आम्रपाली ग्रुप के 40,000 से अधिक निवेशकों के लिए खुशखबरी, SC ने दिया अहम फैसला!

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह नोएडा और ग्रेटर नोएडा को यह कह सकते हैं कि वह किसी और बिल्डर और डेवलपर को इस काम में लगाएं।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 09 May 2019 07:52 AM (IST) Updated:Thu, 09 May 2019 08:26 AM (IST)
आम्रपाली ग्रुप के 40,000 से अधिक निवेशकों के लिए खुशखबरी, SC ने दिया अहम फैसला!
आम्रपाली ग्रुप के 40,000 से अधिक निवेशकों के लिए खुशखबरी, SC ने दिया अहम फैसला!

नई दिल्ली/नोएडा, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह आम्रपाली समूह की सभी 15 प्रमुख आवासीय परियोजनाओं का मालिकाना हक नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सौंप देगा, क्योंकि  रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ने 42,000 परेशान होम बायर्स के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं किया है। अदालत ने आम्रपाली समूह की इन अधूरी पड़ी परियोजनाओं को गिरवी रखकर हजारों करोड़ का कर्ज बैंकों से लेने की बात भी उजागर की है।

सभी 15 प्रोजेक्ट का मालिकाना हक नोएडा व ग्रेनो अथॉरिटी को
जस्टिस अरुण मिश्र और यूयू ललित की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि आम्रपाली समूह ने अपनी मर्जी से घर के खरीदारों से 11,652 करोड़ रुपये वसूल लिए और इनमें केवल 10,630 करोड़ रुपये ही अपनी आवासीय परियोजनाओं के निर्माण में खर्च किए। वह इन हजारों होम बायर्स के अधिकारों को सुरक्षित करेंगे और आम्रपाली समूह को इस परियोजना से बाहर खदेड़ देंगे। खंडपीठ ने कहा कि आम्रपाली समूह ने घर के खरीदारों, अथॉरिटी (नोएडा और ग्रेटर नोएडा) और बैंकों के प्रति अपने किसी भी दायित्व का निर्वाह नहीं किया है।

आम्रपाली समूह ने न तो किसी प्रोजेक्ट को पूरा किया और न ही उसमें धन लगाया है। अदालत मानती है कि आम्रपाली समूह को इन संपत्तियों से अलग कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह नोएडा और ग्रेटर नोएडा को यह कह सकते हैं कि वह किसी और बिल्डर और डेवलपर को इस काम में लगाएं और ठप पड़ी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करें। फिर उसके बाद इन संपत्तियों को अपनी निगरानी में बेच दें।

इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि आखिर किस तरह से आम्रपाली समूह ने इन सभी आवासीय परियोजनाओं को गिरवी रखकर बैंकों से हजारों करोड़ रुपये के कर्ज ले लिए, जबकि यह रियल एस्टेट कंपनी इस संपत्ति को विकसित करने का एक जरिया भर थी। इस कंपनी की संपत्तियों को उसके कब्जे, हिस्सेदारी और संग्रह समेत नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सौंप दिया जाएगा। बैंकों को इन संपत्तियों की जमीन गिरवी रखने पर कर्ज वसूली के लिए वित्तीय संस्थानों की मदद ली जा सकेगी। वह इन कंपनियों के निदेशकों और कारपोरेट गारेंटरों से कर्ज की वसूली करेंगे। खंडपीठ ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि इन संपत्तियों के परिसरों में बैंक कतई प्रवेश न करने पाएं। इन संपत्तियों पर पहला हक घर खरीदारों का होगा।

सर्वोच्च अदालत ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि वह सारे आंकड़े एक जगह एकत्र कर अब तक आम्रपाली समूह की ओर से चुकाई गई सारी रकम का ब्योरा दें। इस पर आम्रपाली समूह के वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने पेश होते हुए कहा कि कंपनी ने अब तक 998 करोड़ रुपये की रकम दोनों अथॉरिटी को चुका दी है।

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