Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़िए देश की राजधानी दिल्ली के एक गांव का हाल, जहां आज तक नहीं बन पाया महज एक अस्पताल

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Fri, 14 Jan 2022 04:10 PM (IST)

    गांव के लोगों की माने तो गांव से कटेवड़ा पंजाब खोड़ व कुतुबगढ़ जाने वाली तीनों सड़कें टूटी पड़ी हैं। स्ट्रीट लाइट न होने की वजह से रात के समय गांव को ...और पढ़ें

    Hero Image
    टूटी सड़कें, जर्जर सामुदायिक भवन, परेशानियों से भरा लोगों का जीवन

    नई दिल्ली [सोनू राणा]। जटखोड़ गांव के साथ आज से नहीं, वर्षों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि गांव पिछड़ता जा रहा है। न गांव की सड़कें ठीक हैं, न स्ट्रीट लाइट। न सामुदायिक भवन बैठने लायक है और न ही ग्रामीणों के लिए इलाज की सुविधा। न बच्चों के लिए स्कूल या पार्क हैं और न ही पुख्ता सार्वजनिक परिवहन सुविधा। इस वजह से गांव के लोगों में काफी रोष है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टूटी है सड़कें

    गांव के लोगों की माने तो गांव से कटेवड़ा, पंजाब खोड़ व कुतुबगढ़ जाने वाली तीनों सड़कें टूटी पड़ी हैं। स्ट्रीट लाइट न होने की वजह से रात के समय गांव को जोड़ने वाली तीनों सड़कों पर अंधेरा छा जाता है। माजरा डबास गांव की तरफ जाने वाले रास्ता भी अंधेरे के आगोश में रहता है।

    पढ़ाई एवं नौकरीपेशा लोगों को होती है परेशानी

    पढ़ाई करके घर वापस लौटने वाले विद्यार्थियों, दफ्तर से घर लौटने वाले लोगों को परेशानी होती है। इसके अलावा आज तक गांव के लोग दूसरे गांवों या शहर में दवा लेने के लिए जाते हैं। ग्रामीणों ने गांव की समस्याओं के समाधान के लिए कई बार शिकायत की, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।

    सड़कें तो टूटी पड़ी हैं ही, सामुदायिक भवन जर्जर हो चुका है। असामाजिक तत्वों ने इसे अपना अड्डा बना लिया है। गांव में अस्पताल नहीं है। बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को 15 से 20 किलोमीटर दूर जाकर इलाज करवाना पड़ता है।

    रामचंद्र हुड्डा

    टूटी सड़कों पर चलना मुश्किल हो रहा है। सड़क निर्माण न किए जाने की वजह से पैदल चलने वालों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। इसके अलावा जटखोड़ मोड़ से लेकर गांव वाले रास्ते पर स्ट्रीट लाइट न होने की वजह से परेशानी होती है।

    कार्तिक नैन

    न गांव में अस्पताल, न ही कोई डिस्पेंसरी

    देश के आजाद होने के बाद से लेकर आज तक गांव में न तो कोई अस्पताल बनाया गया है और न ही कोई डिस्पेंसरी या मोहल्ला क्लीनिक। करीब सात हजार आबादी वाले गांव में आज तक लोग पूठ खुर्द या पूठ कलां इलाज के लिए जाते हैं। अगर किसी बच्चे, बुजुर्ग या महिला की तबीयत खराब होती है तो उन्हें पास के प्राइवेट अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। जहां पर अस्पताल वाले ग्रामीणों की जेबों पर जमकर कैंची चलाते हैं।

    जल्द बनेंगी टूटी सड़कें

    जटखोड़ गांव की टूटी सड़कों को जल्द बनवाया जाएगा। सड़क निर्माण में होने वाले खर्च का आंकलन कर संबंधित विभाग को भेज दिया गया है। जैसे ही फंड आएगा, सड़कों का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।

    जय भगवान उपकार, विधायक, बवाना विधानसभा क्षेत्र