उपराज्यपाल चाहते हैं कि निगम का चुनाव हारने पर भी दिल्ली नगर निगम भाजपा ही चलाए: AAP
राजनिवास के पिछले सात माह से सौरभ भारद्वाज द्वारा निगम आयुक्त के वित्तीय अधिकार रोकने वाली रोक कर रखने के आरोप पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने एलजी पर पलटवार किया है। आप ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली नगर निगम (MCD) के कई कार्य रुके हुए हैं। निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें स्कूल बैग और स्कूल ड्रेस अब तक नहीं मिली है
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजनिवास के पिछले सात माह से सौरभ भारद्वाज द्वारा निगम आयुक्त के वित्तीय अधिकार रोकने वाली रोक कर रखने के आरोप पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने एलजी पर पलटवार किया है। आप ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों से दिल्ली नगर निगम (MCD) के कई कार्य रुके हुए हैं।
करीब दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें, स्कूल बैग और स्कूल ड्रेस अब तक नहीं मिली है, जिसका कारण है स्टैंडिंग कमेटी का ना बन पाना है। इसी वजह से नगर निगम के बच्चों का पैसा उनके अकाउंट में दिया जा रहा है।
पांच करोड़ से ऊपर के अनुबंध नहीं हो पा रहे
आप ने कहा है कि दिल्ली नगर निगम आयुक्त की वित्तीय शक्तियां केवल पांच करोड़ तक के अनुबंध करने की हैं, इस वजह से पांच करोड़ के बड़े कांट्रैक्ट उनके द्वारा नहीं दिए जा सके हैं। इससे पहले पांच करोड़ से अधिक की राशि वाले टेंडर और अनुबंध को नगर निगम की स्थायी समिति द्वारा पास किया जाता था और उसके बाद दिल्ली नगर निगम आयुक्त उस टेंडर को जारी किया करते थे। यह इसलिए था ताकि आयुक्त के ऊपर चुने हुए निगम के प्रति जवाबदेही बनी रहे।
एलजी पर लगाया ये आरोप
आप ने कहा है कि उपराज्यपाल ने गैरकानूनी तरीके से भाजपा के पद अधिकारियों को एल्डरमैन बनाया, इस वजह से आज तक स्थायी समिति नहीं बन सकी है। आप ने कहा है कि स्थायी समिति का गठन नहीं हो पाने के कारण ही पांच करोड़ के अधिक राशि के कार्य रुके हुए हैं।
आप ने कहा है कि इसका निवारण करने के लिए दिल्ली नगर निगम ने एक रेजॉल्यूशन पास किया था जिसमें सभी स्थायी समिति की शक्तियां नगर निगम के सदन को दे दी गई थी, ताकि पांच करोड़ से बड़े काम नगर निगम के सदन द्वारा पास किए जा सकें। आप ने कहा है कि उपराज्यपाल बताएं कि जनवरी में यह प्रस्ताव पास होने के बावजूद आज तक दिल्ली नगर निगम आयुक्त ने पांच करोड़ से अधिक राशि वाले कार्यों का एक भी प्रस्ताव सदन के समक्ष क्यों नहीं नहीं रखा है?