तिहाड़ जेल के कैदी के पेट का एक्सरे देखकर चौंक गए डाक्टर, आपरेशन में क्या निकला जानने के लिए पढ़ें खबर
तिहाड़ जेल प्रशासन के अनुसार कैदी का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है। यह घटना चार जनवरी को तब सामने आई थी जब जेल संख्या एक में जेलकर्मी तलाशी अभियान चला रहे थे। जेलकर्मियों की पकड़ में यह मोबाइल नहीं आए इसके डर से ही कैदी ने मोबाइल निगल लिया था।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। देश ही नहीं, बल्कि एशिया की भी सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक कैदी के मोबाइल फोन निगलने का मामला सामने आया है। यह मामला 4 जनवरी का है, लेकिन असहनीय पेट दर्द होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती इस कैदी की एक्सरे रिपोर्ट आई तो डाक्टर भी चौंक गए। एक्सरे में कैदी के पेट में मोबाइल फोन होने का पता चला। इसके बाद अस्पताल में आपरेशन कर डाक्टरों ने मोबाइल फोन निकाला। इसके बाद जेलों में अवैध तरीके से मोबाइल फोन पहुंचाने का एक और खुलासा हुआ है। बहरहाल मोबाइल फोन के जेल में पहुंचने की जांच जारी है।
जागरण संवाददाता गौतम कुमार मिश्र के अनुसार यह पूरा मामला जेल प्रशासन के संज्ञान में तब आया जब कैदी के पेट में तेज दर्द शुरू हुआ। सामान्य दवाओं से ठीक नहीं होने पर कैदी को इलाज के लिए दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर एक्सरे में उसके पेट में मोबाइल फोने होने का पता चला। इसके बाद डाक्टरों ने आपरेशन कर कैदी के पेट से मोबाइल फोन निकाला। जिस कैदी ने जांच अधिकारियों के डर से मोबाइल फोन निगला उसका नाम संतोष (24) है।
तिहाड़ जेल प्रशासन के अनुसार कैदी का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है। यह घटना चार जनवरी को तब सामने आई थी, जब जेल संख्या एक में जेलकर्मी तलाशी अभियान चला रहे थे। जेलकर्मियों की पकड़ में यह मोबाइल नहीं आए, इसके डर से ही कैदी ने मोबाइल निगल लिया था।
पकड़े जाने के डर से कैदी ने निगला मोबाइल फोन
जेल प्रशासन के मुताबिक, 4 जनवरी को औचक निरीक्षण के दौरान संतोष नाम के कैदी ने मोबाइल फोन निगल लिया। उसने चुपके से मोबाइल फोन निगला, जिससे जेल अधिकारियों-कर्मचारियों की नजर उस पर नहीं पड़ी। संतोष ने जांच में पकड़े जाने के डर से फोन निकला था। इसके बाद जब उसके पेट में असहनीय दर्ज हुआ तो उसके जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। वहीं,जीबी पंत अस्पताल के डा. सिद्धार्थ ने मुताबिक, संतोष के पेट में जो मोबाइल फोन था वह बटन वाला था और काफी छोटा था, हालांकि इससे कैदी की जान भी जा सकती थी।