Teachers Day 2020: खुद की किस्मत से लड़कर शिक्षक संत कुमार दूसरे बच्चों का संवार रहे भविष्य

संत कुमार ने बताया कि घर के आर्थिक हालात बहुत कमजोर थे जिस कारण वह स्कूल के दिनों से ही काम करने लग गए थे।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Fri, 04 Sep 2020 06:27 PM (IST) Updated:Fri, 04 Sep 2020 06:27 PM (IST)
Teachers Day 2020: खुद की किस्मत से लड़कर शिक्षक संत कुमार दूसरे बच्चों का संवार रहे भविष्य
Teachers Day 2020: खुद की किस्मत से लड़कर शिक्षक संत कुमार दूसरे बच्चों का संवार रहे भविष्य

नई दिल्ली [रितु राणा]। हर किसी का जीवन संघर्ष से भरा होता है,  इन संघर्षों का जो डटकर सामना करता है सफलता उसके कदम जरूर चूमती है। इस बात का जीवंत उदाहरण हैं शिक्षक संत कुमार। सात भाई बहनों में सबसे छोटे हैं संत कुमार और पिता एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रहे। इतना बड़ा परिवार ऊपर से किराए का मकान बड़ी मुश्किल से उनका गुजारा होता था। 

संत कुमार के परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था तो उनके अंदर बचपन से ही पढ़ने-लिखने का जुनून संवार था और आज वह खुद एक शिक्षक बनकर अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को भी शिक्षित बना रहे हैं।

संवार रहे अपने विद्यार्थियों का भविष्य

घड़ोली हरिजन बस्ती के पूर्वी दिल्ली नगर निगम विद्यालय के शिक्षक संत कुमार ने जीवन में बहुत दुख व कष्ट झेले। संत कुमार ने बताया कि वह एक दलित परिवार से हैं जिस कारण उन्हें बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कई दोस्त तो अपने घर ही नहीं बुलाते थे, वह चोट आज तक नहीं भर पाई। इसलिए वह आज अपने विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ धर्म, जाति से पर उठकर मानवता की राह पर चलने की सीख भी दे रहे हैं।

संत कुमार ने कई बार बीएसएफ, दिल्ली पुलिस, सीपीओ, एसएससी और अन्य लिपिकीय परीक्षाएं पास की लेकिन किसी न किसी कारण से अंतिम चरण में रह जाते, इतनी निराशा हाथ लगने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अब निगम में शिक्षण कार्य करते हुए वह ऐसे ही बच्चों का हुनर निखारने रहे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाते।

उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसा हथियार है जिसके आगे दुनिया झुक जाती है, इसलिए वह हर किसी को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। वह अपनी कक्षा के बच्चों को कभी भी हार न मानने की सीख देते हैं, हर विद्यार्थी को हर विषय पर कुशल बनाने का करते रहते हैं प्रयास। उन्होंने बताया कि उनके हर विद्यार्थी की अंग्रेजी भी काफी अच्छी है जिस कारण जब वह निगम स्कूल से निकलकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जाते हैं तो उन्हें ए या बी सेक्शन में दाखिला मिलता है।

घरों का काम करने से लेकर अखबार भी बांटने का काम भी किया

संत कुमार ने बताया कि घर के आर्थिक हालात बहुत कमजोर थे जिस कारण वह स्कूल के दिनों से ही काम करने लग गए थे। वह जब पांचवी कक्षा में थे तो स्कूल के बाद घर जाकर खाना खाते और फिर दो बजे से शाम छह बजे तक दूसरों के घर में जाकर काम करते थे। कुछ ऐसे भी साथी भी थे जो विद्यालय में जाकर चिढ़ाते थे। लेकिन पेट की भूख और जीवन में कुछ करने की तमन्ना ने इन बातों को उनके ऊपर हावी नहीं होने दिया।

उन्होंने पढ़ाई करने के लिए सुबह और शाम दोनों पाली में अखबार बांटने व स्टेडियम में जाकर पांच रुपये प्रतिदिन के हिसाब से टैनिस बॉल पकड़ाने का काम भी किया और बस अपने लक्ष्य पर ध्यान रखा। 1994 में जामिया मिल्लिया से शिक्षक डिप्लोमा लेने के बाद ही उन्होंने एक निजी स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। फिर एक 2006 में नगर निगम विद्यालय में स्थायी नियुक्ति हुई, तब जाकर घर की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ।

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