दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का खतरा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश

अब डिसील की अर्जी के लिए उन्हें ट्रिब्यूनल नहीं जाना होगा दे सकते हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 15 Dec 2017 05:20 PM (IST) Updated:Fri, 15 Dec 2017 07:25 PM (IST)
दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का खतरा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश
दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का खतरा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सीलिंग का खतरा मंडराने लगा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केजे राव की अध्यक्षता वाली मॉनिटरिंग कमेटी को फिर से सक्रिय होने को कहा है।

कोर्ट ने इस बाबत कहा है कि कमेटी देखे कहां-कहां अवैध निर्माण हुआ है? और ऐसा होने की स्थिति में ज़रूरी कार्रवाई भी करे। शुक्रवार को दिल्ली में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट का लिखित फैसला आया है।

हालांकि, फ़ैसले में सीधा-सीथा सीलिंग नहीं, बल्कि सील हो चुकी संपत्तियों को डिसील करने पर विचार करने का अधिकार केजे राव की अध्यक्षता वाली मानीटरिंग कमेटी को दिया गया है।

इसके मुताबिक, अब डिसील की अर्जी के लिए उन्हें ट्रिब्यूनल नहीं जाना होगा दे सकते हैं, बल्कि इस कमेटी को अर्जी दे सकते हैं। यह कमेटी उस अर्जी पर विचार-विमर्श करेगी।

दिल्ली में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले आक्रान्ताओं ने दिल्ली को लूटा और अब दो दशक से अवैध निर्माण करने वालों और अधिकारियों ने इसे बर्बाद किया।

यहां पर बता दें कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीलिंग के मामलों को हाईकोर्ट, निचली अदालतों और निगम के ट्रिब्यूनल को भेज दिया था। कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर कोई प्रभावित पक्ष हाईकोर्ट के आदेश से संतृष्ट नहीं होता, तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है।

इससे पहले 2006 में भी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने बड़े पैमाने पर सीलिंग अभियान चलाया था। करीब सालभर तक चले इस अभियान में हजारों दुकानों को सील कर दिया गया था। बाद में नया मास्टर प्लान आने के बाद सीलिंग पर कुछ रोक लग पाई थी।

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यहां पर बता दें कि सात दिसंबर को हुई सुनवाई में दिल्ली में अंधाधुंध अवैध निर्माण से परेशान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सीलिंग की कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण के कारण दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बदतर हो गई है। हल्की बारिश में भी हर जगह पानी भर जाता है। रिहायशी इकाइयों का व्यावसायिक इस्तेमाल जमकर हो रहा है।

सुनवाई में जस्टिस मदन लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा था कि दिल्ली को चेन्नई तथा अन्य शहरों की तर्ज पर जाने से रोकना होगा। वर्षा होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए अवैध निर्माण पर सख्ती जरूरी है। अवैध निर्माण से सिर्फ प्रदूषण ही नहीं बढ़ रहा है, बल्कि सीवेज सिस्टम, पार्किंग और कूड़ा निस्तारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्यों न मॉनिटरिंग कमेटी को उसके अधिकार बहाल कर दिए जाएं।

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