पंजाब के मानिक ने बनाया कई खूबियों वाला हेलमेट, जान के साथ सिर को गंजा होने से भी बचाएगा
जब कोरोना आया तो पिछले वर्ष उन्होंने ऐसी घड़ी तैयार की थी जो समय देखने के साथ हाथों को सैनिटाइज कर सकें। इसके साथ ऐसा मास्क तैयार किया था जो कोरोना से बचाव करने के साथ चेहरा भी पूरी तरह से दिखा सकें। अब यह हेलमेट बना डाला।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। बाजार में मौजूद दोपहिया वाहनों के हेलमेट केवल जान ही बचाते हैं, बाल नहीं बचाते। इसके चलते कई लोग वाहन चलाने के दौरान हेलमेट लगाने से बचते हैं। नतीजतन दुर्घटना की स्थिति में उनकी जान पर बन आती है, लेकिन अब यह नहीं हाेगा। मनिक गर्ग ने ऐसा हेलमेट तैयार किया है जो जान के साथ बाल भी बचाएगा। मानिक गर्ग मूलरूप से पंजाब के संगरूर के सुनाम शहर के रहने वाले हैं। मौजूदा समय में दिल्ली के बुराड़ी में रहते हैं। उन्होंने स्नातक किया है। पर लोगों के जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने की चाहत उनके मन में बराबर रही है। इसलिए यह हेलमेट अस्तित्व में आया। वह बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले लाेगों के मामले में भारत पूरे विश्व में अग्रणी देशों में हैं। उसमें भी सबसे अधिक जानें दो पहिया वाहन चालकों की जाती है। इनमें से काफी जानें बच जाती, अगर दोपहिया वाहन चालक हेलमेट लगाकर वाहन चला रहे होते।
हेलमेट पहनने से जल्दी झड़ते हैं बाल
वह बताते हैं कि जब इसका कारा जानने के लिए दोपहिया वाहन चालकों से पूछा तो अधिकतर युवा चालकों ने कहा कि हेलमेट पहनने से उनके बाल बिगड़ जाते हैं, खराब हो जाते हैं। यहां तक की ऐसा मानना है कि हेलमेट पहनने से बाल जल्दी झड़ जाते हैं और कोई अधिक उम्र तक में भी गंजा नहीं दिखना चाहता है। इसलिए उन्हें वर्ष 2019 में इस तरह के हेलमेट को लेकर विचार आया जो इन शिकायतों और आशंकाओं को दूर कर सकें।
गर्दन के दर्द से भी मिलेगी राहत
मानिक गर्ग बताते हैं कि कुछ नया करने में उनकी पहले से रुचि रही है, इसलिए जब कोरोना आया तो पिछले वर्ष उन्होंने ऐसी घड़ी तैयार की थी, जो समय देखने के साथ हाथों को सैनिटाइज कर सकें। इसके साथ ऐसा मास्क तैयार किया था जो कोरोना से बचाव करने के साथ चेहरा भी पूरी तरह से दिखा सकें। जब इस हेलमेट को बनाने की सोची तो इसके लिए भी कई प्रयोग असफल रहे। आखिरकार पिछले वर्ष वह इसमें सफल हुए और एक प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है, जो बालों को खराब होने से बचाने के साथ दुर्घटना में सिर को बचाकर रखता है। विशेष बात कि इस हेलमेट का भार कालर बोन पर टिका होता है, जो गर्दन दर्द से भी बचाता है।
कई खूबियां हैं इस हेलमेट में
उन्होंने बताया कि इस प्रोटोटाइप को तैयार करने में सेंसर, मोटर, बैट्री और कुछ तारें लगी है, इसमें तकरीबन 800 रुपये का खर्च आया है। हेलमेट को बीच से दो भागों में बांटा गया है, जो ऊपर-नीचे में है। नीचे रबर का कालर है जो कालर बोन पर बैठता है। मोटर और सेंसर से ये ऊपर नीचे करता है। पहनते समय इसके ऊपर का भाग ऊपर ही रहता है, लेकिन धक्का महसूस करते ही सेंसर के इशारे से ऊपर का भाग नीचे के साथ जुड़ जाता है। इससे चेहरे और सिर की सुरक्षा हो जाती है। सेंसर के काम न करने की स्थिति में भी एहतियातन हेलमेट के ऊपरी और नीचे के बीच को कवर करते हुए एक पट्टी लगाई गई है। ताकि सिर सुरक्षित बनी रहे।
अधिक है इस हेलमेट का वजन
मानिक गर्ग ने बताया कि मोडिफाइड हेलमेट का वजन सामान्य हेलमेट की तुलना में कुछ सौ ग्राम अधिक है, लेकिन कंपनी में तैयार होगी तो इसका वजन काफी घट जाएगा और देखने में भी आकर्षक हो जाएगी। वह कहते हैं कि इसके लिए वह अभी प्रायोजक की तलाश में है। साथ ही पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है।