वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग

द्रौपदी ट्रस्ट की संस्थापिका व चेयरपर्सन डॉ. नीरा मिश्र बताती हैं कि ऐसे कई साक्ष्य इतिहास में मौजूद हैं जो दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ होने के प्रमाण देते हैं। महाभारत में तो इसका जिक्र है ही वर्ष 1911 में ब्रिटिश सरकार की अधिसूचना में भी इसके प्रमाण मिलते हैं।

By Jp YadavEdited By: Publish:Sat, 22 May 2021 10:10 AM (IST) Updated:Sat, 22 May 2021 10:10 AM (IST)
वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग
वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने की दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने की मांग की है। इस मांग कोलेकर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है कि हिंदू पुनर्जागरण के लिए दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ किया जाना चाहिए। इसके लिए द्रौपदी ट्रस्ट की डॉ. नीरा मिश्र द्वारा किया गया अध्ययन पर्याप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबंधित मंत्री को इस संबंध में निर्देशित करना चाहिए।

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह भी कहा कि उन्हें तमिलनाडु के एक संत ने यह कहा था कि जब तक हम राजधानी का नाम दिल्ली से बदलकर इंद्रप्रस्थ नहीं कर देते तब तक देश में समस्याएं बनी रहेंगी। उधर, इस बाबत द्रौपदी ट्रस्ट की संस्थापिका व चेयरपर्सन डॉ. नीरा मिश्र बताती हैं कि ऐसे कई साक्ष्य इतिहास में मौजूद हैं जो दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ होने के प्रमाण देते हैं। महाभारत में तो इसका जिक्र है ही, वर्ष 1911 में ब्रिटिश सरकार की अधिसूचना में भी इसके प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह 18 वर्ष से अध्ययन कर रही हैं।

डॉ. नीरा मिश्र  का कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के रिकार्ड के साथ ही ब्रिटिश व मुगल शासन के राजस्व व अन्य रिकार्ड में भी इसका नाम इंद्रप्रस्थ होने का उल्लेख है। इसके बावजूद इंद्रप्रस्थ नाम को मिटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 1911 में ब्रिटिश सरकार की अधिसूचना में भी तत्कालीन इंद्रप्रस्थ किले से जुड़े क्षेत्र को इंद्रप्रस्थ नाम से संरक्षित क्षेत्र में घोषित करने का प्रमाण है। इसे देखते हुए इसका नाम दिल्ली से बदलकर इंद्रप्रस्थ करने में सरकार को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। 

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यहां पर बता दें कि दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा, यह जानना भी दिलचस्प है। बताया जाता है कि ईसा पूर्व 50 में मौर्य राजा थे जिनका नाम था धिल्लु। उन्हें दिलु भी कहा जाता था। माना जाता है कि यहीं से अपभ्रंश होकर नाम दिल्ली पड़ गया। वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि तोमरवंश के एक राजा धव ने इलाके का नाम ढीली रख दिया था क्योंकि किले के अंदर लोहे का खंभा ढीला था और उसे बदला गया था। यह ढीली शब्द बाद में दिल्ली हो गया। 

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