राज्यों ने कहा अब No New Coal Power House, जानिए क्या है ये नया संकल्प

दिल्ली के जलवायु संवाद संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए नए अध्ययन के मुताबिक देश में मौजूदा स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के करीब 50 फीसद हिस्से का उत्पादन करने वाले राज्यों और कंपनियों ने अब कोई नया कोयला बिजली घर नहीं बनाने का संकल्प लिया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 12:17 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 12:17 PM (IST)
राज्यों ने कहा अब No New Coal Power House, जानिए क्या है ये नया संकल्प
राज्यों और कंपनियों ने अब कोई नया कोयला बिजली घर नहीं बनाने का संकल्प लिया है।

नई दिल्ली, [संजीव गुप्ता]। दिल्ली के जलवायु संवाद संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए नए अध्ययन के मुताबिक देश में मौजूदा स्थापित ऊर्जा उत्पादन क्षमता के करीब 50 फीसद हिस्से का उत्पादन करने वाले राज्यों और कंपनियों ने अब कोई नया कोयला बिजली घर नहीं बनाने का संकल्प लिया है।

अध्ययन में उन राज्यों और कंपनियों के संचयी प्रभावों को भी मापा गया है जो बिजली की मांग में हो रही वृद्धि की आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश की सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन कंपनी नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के पास कुल स्थापित कोयला बिजली उत्पादन क्षमता की 25 फीसद (54,224 मेगावाट) से भी ज्यादा की हिस्सेदारी है। एनटीपीसी ने कोयले से चलने वाले नए बिजली घर नहीं बनाने का संकल्प लिया है। इसी तरह से देश की सबसे बड़ी निजी बिजली उत्पादन कंपनी (12792 मेगावाट) टाटा पावर ने भी कोई भी नया कोयला बिजली घर नहीं बनाने का फैसला किया है। 4600 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता वाली एक अन्य निजी बिजली कंपनी जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने भी ऐसा ही इरादा व्यक्त किया है।

इन कंपनियों के अलावा चार राज्यों गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने भी कोई नया कोयला बिजली घर नहीं लगाने की नीति के प्रति संकल्प व्यक्त किया है। दरअसल, कोयले से बनने वाली बिजली के मुकाबले अक्षय ऊर्जा 51 फीसद तक सस्ती हो चुकी है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की लागत सबसे कम है। हाल में हुई नीलामी में सौर ऊर्जा की लागत दो रुपये प्रति किलोवाट रही।

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का कहना है कि अनेक भारतीय राज्यों और बिजली उत्पादकों ने कोयले को छोड़कर अक्षय ऊर्जा का रुख कर लिया है। भारत में सौर ऊर्जा अब कोयले से बनने वाली बिजली के मुकाबले सस्ती हो चुकी है। आने वाले कुछ वर्षों मे बैटरी स्टोरेज से लैस अक्षय ऊर्जा थर्मल पावर से ज्यादा बेहतर विकल्प हो जाएगी।

आरती के मुताबिक राजस्थान और तमिलनाडु जैसे राज्यों में वित्तीय देनदारियों के बोझ तले दबी बिजली इकाइयों ने 'नो न्यू कोल' के प्रति संकल्प व्यक्त किया है। उनके पास प्रचुर मात्रा में अक्षय ऊर्जा है और उन्हें बिजली उत्पादन की लागत में कमी का फायदा मिल सकता है। कोयले से चलने वाली नई बिजली इकाइयों का निर्माण नहीं करने का संकल्प इन राज्यों के लिए विजयी रणनीति साबित होगा।

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