याकूब को मिल गई फांसी और इस पैतरे से बच गया था सुरेंद्र कोली

आखिरकार मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी दे दी गई। वकीलों ने उसे बचाने के लिए देर रात नया दांव खेलना शुरू कर दिया था, लेकिन वह सुरेंद्र कोली की तरह खुशनसीब नहीं था।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2015 09:27 AM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2015 05:27 PM (IST)
याकूब को मिल गई फांसी और इस पैतरे से बच गया था सुरेंद्र कोली

नई दिल्ली। आखिरकार मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी दे दी गई। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा याकूब की दया याचिका खारिज किए जाने के बाद वकीलों ने उसे बचाने के लिए देर रात नया दांव खेलना शुरू कर दिया था। लेकिन याकूब निठारी कांड में दोषी सुरेंद्र कोली जितना खुशनसीब नहीं था।

बुधवार रात करीब 10:45 बजे प्रशांत भूषण सहित कुछ अन्य वकील फांसी पर रोक लगाने के लिए मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के घर पहुंचे। मामले के मद्देनजर देर रात सुप्रीम कोर्ट फिर खुला और एक बार फिर से याकूब की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। करीब तीन घंटे बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया गया।

इससे पहले निठारी कांड में दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में 12 सितंबर को फांसी देने की तैयारी चल रही थी, लेकिन शीर्ष अदालत की ओर से जारी आदेश के बाद कोली की फांसी टल गई।

रविवार (7 सितंबर) की शाम खबर आई कि निठारी के गुनहगार सरेंद्र कोली को सोमवार सुबह फांसी दी जा रही है। चूंकि रविवार होने के चलते कोर्ट बंद था, इसलिए जानीमानी वकील इंदिरा जयसिंह ने रविवार रात को ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलने का वक्त मांगा।

इसके बाद रात करीब 10:45 बजे सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर जस्टिस के घर पर स्पेशल अदालत बैठी और फिर सुबह 4:30 बजे मेरठ सेंट्रल जेल को खबर दी गई कि कोली की फांसी 7 दिनों के लिए रोक दो।

कोली को पहले 7-12 सितंबर के बीच फांसी पर लटकाया जाना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर की आधी रात एक आदेश जारी कर उसकी मौत पर आगामी एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी। दरअसल, कोर्ट ने संविधान पीठ के उस फैसले के मद्देनजर रोक लगाई थी, जिसमें मृत्युदंड के दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने का निर्णय दिया गया है।

जस्टिस दत्तू और जस्टिस एआर दवे की पीठ ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह के नेतृत्व वाले वकीलों के समूह के आवेदन पर रोक लगाई थी। वकीलों ने आवेदन में सुप्रीम कोर्ट के 24 जुलाई को दिए गए आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। कोर्ट ने 24 जुलाई को ही कोली की फांसी रोकने का अनुरोध ठुकरा दिया था।

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