लाल किला में चटख होता विश्व बंधुत्व, सामने खुलता है चांदनी चौक का आंगन

लाल किला विदेशी शासन का प्रतीक है, लेकिन कैसे हमने इसे अपना बना लिया है यह यहां आकर पता चलता है।

By Amit MishraEdited By: Publish:Sun, 25 Mar 2018 05:41 PM (IST) Updated:Mon, 26 Mar 2018 08:42 AM (IST)
लाल किला में चटख होता विश्व बंधुत्व, सामने खुलता है चांदनी चौक का आंगन
लाल किला में चटख होता विश्व बंधुत्व, सामने खुलता है चांदनी चौक का आंगन

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। यूनेस्को की सूची में शामिल लाल किला के सामने चांदनी चौक का आंगन खुलता है। सामने सड़क की दूसरी ओर लाल रंग को ओढ़े जैन मंदिर और लाल किला जैसे आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हों कि किसका रंग ज्यादा चटख है। यह दृश्य वर्तमान से अतीत में ले जाने जैसा सरीखा है। वहीं, बीच में उभार लेता विश्व बंधुत्व। देशी-विदेशी पर्यटकों का हुजूम और इसके सहारे भारत के अतीत को टटोलने की कोशिश।

हमने इसे अपना बना लिया

सामने चांदनी चौक, जिसने विदेशी आक्रांताओं के आतंक को सबसे अधिक झेला तो इस लाल किले ने उसे सजाया संवारा भी। दोनों गलबहियां करते हुए, न जाने कितनी साझी यादों के साथ रहे हैं। लाल किले की प्राचीर से आसमान को छूता तिरंगा और वह मंच जिसपर स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री देश को संबोधित करते हैं, वह भी सामने साक्षात। सबके स्वागत में सधा। वैसे, यह लाल किला विदेशी शासन का प्रतीक है, लेकिन कैसे हमने इसे अपना बना लिया है यह यहां आकर पता चलता है। विशाल किला के सामने एक तरफ राष्ट्र रक्षा महायज्ञ से निकलते मंत्रों का उच्चारण और पवित्र हवन की खुशबू। वहीं, दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी के महानाट्य के मंचन की तैयारी चल रही है। दोनों ओर राष्ट्रभक्ति के साथ सनातन धर्म की पताका लहरा रही है।

लाल किला को कैमरे में कैद करने का दौर 

धूप में तीक्ष्णता ज्यादा है। शरीर को चुभ रही है। कुछ दिन पहले यही धूप गुलाबी लग रही थी। अब यह पसीने बहा रही है, तब भी शान से खड़े लाल किला को देखने और इसके सहारे भारत के इतिहास को जानने की ललक लोगों में ज्यादा है। लाल किला के विशाल द्वार की तरफ कतारबद्ध आगे बढ़ते देशी-विदेशी पर्यटक। साथ में इसके आंगन में मुस्कुराते हुए घुमते लोग। सेल्फी और अपनों के साथ लाल किला को कैमरे में कैद करने का दौर भी तेज है।

लोगों का कारवां चला आ रहा है

हर किसी के पास लाल किला के बाहरी दीवारों में क्रमबद्ध सुराख और साथ में दीवारों के सहारे चलती खाई को लेकर अपना आकलन है। कुछ उसी दीवार के सहारे सुस्ताते लोग। कुछ गाइड और रिक्शे वाले जो अंग्रेजी, फ्रेंच और न जाने कितनी भाषाओं में विदेशी पर्यटकों को कुछ बताने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं। बाहर नकली दाढ़ी-मूंछ, चश्मा, खिलौने, खाने-पीने की चीजें बेचते लोग। लोगों का कारवां चला आ रहा है। मैं, लाल किला से बाहर फिर एक भीड़ का हिस्सा हो लेता हूं। 

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