रेवाड़ी सामूहिक दुष्कर्मः नाजनीन के लिए यह कामयाबी खुशी में तब्दील नहीं हुई
पुलिस अधिकारी नाजनीन भसीन ने कहा कि उपलब्धियां बताते हुए भी मैं प्रसन्नता व्यक्त नहीं कर सकती। उनके चेहरे के भाव सवाल कर रहे थे कि हमारे समाज को यह क्या हो रहा है?
रेवाड़ी (महेश कुमार वैद्य)। किसी भी अधिकारी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज होता है किसी चुनौती को स्वीकार करना और सबसे बड़ी खुशी होती है जटिल समझे जाने वाले अभियान में कामयाब होना, लेकिन कामयाबी के बावजूद मीडिया के सामने आई नाजनीन भसीन के शब्द गौर करने लायक थे। मामला आखिर दरिंदगी से जुड़ा जो था।
नाजनीन भसीन ने कहा, 'कोई और अवसर होता तो मैं खुश हो सकती थी, लेकिन मेरे लिए यह खुशियां जताने का समय नहीं है। दरिंदों ने हमारी बेटी को जो दर्द दिया है उसे मैं छिपा नहीं पा रही हूं।' अपनी बात कहते हुए उनके चेहरे पर कई भाव आए और गए।
भसीन ने कहा कि उपलब्धियां बताते हुए भी मैं प्रसन्नता व्यक्त नहीं कर सकती। उनके चेहरे के भाव सवाल कर रहे थे कि हमारे समाज को यह क्या हो रहा है? उनकी अपेक्षा थी कि अपराधियों को छिपने व उनकी जानकारी छिपाने में लोगों को मदद नहीं करनी है। इतनी भूमिका के बाद ही भसीन ने आरोपितों की गिरफ्तारी की विस्तार से जानकारी दी।
खाई थी कसम, सफल होकर लौटेंगे हम
जिद और जुनून। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में कामयाबी इन दो शब्दों ने ही दिलाई है। एसआइटी में शामिल कई जवानों व अधिकारियों ने यह कसम ली थी कि सफलता मिलने तक हम घर नहीं लौटेंगे।
एसआइटी का गठन 14 सितंबर की रात हुआ। अगले ही दिन एसआइटी प्रमुख ने शहर से दूर नाहड़ गांव में बने नागरिक विश्राम गृह में कैंप आफिस बना लिया था। यहां पर कुछ अधिकारी व जवान स्थानीय थे तो बड़ी संख्या में घर छोड़कर भी ड्यूटी करने आए थे। अधिकारियों व जवानों ने उसी दिन नाजनीन भसीन के समक्ष यह शपथ ले ली थी कि तीनों मुख्य आरोपितों की गिरफ्तारी होने तक उनमें से कोई भी घर नहीं जाएगा।
न दिन की परवाह न रात की
एसआइटी पर एक ओर सरकार व उच्चाधिकारियों का दबाव था वहीं दूसरी ओर मीडिया और आंदोलनरत सामाजिक संगठनों का। एसआइटी प्रमुख भसीन ने नाहड़ के रेस्ट हाउस में रणनीति बनानी शुरू की। सुबह से लेकर देर रात तक अलग-अलग टीमें राजस्थान के बीकानेर तक दुष्कर्म के आरोपितों की तलाश में जुटी रहीं। उत्तराखंड से इनपुट मिला तो उस पर भी गौर किया गया। दरिंदों की इतनी जबरदस्त घेराबंदी थी कि वे बच नहीं पाए। अब एसआइटी के सामने द¨रदों को सजा दिलाने का चैलेंज है।