ऋषि पाराशर ने तपस्या की थी। स्थानीय विधायक नगेंद्र भड़ाना का कहना है कि पुरातत्व विभाग यदि इस गुफा की सफाई करवाकर संरक्षण करे तो यह पूरे देश में एक बड़ा तीर्थ स्थल विकसित हो सकता है।


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