Nithari Case: 11वें मामले में भी सुरेंद्र कोली को फांसी, कोर्ट ने लगाया 1.30 लाख रुपये जुर्माना

निठारीकांड के 11वें मामले में भी सीबीआइ कोर्ट ने अभियुक्त सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई।

By Edited By: Publish:Fri, 05 Apr 2019 08:47 PM (IST) Updated:Sat, 06 Apr 2019 08:39 PM (IST)
Nithari Case: 11वें मामले में भी सुरेंद्र कोली को फांसी, कोर्ट ने लगाया 1.30 लाख रुपये जुर्माना
Nithari Case: 11वें मामले में भी सुरेंद्र कोली को फांसी, कोर्ट ने लगाया 1.30 लाख रुपये जुर्माना

गाजियाबाद, जेएनएन। निठारीकांड के 11वें मामले में भी सीबीआइ कोर्ट ने अभियुक्त सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई। अदालत के विशेष न्यायधीश अमितवीर सिंह ने कोली को बच्ची की गला दबाकर हत्या करने, दुष्कर्म का प्रयास करने, शव के टुकड़े-टुकड़े कर फेंकने के मामले में सजा सुनाई है। 

अदालत ने 1.30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला अदालत ने शनिवार को खुली अदालत में सुनाया। सुरेंद्र कोली ने सजा पर बहस के दौरान अपने बचाव में सिर्फ इतना ही कहा कि मेरी सुनी नहीं जाएगी, इसलिए सीबीआइ के लोक अभियोजक की सुनी जाए। अदालत ने शुक्रवार को कोली को दोषी करार दिया था, जबकि मोनिंदर सिंह पंधेर को बरी कर दिया था। 
 
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चुन्नी पीको कराने के लिए घर से निकली बच्ची को कपड़े देने के बहाने कोठी के अंदर बुलाया और चुन्नी से गला दबाकर उसे बेहोश किया। इसके बाद बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया। जब वह दुष्कर्म नहीं कर पाया तो पीड़िता की गला दबाकर हत्या कर दी। उसके सीने का मांस काटकर पकाकर खाया। मुल्जिम ने पीड़िता के शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके घर के पीछे फेंक दिया।
 
अदालत ने कहा कि कोली ने अत्यधिक बर्बर, अमानवीय, नरभक्षी और निर्दयतापूर्वक कृत्य किया। इससे पहले कभी इस तरह का कोई उदाहरण नहीं मिला है जैसा प्रस्तुत मामले में अपराध निर्दय, डरावने और बर्बर ढंग से किया गया हो। उससे उस युग के साथ भी विश्वासघात होता है जब कोई सभ्यता नहीं थी। यह विरलतम श्रेणी का अपराध है, इसलिए अभियुक्त को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए।

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने बताया कि नोएडा के निठारी गांव की रहने वाली 10 वर्षीय बच्ची अपने माता-पिता के साथ रहती थी। पिता कपड़ों को प्रेस करने का कार्य करते थे, जिसमें बच्ची भी मदद करती थी। 21 जून 2005 को बच्ची सुबह घर से कहकर निकली थी कि वह अपनी चुन्नी पर पीको कराकर आ रही है, जिसके बाद से वह घर नहीं लौटी।

परिजनों ने 23 जून 2005 को नोएडा सेक्टर-20 थाने में तहरीर दी। इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करते हुए जांच शुरू की। इसके बाद निठारी की डी-5 कोठी में खुदाई के दौरान उनकी बच्ची के कपड़े, खोपड़ी, चप्पल और अन्य सामान बरामद हुए थे। इसमें बच्ची की खोपड़ी मिली थी, जिसका डीएनए का मिलान उसके परिजनों से हुआ। सीबीआइ ने 11 जनवरी 2007 को मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।

पंधेर के छलके आंसू
सीबीआइ अदालत में 11वें मामले में अदालत ने जब पंधेर को बरी करने का फैसला सुनाया तो मोनिंदर सिंह पंधेर की आंखों से आंसू छलक आए। रुंधे गले से उसने थैंक्यू सर भी बोला, जबकि सुरेंद्र कोली चुपचाप ही नजर आया।

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