AIIMS Delhi: स्थायी नियुक्ति नहीं, संविदा पर रखे डॉक्टरों से चलेगा एम्स; चिकित्सकों की कमी होगी दूर
AIIMS Delhi लंबे समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। इसे देखते हुए एम्स ने अब संविदा के सहारे डॉक्टरों की कमी दूर करने की पहल की है। इस क्रम में एम्स में अब डॉक्टरों की स्थायी नियुक्ति नहीं बल्कि संविदा पर रखे जाएंगे। चिकित्सकों की कमी दूर होने से मरीजों को राहत मिलेगी। एम्स में स्थायी तौर पर आखिरी बार सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई थी।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स दिल्ली की पहचान यहां के फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों व इलाज की अत्याधुनिक तकनीक से रही है। उन पर भरोसा करके देश के विभिन्न राज्यों से मरीज एम्स में इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन एम्स में भी लंबे समय से स्थायी नियुक्तियां नहीं होने से फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों की कमी बड़ी समस्या बनती जा रही है।
एम्स प्रशासन ने अब संविदा के सहारे डॉक्टरों की कमी दूर करने की पहल की है। एम्स में फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के 1207 स्वीकृत पद हैं। हाल ही में एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा डॉक्टरों की कमी को लेकर केंद्र सरकार से गई शिकायत पर एम्स के फैकल्टी सेल ने जवाब दिया कि संस्थान में फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के 390 पद खाली हैं, जिसमें 115 प्रोफेसर और 275 सहायक प्रोफेसर के पद शामिल हैं।
229 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति का दिया था भरोसा
इसका कारण यह है कि एम्स में लंबे समय से स्थायी तौर पर फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई है। एम्स में स्थायी तौर पर अंतिम बार सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति वर्ष 2021-22 में हुई थी। पिछले वर्ष अप्रैल में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। बाद में नियुक्ति प्रक्रिया के प्राविधानों की समीक्षा के कारण उसे टालना पड़ा।
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एम्स ने अपने जवाब में 229 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति का भरोसा दिया था, लेकिन अब एम्स ने संविदा के आधार पर एक वर्ष के लिए 117 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) में सबसे अधिक 46 सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए जाएंगे।
चुनाव के कारण डॉक्टरों की नियुक्ति में देरी हुई है। डॉक्टरों की कमी से कई विभागों में सेवाएं प्रभावित हो रही थीं। इस कारण संविदा पर नियुक्ति शुरू की गई है। जल्द स्थायी नियुक्ति भी शुरू होगी। -डॉ. रीमा दादा, प्रभारी, मीडिया डिवीजन, एम्स
संविदा पर नियुक्ति से सबसे अधिक प्रभावित होता है शोध
एम्स में मरीजों के इलाज के अलावा शोध भी होता है। संविदा पर नियुक्ति से सबसे अधिक शोध प्रभावित होता है, क्योंकि ज्यादातर शोध परियोजनाएं तीन वर्ष के लिए होती हैं।
इससे अस्थायी तौर पर नियुक्त सहायक प्रोफेसर को जल्दी शोध परियोजनाएं नहीं मिल पातीं। संविदा डॉक्टरों के एक-दो वर्ष में चले जाने पर मरीजों का फॉलोअप इलाज प्रभावित हो सकता है।
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