Kisan Andolan: गफलत में रहे किसान नेता राकेश टिकैत, मोदी सरकार के खिलाफ बयान पड़े भारी; अपनों ने ही दिखा दी औकात

Rakesh Tikait / Kisan Andolan किसान आंदोलन के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत हर वह काम करते रहे जो गैर मुनासिब था। खासकर केंद्र सरकार के साथ राज्यों में सत्तासीन भाजपा सरकारों पर राकेश टिकैत का हमला उनके करीबियों को ही नहीं भाया।

By Jp YadavEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 10:21 AM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 10:50 AM (IST)
Kisan Andolan: गफलत में रहे किसान नेता राकेश टिकैत, मोदी सरकार के खिलाफ बयान पड़े भारी; अपनों ने ही दिखा दी औकात
Kisan Andolan: एक साल तक हवा में उड़ते रहे राकेश टिकैत, होश में आने से पहले खिसक गई 'जमीन'

​​​​​नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर एक साल से भी अधिक समय तक चले किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। किसान आंदोलन के दौरान लगातार अराजनैतिक होने का दावा करने के बावजूद राकेश टिकैत के योगी और मोदी सरकार के खिलाफ बयानों ने राकेश टिकैत को अर्श से फर्श पर पटक दिया। कुलमिलाकर देश के बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की जयंती पर भारतीय किसान यूनियन बंट गया। इसके बंटने के पीछे राकेश टिकैत के बेतुके बयानों और कृत्यों का माना जा रहा है।

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में खुलकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ राजनीति करना राकेश और नरेश टिकैत को भारी पड़ गया। पिछले डेढ़ साल के दौरान राकेश टिकैत ने जिस तरह से योगी और मोदी सरकार के खिलाफ बयान दिए, उसने फायदे से ज्यादा नुकसान करा दिया। यही वजह है कि राकेश टिकैत के करीबियों-सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ते हुए नए किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक का गठन किया है। इस संगठन में सबसे बड़ी गठवाला खाप के चौधरी को चेयरमैन और राष्ट्रीय संरक्षक बनाया गया है।

बताया जा रहा है कि राकेश टिकैत इस भ्रम में थे कि वह किसानों के बड़े नेता बन चुके हैं और वह यूपी, हरियाणा और पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।

चुटकियों में टूट गया भ्रम

तकरीबन एक साल तक अपने उल-जुलूल बयानों के चलते हवा में उड़ते रहे भाकियू नेता राकेश टिकैत का भ्रम इस सप्ताह टूट गया। कहा जा रहा है कि राकेश टिकैत पिछले एक साल के दौरान मनमाने फैसले लेते रहे। भारतीय किसान यूनियन में सिर्फ राकेश टिकैत की ही चलती थी। किसी को फैसला लेना तो छोड़ सलाह देने की भी अनुमति नहीं थी। जो सलाह या सुझाव देता भी था, उसे दरकिनार कर दिया जाता था।

आपस में नहीं रहा भरोसा

तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से भी अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के दौरान भाकियू के पदाधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई थीं। लोगों ने जिम्मेदारियां निभाई भी, लेकिन सभी को शक की निगाह से देखा गया। दरअसल, राकेश टिकैत के आगे कोई उभर नहीं पाया। खासकर यूपी गेट पर सिर्फ राकेश टिकैत का ही हुकुम चलता था। उनका कहना है कि सत्य वचन माना जाता था।

आपस में लड़ते रहे पदाधिकारी, चुप्पी साधकर राकेश टिकैत ने दिया बढ़ावा

तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर गाजीपुर पर जारी प्रदर्शन राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के करीबी शमशेर राणा ने अपने ही संगठन के नेता धर्मेंद्र मलिक पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। उधर, लिखित शिकायत मिलने पर गाजियाबाद पुलिस ने शमशेर राणा की तहरीर स्वीकार कर ली थी। बावजूद इसके राकेश टिकैत ने झगड़ा सुलझाने की कोशिश नहीं की।

शमशेर राणा और धर्मेंद्र मलिक दोनों राकेश टिकैत के करीबी

आरोपों के मुताबिक, एक पक्ष ने दूसरे पक्ष से यहां तक कह दिया था कि एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती हैं। इसे यूपी गेट पर जुटे किसानों के बीच बड़ी फूट के तौर पर देखा जा रहा था। यह भी जानकारी सामने आ रही थी कि शमशेर राणा और धर्मेंद्र मलिक दोनों ही भाकियू नेता राकेश टिकैत के करीबी हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच भिड़ंत यूपी गेट पर चल रहे किसानों के आंदोलन को कमजोर भी कर सकती थी। बावजूद इसके राकेश टिकैत दोनों नेताओं का विवाद सुलझान के लिए आगे नहीं आए।

न चाहते हुए सामने आ गई राष्ट्रीय लोकदल से राकेश-नरेश टिकैत की करीबी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव प्रचार दौरान राकेश टिकैत और नरेश टिकैत अप्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रीय लोकदल का समर्थन और भारतीय जनता पार्टी का विरोध करते रहे। यहां तक कि मतदान खत्म होने के बाद राकेश टिकैत ने यहां तक कह दिया था कि ईवीएम की भी रखवाली करनी होगी। बताया जाता है कि यह बयान पूरी तरह से राजनीतिक था और यूनियन के एक गुट को रास नहीं आई थी। इशारों-इशारों में यह भी कहा गया था कि राकेश और नरेश टिकैत को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। बावजूद इसके लगातार ऐसे बयान राकेश टिकैत की ओर से दिए जाते रहे।

नजर आ रही है राकेश टिकैत की खीझ

भारतीय किसान यूनियन छोड़कर लखनऊ में नया संगठन भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक बनाने वाले सात वरिष्ठ नेताओं को भारतीय किसान यूनियन की ओर से बर्खास्त कर दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह की ओर से इन नेताओं की संगठन से बर्खास्त किए जाने का आदेश जारी किया गया है। भाकियू के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि संगठन के विरुद्ध गलत नीतियों के कारण राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान, राष्ट्रीय महासचिव अनिल तालान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम वर्मा, यूपी/एनसीआर के अध्यक्ष मांगेराम त्यागी, मुरादाबाद मंडल के अध्यक्ष दिगम्बर सिंह, मीडिया प्रभारी धर्मेन्द्र मलिक, प्रदेश उपाध्यक्ष राजबीर सिंह (गाजियाबाद) को संगठन के विरुद्ध भ्रामक प्रचार करने और गलत नीतियों में सम्मिलित पाएं जाने पर तत्काल प्रभाव से भारतीय किसान यूनियन संगठन से बर्खास्त किया जाता है।

राकेश टिकैत के विवादित बोल

1. अगस्त, 2021 में हरियाणा के सिरसा में प्रदर्शन के दौरा किसान नेता राकेश टिकैत ने भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा था कि भारतीय जनता पार्टी से खतरनाक कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि यूपी में चुनाव से पहले किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या हो सकती है। यहां तक इनसे बचकर रहना और ये किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या करवाकर देश में हिंदू-मुसलमान करके चुनाव जीतना चाहते हैं।

2. लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अक्टूबर, 2021 में विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हिंसा में जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता मारे गए वो ‘एक्शन का रिएक्शन’ था। राकेश टिकैत ने यहां तक कहा था कि वह उन्हें अपराधी नहीं मानते, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या की क्योंकि उन्होंने तो प्रदर्शनकारियों के ऊपर कार चढ़ाए जाने की प्रतिक्रिया में ऐसा किया।

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