Stubble Burning: UP-दिल्ली और हरियाणा के किसानों के लिए राहत की खबर, पराली जलाने पर अब नहीं होगी जेल

दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं। एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी खत्म कर दिया गया है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 27 Apr 2021 07:54 AM (IST) Updated:Tue, 27 Apr 2021 09:40 AM (IST)
Stubble Burning: UP-दिल्ली और हरियाणा के किसानों के लिए राहत की खबर, पराली जलाने पर अब नहीं होगी जेल
किसानों एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी खत्म कर दिया गया है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पराली जलाकर दिल्ली-एनसीआर की हवा प्रदूषित करने वाले किसानों को अब जेल नहीं होगी। यही नहीं, उन पर एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी खत्म कर दिया गया है। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं। इसके अलावा आयाेग में एक सदस्य कृषि क्षेत्र से भी शामिल किया जा रहा है।

गौरतलब है कि जब अक्टूबर 2020 में 18 सदस्यीय आयोग का गठन हुआ था तो आयोग को पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए थे। इनमें दोषी किसानों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने और पांच साल तक के लिए जेल भेजने का प्रविधान भी था। कृषि कानून विरोधी आंदोलनकारियों की मांगों में एक मांग यह प्रविधान हटाने की भी थी। पिछले दिनों जब केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच विज्ञान भवन में बैठक हुई, तब भी इस मांग पर प्रमुखता से जोर दिया गया था। इसी के मददेनजर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन से जुड़ी अन्य मांगों के साथ किसानों की इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है।

जानकारी के मुताबिक 28 अक्टूबर 2020 को अधिसूचना के जरिये ही गठित किया गया यह आयोग 12 मार्च 2021 को भंग हो गया था। वजह यह थी कि सरकार इस आशय का विधेयक संसद में पेश नहीं कर पाई। लेकिन ऐंसा सोची समझी रणनीति के तहत ही किया गया था। दरअसल, कैबिनेट में पास पूर्व विधेयक में से उक्त प्रविधान हटाने के लिए विधेयक नए सिरे से तैयार कर कैबिनेट में लाया जाना था। इसीलिए इसे भंग करके नए सिरे से पुनर्गठित करने की योजना बनाई गई। अब आयोग के पुनर्गठन के नए विधेयक को कुछ बदलावों के साथ कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसीलिए इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। मानसून सत्र में यह विधेयक संसद में पेश कर दिया जाएगा।

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग द्वारा 13 अप्रैल को जारी अधिसूचना के क्रम में 23 अप्रैल को इसके 18 सदस्यों की नियुक्ति की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। आयाेग का अध्यक्ष पूर्व पेट्रोलियम सचिव एम एम कुटटी को ही बनाया गया है जबकि सदस्य सचिव की जिम्मेदारी अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरविंद नौटियाल को सौंपी गई है। मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक डा के जे रमेश पूर्णकालिक तकनीकी सदस्य होंगे। शेष 15 सदस्यों का मनोनयन भी कर दिया गया है जबकि उद्योग, कृषि और निर्माण क्षेत्र से तीन अन्य सदस्यों का मनोनयन अभी किया जाना शेष है। आयोग अपना कामकाज भी जल्द ही शुरू कर देगा।

नई अधिसूचना में यह भी किए गए बदलाव  18 सदस्यीय आयोग को 21 सदस्यीय किया गया। अब इस आयोग में केंद्र सरकार के सेवारत अधिकारी भी प्रतिनियुक्ति पर अध्यक्ष, सदस्य सचिव और पूर्णकालिक तकनीकी सदस्य के लिए आवेदन कर सकेंगे।

डॉ. केजे रमेश (तकनीकी सदस्य, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) का कहना है कि आयोग के पुनर्गठन की अधिसूचना में किसानों की मांग मानते हुए उन पर सख्त कार्रवाई के प्रविधान हटा लिए गए हैं। हालांकि पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई होगी, लेकिन इसके नियम अब नए सिरे से तय किए जाएंगे। कृषि जगत से आने वाले सदस्य के सुझावों पर भी अमल किया जाएगा।

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